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जेठमलानी ने किसे कहा, आप पिस्की पियो मुझे व्हिस्की पीने दो

एक रूपये से पहला केस लड़ने वाले जेठमलानी देश के सबसे महंगी वकील कैसे बने?

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Ram Jethmalani

ये उस दौर की बात है जब मुंबई बॉम्बे हुआ करता था. शराब बेचने को लेकर कड़े रूल थे. एक दिन पुलिस ने एक आदमी को 12 बोतल स्कॉच के साथ पकड़ा और तस्करी का केस ठोक दिया. ये साहब केस की पैरवी के लिए राम जेठमलानी के पास पहुंचे. जेठमलानी बड़े वकील थे. लेकिन केस उनके पास ले जाने का कारण दूसरा था. इनको पता था कि जेठमलानी खुद सिंगल मॉल्ट स्कॉच के बड़े शौक़ीन हैं. और ऐसा ही हुआ भी. जेठमलानी केस लड़ने को तैयार हो गए.

ओपन एंड शट केस था. शुरुआती जिरह के बाद जज ने जेठमलानी से सिर्फ एक सवाल पूछा, अगर तुम अपने मुवक्किल के पक्ष में एक भी पॉइंट दे दो तो मैं उसे जाने दूंगा. 
जेठमलानी ने जवाब दिया, “जनाब ये आदमी बढ़िया स्कॉच देता है. और जब मैं कह रहा हूं स्कॉच, तो कोई ऐसी वैसी नहीं, सबसे बढ़िया स्कॉच.”
जेठमलानी का ये तीर बिलकुल निशाने पर बैठा. स्कॉच सम्गलर को रिहाई मिल गई. कारण ये कि जज साहब खुद स्कॉच के बड़े शौक़ीन हुआ करते थे. और जेठमलानी को ये बात अच्छे से मालूम थी.

ram Jethmalani
राम जेठमलानी (तस्वीर: Wikimedia Commons)

आज 14 सितम्बर है. और आज ही के दिन साल 1923 में भारत के जानेमाने वकील राम जेठमलानी का जन्म हुआ था. इसी मौके पर हमने सोचा आपको उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से सुनाएं.

“अगर कोई आदमी मेरे ऑफिस में जेब में स्मगलिंग से कमाए नोट भरकर लाता है. तो मैं समझता हूँ ये मेरी ड्यूटी है कि मैं उसकी जेब का बोझ हल्का कर दूँ.”

60 के दशक में जेठमलानी से जब उनके मुवक्किलों के बारे में पूछा जाता, तो हर बार वो यही जवाब देते थे. 1948 में वो बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आए थे. मुम्बई आकर उन्होंने रिफ्यूजी कैंप में रात बिताई. और अगले ही दिन लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी. 6 साल तक प्रैक्टिस की. फिर बॉम्बे यूनिवर्सिटी में दाखिला दिया. फिर से सारी परीक्षाएं पास की और अपना खुद का चेंबर खोल लिया.

“एक प्रॉस्टीट्यूट भी वर्जिन बनाई जा सकती है”

स्मगलरों के वकील के नाम से मशहूर हो चुके जेठमलानी ने 1971 में पॉलिटिक्स में एंट्री ली. और उल्लासनगर से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ा. लेकिन हार गए. 1971 में ही मीसा क़ानून पास किया गया. सरकार इस क़ानून का इस्तेमाल न सिर्फ स्मगलर्स के खिलाफ कर रही थी बल्कि अपने राजनैतिक प्रतिद्ववदियों को भी निशाना बना रही थी. इस चक्कर में जेठमालानी ने पॉलिटिकल केसे से भी लड़े. केशवानंद भारती केस में भी वो रणनीति बनाने वाली टीम में थे. और केस के फैसले के बाद तब उनका एक बयान काफी फेमस हुआ था. जेठमलानी ने कहा, 

“सुप्रीम कोर्ट ऑफ टिम्बक्टू ने फैसला लिया है कि एक प्रॉस्टीट्यूट भी वर्जिन बनाई जा सकती है, रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से”

