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चीन में गिरफ़्तार इस ऐक्टर का माओ ज़ेदोंग से क्या कनेक्शन है?

एक्टर की गिरफ्तारी की वजह जानकार चौंक जाएंगे!

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ली यिफ़ेंग और माओ (फोटो-AFP)

चीन में  पुलिस ने माओ ज़ेदोंग को गिरफ़्तार किया है. लेकिन ये माओ वो वाला माओ नहीं है. ये एक ऐक्टर है. जिसने परदे पर माओ के किरदार को निभाया था. ऐक्टर का नाम है, ली यिफ़ेंग.

साल 2007 की बात है. चीन में ‘माय हीरो कॉन्टेस्ट’ नाम से एक टैलेंट हंट का आयोजन हुआ. इसमें ऐसे नौसिखिए नौजवानों की तलाश की जा रही थी, जिनके अंदर भविष्य में स्टार बनने की काबिलियत हो. इन नौजवानों के पास स्टेज पर परफ़ॉर्म करने का कोई पुराना अनुभव नहीं था. इसलिए, ये भी देखा जा रहा था कि वो अपने ऊपर पड़ने वाले दबाव को कितना झेल सकते हैं. इस कॉन्टेस्ट में एक लड़का ऐसा भी था, जो फ़ाइनल राउंड में पहुंचने से पहले ही बाहर हो गया. लेकिन उसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला. कंपटीशन में आठवें नंबर पर रहने के बावजूद उसे अंत में मोस्ट पॉपुलर कॉन्टेस्टेन्ट का अवॉर्ड दिया गया था. वो लड़का 20 साल का ली यिफ़ेंग था.

ली ने इस लोकप्रियता का भरपूर फायदा उठाया. उसने गायकी में हाथ आजमाया. उसके एल्बम चलने लगे. कुछ समय बाद उसने ऐक्टिंग शुरू की. धीरे-धीरे लोग ली को पसंद करने लगे. उसकी कई फ़िल्मों और टीवी सीरीज़ ने कमाई और व्यूअरशिप के रेकॉर्ड स्थापित किए. 

फिर 2021 में चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की स्थापना के सौ साल पूरे हुए. इस मौके पर सरकार ने पार्टी के इतिहास से जुड़ी फ़िल्में बनाने वाले को सपोर्ट दिया. इसी प्रोग्राम के तहत जुलाई में एक फ़िल्म रिलीज़ हुई. द पायनियर. ये फ़िल्म ली ता-चाओ की ज़िंदगी पर बेस्ड थी. ता-चाओ CCP के संस्थापकों में से एक थे. नवंबर 1927 में उन्हें मौत की सज़ा दे दी गई थी. कहा जाता है कि ता-चाओ माओ ज़ेदोंग के जीवन पर सबसे अधिक असर डालने वाले लोगों में से थे. पायनियर में ता-चाओ के जीवन और माओ पर उनके प्रभाव को दिखाया गया था. इस फ़िल्म में माओ ज़ेदोंग की भूमिका ली यिफ़ेंग ने निभाई थी. चीन में माओ को अद्वितीय नेता के तौर पर देखा जाता है.

इस लिहाज से उस किरदार को निभाना यिफ़ेंग के कैरियर का सबसे बड़ा हासिल था. इससे ली की पॉपुलेरिटी और बढ़ी. वो चीन के सबसे दिग्गज सितारों की लिस्ट में शामिल हो गए. वो फ़ोर्ब्स मैगज़ीन की सबसे प्रभावशाली चीनी स्टार्स की लिस्ट में शामिल हुए. ली की मशहूरी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि, चाइनीज़ सोशल मीडिया साइट सिना वीबो पर उनके छह करोड़ से अधिक फ़ॉलोअर्स हैं. जब तक ली को गिरफ़्तार नहीं किया गया था, तब तक उनके पास दस से अधिक टॉप ब्रैंड्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट थे. गिरफ़्तारी के बाद उनके पास अपनी नियति का इंतज़ार करने के अलावा कुछ नहीं बचा है.

ली को गिरफ़्तार क्यों किया गया?

