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Alt News के मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यूपी में दर्ज सभी केस क्या हैं, जिनकी जांच अब SIT करेगी?

जुबैर के खिलाफ ज्यादातर मामले धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, आपत्तिजनक टिप्पणी करने, दो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने के आरोपों से जुड़ी धाराओं के तहत दर्ज हैं.

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Alt News के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (फोटो- Alt News/PTI)

पत्रकार और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है. जुबैर के खिलाफ यूपी में कुल 6 केस दर्ज हैं. इनमें से दो मामले हाथरस और एक-एक केस सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर जिले में दर्ज हैं. इनके अलावा एक केस दिल्ली में दर्ज है, जिसमें दिल्ली पुलिस ने उन्हें 27 जून को गिरफ्तार किया था. इस तरह मोहम्मद जुबैर दिल्ली और यूपी में दर्ज कुल 7 केसों का सामना कर रहे हैं.

यूपी सरकार ने जो एसआईटी बनाई है उसे लखनऊ के जेल आईजी प्रीतिंदर सिंह हेड करेंगे. डीआईजी अमित वर्मा भी इस टीम का हिस्सा होंगे. यूपी पुलिस का कहना है कि एसआईटी के जरिए जुबैर के खिलाफ दर्ज मामलों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाएगी. इससे पहले जुबैर को 11 जुलाई को सीतापुर जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया था.

मोहम्मद जुबैर फैक्ट चेकिंग न्यूज वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर हैं. ये वेबसाइट फेक न्यूज के खिलाफ काम करती है और उनसे जुड़े सही तथ्यों को प्रकाशित करती है. जुबैर के खिलाफ ज्यादातर मामले धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, आपत्तिजनक टिप्पणी, दो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने जैसी धाराओं के तहत दर्ज हैं.

यूपी पुलिस के मुताबिक, हाथरस और सीतापुर में जुबैर के खिलाफ इस साल केस दर्ज हुए हैं. वहीं दूसरे जिलों में जो केस हैं, वे 2021 में दर्ज हुए थे. अभी तक किसी मामले में जुबैर के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं. जानते हैं कि उनके खिलाफ ये केस दर्ज क्यों हुए हैं और क्या धाराएं लगाई गई हैं.

सीतापुर केस

सीतापुर के खैराबाद थाने में इस साल 1 जून को FIR दर्ज करवाई गई थी. जुबैर के खिलाफ IPC की धारा-295(ए) (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण काम करना) और IT एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप से अश्लील कॉन्टेंट को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत केस दर्ज किया गया. ये केस राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के जिला अध्यक्ष भगवान शरण ने दर्ज करवाया था.

जुबैर पर आरोप है कि उन्होंने हिंदू धार्मिक नेताओं को ‘हेटमॉन्गर’ (नफरत फैलाने वाला) कहा था. उन्होंने 27 मई के अपने एक ट्वीट में तीन हिंदू नेताओं के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया था. इन हिंदू नेताओं यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप के खिलाफ मुसलमानों को लेकर हेट स्पीच मामले में केस दर्ज हैं. जुबैर ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

फिलहाल इस केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जुबैर को गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को अंतरिम जमानत दी थी जो 7 सितंबर को अगली सुनवाई तक जारी रहेगी. 12 जुलाई को कोर्ट ने यूपी पुलिस को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है.

लखीमपुर खीरी केस

पिछले साल लखीमपुर खीरी जिले के मोहम्मदी थाने में भी मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एक केस दर्ज किया गया था. सुदर्शन न्यूज के एक पत्रकार आशीष कुमार कटियार ने 18 सितंबर 2021 को FIR दर्ज करवाई थी. FIR में कटियार ने दावा किया था कि जुबैर ने 14 मई 2021 को अपने ट्वीट के जरिए सुदर्शन न्यूज के खिलाफ अफवाह फैलाई थी. 

इस मामले में भी जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153(ए) (समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत केस दर्ज किया गया था. 11 जुलाई को जिले की स्थानीय अदालत ने जुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था. इसके अलावा उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153(बी), 505-1(बी), 505(2) जोड़ दी गई. जुबैर की जमानत याचिका पर 13 जुलाई को सुनवाई होनी है.

जुबैर ने अपने ट्वीट में सुदर्शन न्यूज पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप लगाया था. उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि सुदर्शन न्यूज ने मदीना की मस्जिद को गाजा की एक पुरानी तस्वीर के ऊपर एडिट कर लगाया और ग्राफिक्स से मस्जिद पर बमबारी को दिखाया गया था. उन्होंने यूपी पुलिस से चैनल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी.

गाजियाबाद केस

15 जून 2021. गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर थाने में जुबैर और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ. यह मामला एक 72 साल के बुजुर्ग के साथ पिटाई के वीडियो से जुड़ा था. जुबैर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा था कि बुजुर्ग को पीटने वाले उनसे जबरन जय श्री राम बोलने को कह रहे थे. हालांकि बाद में गाजियाबाद पुलिस के बयान के बाद जुबैर ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था. पुलिस ने कहा था कि लोगों ने वीडियो को जांचे बिना तनावपूर्ण माहौल पैदा करने और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की.