आप पिस्की पीजिए, मुझे व्हिस्की पीने दीजिए

साल 1977. जेठमलानी देश के सबसे बड़े वकीलों में से एक थे. लेकिन उनका दिल पॉलिटिक्स में ज्यादा था. उस दौर में उन्होंने अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगा दिया था, जिसमें लिखा था कि उन्होंने केस लेना बंद कर दिया है. उसी साल आम चुनाव हुए. उन्होंने जनता पार्टी के टिकट से बॉम्बे नार्थ वेस्ट की सीट से परचा भरा. जनता पार्टी के अध्यक्ष मोरारजी देसाई शराब के सख्त खिलाफ थे. वहीं जेठमलानी का स्कॉच प्रेम जगजाहिर था. और वो पब्लिक में गिलास उठाने से भी गुरेज नहीं करते थे. एक रोज़ मोरारजी ने जेठमलानी ने गुजारिश की कि वो कम से कम पब्लिक में न पिए. इस पर जेठमलानी ने जवाब दिया, ‘आप पिस्की पीजिए और मुझे व्हिस्की पीने दीजिए.’ पिस्की से यहां मतलब पेशाब से है. मोरारजी की यूरीन थेरेपी भी कम फेमस नहीं थी.

Ram Jethmalani and morarji Desai
मोरारजी देसाई ने अपनी कैबिनेट में जेठमलानी को शामिल नहीं किया (तस्वीर: getty)

जेठमलानी को मोरारजी कैबिनेट में इसी वजह से जगह नहीं मिली, ऐसा जेठमलानी बताया करते थे. 2 साल बाद जब मोरारजी सरकार गिर गई तो जेठमलानी मोरारजी से मिले और उनसे कहा. “जिन्होंने आपको धोखा देकर आपकी सरकार गिराई, उनमें से एक भी शराब नहीं पीता था”.

जेठमलानी और भौंकने वाला कुत्ता

17 जून 1987. देश भर के अखबारों के फ्रंट पेज पर एक स्टेटमेंट छपा, "मुझे हर भौंकते कुत्ते को जवाब देने की ज़रूरत नहीं है."
उसी सुबह इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर रामनाथ गोयनका जेठमलानी के महारानी बाग़ वाले फ्लैट पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि रामजेठमलानी कुछ लिख रहे हैं. गोयनका ने पूछा, राम तुमने आज सुबह का अखबार देखा, प्रधानमंत्री ने तुम्हें भौंकने वाला कुत्ता कहा है. अब तुम क्या करोगे?
जेठमलानी ने कोई जवाब न दिया. वो लिखने में व्यस्त रहे. और कुछ देर बाद एक चिट्ठी उठाकर गोयनका के हाथ में पकड़ा दी. चिट्ठी राजीव गांधी के नाम थी. लिखा था, 

“डियर प्राइम मिनिस्टर, आप भाग्यशाली हैं कि मैं सिर्फ भौंकने वाले कुत्ता हूं, कोई शिकारी कुत्ता नहीं. लेकिन याद रखिएगा कि कुत्ता भी तभी भौंकता है जब वो किसी चोर को देख लेता है.”

The Hindu
द हिन्दू में बोफोर्स घोटाले की खबर (तस्वीर: द हिन्दू )

इसके आगे खत में उन्होंने लिखा कि वो अगले 30 दिन तक रोज़ राजीव गांधी से 10 सवाल पूछेंगे. या तो उन्हें उनका जवाब देना होगा या इस्तीफ़ा. अगले दिन अखबारों की हेडलाइन में फिर कुत्ते वाली बात थी. लेकिन अबकी बार लिखा था,

“कुत्ते भौंकते हैं, लेकिन चोरों पर’ 

ये पूरा घटनाक्रम बोफोर्स घोटाले को लेकर हो रहा था. और अगले 30 दिन तक इंडियन एक्सप्रेस के मुखपत्र पर जेठमलानी के 10 सवाल छपते रहे. बाकी अख़बारों ने भी ये सवाल छापने शुरू कर दिए. राजीव गांधी को अब तक साफ़ छवि का नेता माना जाता था. कुछ साल पहले ही वो प्रचंड बहुमत से जीतकर आए थे. लेकिन हर रोज़ उठते सवालों के बीच राजीव की चुप्पी ने देश की हवा बदल दी. बोफोर्स घोटाला अगले चुनावों में निर्णायक साबित हुआ. राजीव गांधी चुनाव हार गए.