दरअसल, उनके ऊपर सेक्स वर्कर्स के पास जाने और देह-व्यापार को बढ़ावा देने का आरोप है. चीन में सेक्स वर्क गैरकानूनी है. 11 सितंबर को चाइना डेली ने ली की गिरफ़्तारी की पुष्टि की. इससे पहले ली को सरकारी आयोजनों से हटाया जाने लगा था. तभी से ये चर्चा चलने लगी थी कि उनके ऊपर मुश्किल आने वाली है. ली की तरफ़ से बयान जारी हुआ कि ऐसा कुछ नहीं है. मीडिया में ग़लत ख़बरें फैलाई जा रहीं है. हालांकि, गिरफ़्तारी की पुष्टि होने के बाद बयान वापस ले लिया गया. कई कंपनियों ने ली को अपने प्रोमोशनल एम्बैसडर के रोल से हटा दिया है. चीनी सोशल मीडिया साइट्स पर भी ली की खासी लानत-मलानत हो रही है. लोगों का कहना है कि ली ने उनके भरोसे को तोड़ दिया है. मीडिया रपटों के मुताबिक, आने वाले समय में ली को और भी झटके मिल सकते हैं. 

ली यिफ़ेंग. (AFP)

चीन में देह-व्यापार गैरकानूनी है. इसके बावजूद अवैध सेक्स वर्क पर लगाम नहीं लग सकी है. सिक्स्थ टोन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में हर 100 में से 17 चीनी पुरुष कभी ना कभी किसी सेक्स वर्कर के पास गया था. 1949 की अक्टूबर क्रांति के बाद से चीन में देह-व्यापार को खत्म करने की कवायद चल रही है. कम्युनिस्ट पार्टी मानती है कि सेक्स वर्क 1949 से पहले वाले चीन का प्रतीक है. वे उनकी सत्ता के दुश्मन हैं. 2005 में हू जिंताओ की सरकार ने सेक्स वर्क करने या उसमें किसी तरह से शामिल होने वालों के लिए 15 दिनों की हिरासत और लगभग 60 हज़ार रुपये के ज़ुर्माने का प्रावधान लागू किया था. ये सज़ा अधिकतम है. इसलिए, सरकारी एजेंसियां कभी भी बहुत ज़ोर-शोर से इसके ख़िलाफ़ अभियान नहीं चलातीं. इतना ज़रूर होता है कि कुछ महीनों के अंतराल में किसी बड़ी शख़्सियत को माकूल सज़ा देकर सख़्ती का संदेश देने की कोशिश की जाती है. ली यिफ़ेंग की गिरफ़्तारी को भी इसी नज़र से देखा जा रहा है.

ली की गिरफ़्तारी में क्या सबक छिपा है?

दरअसल, चीनी सरकार अपने सेलिब्रिटीज़ से उम्मीद करती है कि वे निजी और पब्लिक लाइफ़ में नैतिकता से भरा जीवन जिएंगे. उन्हें दागहीन जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. सितंबर 2021 में सरकार ने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को ताकीद की थी कि वे इस बारे में स्टार्स को जागरुक करें. वे ऐसा कुछ भी ना करें जिससे उनके दामन पर एक भी दाग लगे.

वैसे, ली यिफ़ेंग इस तरह के मामले में फंसने वाले पहले चीनी सेलिब्रिटी नहीं है. इससे पहले भी उनकी बिरादरी के कई लोग सज़ा झेल चुके हैं. इस तरह के मामलों में दोषी साबित होने के बाद कई सितारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स डिलीट हो चुके हैं. उनके काम को भी बड़े प्लेटफ़ॉर्म्स से हटा दिया जाता है. जानकारों का कहना है कि ली यिफ़ेंग के स्टार बने रहने की संभावना शून्य हो चुकी है.

आपने रील लाइफ़ के माओ की कहानी सुनी. अब रियल माओ की एक कहानी सुन लीजिए. अय्याशी में माओ ज़ेदोंग का कोई सानी नहीं था. जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती गई, हमबिस्तर होने वाली महिलाओं की उम्र घटती गई. माओ के पर्सनल डॉक्टर ने अपनी किताब में लिखा है, 

माओ यौन बीमारी फैलाता था. ऐसी कई लड़कियों का मैंने इलाज किया था. उन्हें माओ से ये बीमारी लेकर गर्व महसूस होता था. एक बार मैंने माओ को कहा कि वो कोई दवा लें ताकि उनकी बीमारी किसी को न हो. इसपर माओ ने कहा, जब तक इस बीमारी से मुझे कोई दिक्कत नहीं होती, ये मायने नहीं रखता. तुम इतना क्यों उछल रहे हो?

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