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रिपब्लिक डे परेड में शामिल हुई 'नाग मिसाइल', जो दुश्मन के टैंकर को ढूंढकर खत्म कर देती है

नाग मिसाइल पर डॉ. अब्दुल कलाम आज़ाद की अगुवाई में काम शुरू हुआ था.

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नाग मिसाइल (साभार: ANI)

हिटलर का नाम सुना है? वर्ल्ड वॉर 2 में इसने भयंकर तबाही मचाई थी. हिटलर के पास सेना तो थी ही साथ ही उसके पास बहुत बड़ी बड़ी तोपें भी थीं. जिन्हें रोक पाना बहुत मुश्किल था. अगर उस समय कुछ ऐसा होता जो उन तोपों के मुहाने को बंद कर देता तो तबाही को काफी हद तक रोका जा सकता था. तब नहीं थीं लेकिन आज हमारे पास ऐसी मिसाइल है, जो तोपों की सबसे बड़ी दुश्मन है. ये मिसाइल बड़ी से बड़ी तोप को भी खत्म कर सकती है. नाम- नाग मिसाइल. इसके लिए ये भी कहा जाता है कि दागो और भूल जाओ. ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार इस मिसाइल को दाग दिया तो ये टारगेट को खत्म करके ही दम लेती है. ये 99.9 परसेंट एक्यूरेसी के साथ अपने टारगेट को हिट करती है और कर देती है उनका काम तमाम. गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार नाग मिसाइल को भी प्रदर्शित किया गया.

1983 में IGDMP प्रोग्राम की शुरुआत हुई. IGDMP माने The Integrated Guided Missile Development Programme. इस प्रोग्राम के तहत पांच मिसाइल तैयार की जानी थीं, जिसमें नाग मिसाइल भी शामिल थी. मिसाइल मेन के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. अब्दुल कलाम आज़ाद की अगुवाई में इसपर काम शुरू हुआ. नाग के अलावा जो मिसाइल इस प्रोजेक्ट का हिस्सा थीं. उनके नाम हैं- पृथ्वी, अग्नि, आकाश, और त्रिशूल.

नाग अब पूरी तरह से तैयार है. इसको बनाने का मकसद है दुश्मन के टैंक को नेश्तनाबूद करना. 26 जनवरी को कर्तव्य पथ से भारत की ताकत को दुनिया के सामने रखा गया. इससे पहले नाग मिसाइल को डेवलपमेंट फेज के दौरान DRDO ने शोकेस किया था, लेकिन ये पहला मौका था जब इस मिसाइल की यूज़र यानी थलसेना इसके साथ दिखी. ये मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है.

जान लेते हैं इस मिसाइल के इतिहास के बारे में:
- इसका डिजाइन डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने तैयार किया
- 90 के दशक की शुरुआत में टेस्ट भी हुए लेकिन IIR आधारित गाइडेंस सिस्टम में दिक्कत के चलते डिवेलपमेंट फंसा रहा.
- सितंबर 1997 और फिर जनवरी 2000 में मिसाइल ने टेस्ट में काबिलियत साबित कर दी और अगले कुछ सालों में इसे और ज्यादा रिफाइन किया गया.
- 'नाग' मिसाइल के लिए खास मिसाइल कैरियर NAMICA तैयार किया गया, जिसे 'सारथ' नाम मिला है. ये एक टैंक डिस्ट्रॉयर है, जिसमें 12 मिसाइलें रखी जा सकती हैं.
- नाग मिसाइल के पांच अलग-अलग टाइप पर काम चल रहा है. ये ऐसी मिसाइल है, जिसे जमीन या हवा, कहीं से भी फायर कर सकते हैं.
- नाग मिसाइल का एक लैंड वर्जन है, दूसरा मास्ट-माउंटेड सिस्टम. बाकी खास जरूरतों के हिसाब से बनाए जा रहे हैं.

अब बारी खूबियों की

इसकी सबसे बड़ी खूबी जिसके बारे में आपको मैंने पहले भी बताया वो है 'फायर ऐंड फॉरगेट' यानी इस मिसाइल को एक बार दाग दिया तो काम तमाम होना तय है. इसके लिए आपको दुश्मन के सामने होना ज़रूरी नहीं है. ये मिसाइल लॉन्च होने के बाद अपने टारगेट का पता लगाती है और उसे खत्म कर देती है. दिन हो या रात, आंधी हो या तूफ़ान नाग मिसाइल अपने दुश्मन के लिए काल का काम करती है.

अमेरिका और इज़राइल के बाद भारत की ये ऐंटी- टैंक नाग मिसाइल दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से है. नाग मिसाइल के अलग-अलग वैरिएंट्स की रेंज 500 मीटर से 20 किलोमीटर तक है. 'नाग' में ऐडवांस्ड पैसिव मिसाइल होमिंग गाइडेंस सिस्टम लगा है, जिससे इसे हाई सिंगल-शॉट किल प्रॉबेबिलिटी मिलती है. नाग मिसाइल 828 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से अपने टारगेट को हिट कर सकती है.

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