जैसे-जैसे राजस्थान में चुनाव नज़दीक आ रहे हैं वैसे-वैसे अशोक गहलोत सरकार नई योजनाएं भी लागू कर रही है. जैसे 100 यूनिट तक की बिजली फ्री. इस योजना को लेकर विपक्षी दलों ने गहलोत सरकार पर सवाल उठाए और इसी सवाल के साथ दूसरा सवाल उठा राजस्थान में तीसरे मोर्चे का.
राजस्थान में तीसरे मोर्चे और अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर क्या बोले अशोक गहलोत?
राजनीतिक अटकलें लगती हैं कि अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी हनुमान बेनीवाल, अरविंद केजरीवाल और उनके कुछ साथी मिलकर तीसरा मोर्चा बना रहे हैं.
इस सिलसिले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का नाम बार-बार लिया जाता है. गहलोत से सवाल किया जाता है कि क्या वो कभी अरविंद केजरीवाल से मिले हैं. उनका कहना है कि वो कभी किसी फंक्शन में केजरीवाल से मिले होंगे, लेकिन अलग से नहीं.
तीसरे मोर्चे की संभावनाओं और उसमें अरविंद केजरीवाल की भूमिका के संबंध में एक सवाल दी लल्लनटॉप ने भी अशोक गहलोत से किया. अपने खास पॉलिटिकल इंटरव्यू शो जमघट में. इस पर सीएम गहलोत ने जवाब दिया,
'मैंने इस बार भी 156 सीट का मिशन रखा हुआ है. अब तीसरा मोर्चा बने या ना बने ये तो उनके उपर है. मेरे पहले टर्म में पांच में से चार साल अकाल पड़ा था. उस समय हम चुनाव हार गए थे. लेकिन उस समय मेरा मैनेजमेंट अच्छा था. घर घर अनाज पहुंचाने का, पीने के पानी का और गांव के लिए चारे का. 'काम के बदले अनाज' योजना के जरिए लोगों को इतना गेंहू पहुंचाया कि उनके पास रखने के लिए जगह नहीं रही. लोगों ने गेंहू बेचकर अपनी बेटियों की शादी कर दी. उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मुझे पूरा सहयोग मिला था.'
अशोक गहलोत ने आगे बताया कि वो चुनाव क्यों हार गए थे. उनका कहना है कि वो उस समय नए-नए थे और कुछ कर्मचारियों ने हड़ताल की हुई थी. 64 दिन कर्मचारी काम पर नहीं आए थे. उन्होंने कहा,
‘कर्मचारियों के काम पर नहीं आने से मैंने उनकी तनख्वाह काटने जैसे कड़े कदम उठाए. हमसे गलती हुई कि हम संवाद बनाकर नहीं रख पाए. नाराज़ कर्मचारियों ने हाथ में पानी लेकर मेरे खिलाफ़ नारे लगाए.’
अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसे माहौल में जब चुनाव हुआ तो हारना तय था.
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