The Lallantop
Logo
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

एक कविता रोज़ में सुनिए कबीर दास की रचना साधो देखो जग बौराना

साधो, देखो जग बौराना/ सांची कहौ तो मारन धावै झूंठे जग पतियाना

बीते दिनों संत कबीर दास की जयंती थी. वही कबीर दास जो जाति-धर्म से लेकर मनुष्य की आकांक्षाओं और उपलब्धियों को अर्थहीन बता गए. आज जो उनका कहा-लिखा हम आपको सुनाने जा रहे हैं उसका नाम है - साधो देखो जग बौराना... साधो इसलिए क्योंकि कबीर फ़कीरों, साधुओं की संगत में रहते. तो जो कहते वो उन्हीं को सम्बोधित करते हुए कहते. देखिए वीडियो.