FIR में आईपीसी की धारा-153, 153(ए), 295(ए), 505, 120(बी), 34 लगाई गई थी. इस मामले में जुबैर के अलावा पत्रकार राना अयूब, सबा नकवी, न्यूज वेबसाइट द वायर, कांग्रेस नेता सलमान निजामी, मसकूर उस्मानी, शमा मोहम्मद के नाम भी शामिल थे. इन सभी लोगों ने बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो शेयर किया था.

खबरों के मुताबिक पीड़ित बुजुर्ग ने ही पहले जबरन 'जय श्री राम' बुलवाने की बात शिकायत में कही थी. हालांकि बाद में वो अपने बयान से पलट गए थे. जुबैर ने बाद में अपने ट्वीट को डिलीट कर लिखा था, 

"मैंने जो वीडियो पोस्ट किया था उसे डिलीट कर दिया है. पुलिस अधिकारियों और पत्रकारों से बातचीत के आधार पर पीड़ित से जबरन जय श्री राम का नारा लगवाने वाली बात साबित नहीं हो पाई है."

मुजफ्फरनगर केस

जुबैर के खिलाफ पिछले साल जुलाई में एक और केस दर्ज हुआ. एक व्यक्ति अंकुर राणा ने उन पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया. उसने मुजफ्फरनगर के चरथावल थाने में 24 जुलाई 2021 को जुबैर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. इसके बाद जुबैर पर आईपीसी की धारा-192, 504 और 506 के तहत FIR दर्ज हुई थी.

ये मामला भी सुदर्शन न्यूज के वीडियो पर जुबैर के ट्वीट से ही जुड़ा था. शिकायतकर्ता ने FIR में बताया था कि उसने इस मामले को लेकर जुबैर से बात की थी. अंकुर ने आरोप लगाया कि जुबैर ने गाली गलौज करते हुए इस मैटर में पड़ने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी.

हाथरस केस

हाथरस की स्थानीय अदालत ने 12 जुलाई को जुबैर के खिलाफ वारंट जारी किया. उन्हें 14 जुलाई को पेश होने को कहा गया है. हाथरस में जुबैर के खिलाफ दो मामले दर्ज हैं. दोनों केस इसी साल दर्ज किए गए. एक केस सिकंदराराऊ थाने में है. यहां उनके खिलाफ आईपीसी की धाराओं - 147, 149, 153(ए), 353, 188, और 120(बी) के तहत केस दर्ज है. यह FIR पुरदिलनगर के चौकी इंचार्ज सोनू राजौरा ने 4 जुलाई को दर्ज कराई थी.

दूसरा केस हाथरस सदर थाने में दर्ज है. यह केस एक हिंदूवादी कार्यकर्ता दीपक शर्मा ने 14 जून को दर्ज करवाया था. यहां भी आईपीसी की धारा- 153(ए), 295(ए), 298 और आईटी एक्ट की धारा-67 के तहत केस दर्ज किया गया. दीपक शर्मा ने आरोप लगाया था कि जुमे की नमाज के दौरान जो हिंसा (जून में) हुई थी, उसके लिए जुबैर का ट्वीट जिम्मेदार था. दीपक ने कहा था कि जुबैर अपने ट्वीट के जरिए भारत में दंगे करा रहे हैं. उन्होंने देवी-देवताओं के अपमान को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी.

स्थानीय पुलिस की मदद लेगी SIT

यूपी पुलिस ने 12 जुलाई को अपने बयान में कहा है कि जुबैर के खिलाफ मामलों की जांच के दौरान SIT सभी जिलों की स्थानीय पुलिस से सहयोग लेगी. स्थानीय पुलिस मामले से जुड़े सभी कागजात एसआईटी को हैंडओवर करेगी. साथ ही एसआईटी लोकल पुलिस की मदद लेने के लिए स्वतंत्र होगी. पुलिस ने कहा है कि एसआईटी सभी मामलों में तेजी से जांच कर कोर्ट में चार्जशीट दायर करेगी.

इसके अलावा दिल्ली में भी जुबैर पर केस दर्ज हुआ था. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-153 और 295 (ए) के तहत ये केस दर्ज किया गया. जिस ट्वीट के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया, उसे जुबैर ने मार्च 2018 में पोस्ट किया था. उन्होंने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की थी जो 1983 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'किसी से ना कहना' का स्क्रीन शॉट था. तस्वीर में ‘हनुमान होटल’ लिखा दिख रहा है. इसी तस्वीर को शेयर करते हुए उन्होंने ट्वीट में लिखा था, “2014 से पहले: हनीमून होटल. 2014 के बाद: हनुमान होटल.”

पिछले महीने एक ट्विटर यूजर ने दिल्ली पुलिस को टैग कर इस ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की थी. इसी पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया. FIR में लिखा है कि जुबैर ने एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के इरादे से ये पोस्ट किया था.

बाद में, जांच के दौरान जुबैर की वेबसाइट Alt News पर दिल्ली पुलिस ने विदेशी फंडिंग कानूनों के उल्लंघन का आरोप भी लगाया. आईपीसी की धारा 120(बी), 201 और विदेशी चंदा नियमन कानून (FEMA) की धारा 35 भी जोड़ दिए गए. 14 जुलाई को दिल्ली कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है.

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