“मेरी पहली बीवी तुम्हारी इकलौती बीवी से ज्यादा खुश है.”

जेठमलानी की पैदाइश पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शिकारपुर में हुई थी. शुरुआती पढ़ाई बॉर्डिंग स्कूल में हुई. जेठमलानी के पिता चाहते थे कि बेटा इंजीनियर बने लेकिन जेठमलानी लॉयर बनना चाहते थे. क्योंकि दादा और पिता दोनों वकील थे. जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में वकालत की पढ़ाई पूरी कर ली थी. उस समय वकील बनने की उम्र 21 साल थी लेकिन जेठमलानी के लिए विशेष सुविधा दी गई. मात्र 18 साल की उम्र में वकील बन गए.

 उन्होंने पहला केस एक मकान मालिक का लड़ा था. फीस ली थी मात्र एक रुपए. इसी उम्र में उनकी शादी भी कर दी गई. दुर्गा नाम की एक लड़की से. दुर्गा से मिलने अपने दादा के साथ गए थे, लेकिन दुर्गा ने नज़र तक नहीं मिलाई. लेकिन 14 अगस्त, 1947 को जब भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बन रहे थे, जेठमलानी ने दूसरी शादी कर ली. रत्ना नाम था उनकी दूसरी पत्नी का. तब एक से ज्यादा शादी करना गैरकानूनी नहीं था. 

एक टीवी इंटरव्यू के दौरान जब उनसे इस बाबत सवाल पूछा गया तो जेठमलानी से जवाब दिया, “हां मैंने दो शादियां की, लेकिन मेरी पहली बीवी तुम्हारे इकलौती बीवी से ज्यादा खुश है”.

एक दिन या एक हफ्ता

जेठमलानी को तीन चीजों का शौक था. एक उनकी मर्सिडीज़ बेंज. उनकी ब्लैक लेबल स्कॉच. और सुबह बैडमिंटन का खेल. फ़्लर्ट करने के लिए जाने जाते थे. एक टीवी इंटरव्यू में जब इस बाबत पूछा गया तो जवाब दिया, “आशिक तो मैं बचपन से ही हूं”. 

Rajiv gandhi and Bofors
बोफोर्स घोटाला राजीव गांधी के ले हार का कारण बना (तस्वीर: getty)

इसके अलावा बच्चों को पढ़ाने के लिए वीकेंड में पुणे जाते थे. इस कारण वो.अपना मंडे और फ्राइडे का काम थोड़ा कम रखते थे. वहीं बाकी वकीलों के पास मंडे और फ्राइडे को सबसे ज्यादा काम होता था. जेठमलानी अपने 90 % केस प्रोबोनो लड़ते थे. यानी बिनाफीस लिए. लेकिन बाकी 10 % केसों की उनकी फीस 100 % से ज्यादा होती थी.. एक बार कोर्ट में एक दलील चल रही थी. इस दौरान जेठमलानी ने कहा ”मैं एक मात्र वकील हूँ जिसके पास मंडे फ्राइडे को कोई काम नहीं होता”. जज ने तुरंत जवाब देते हुए कहा ”लेकिन आपका एक दिन का काम बाकी सीनियर वकीलों के हफ्ते भर के काम से ज्यादा होता है”.

अच्छा क़ानून बुरे लोगों से बनता है

जेठमलानी के पास वकालत में 70 साल से ज्यादा का अनुभव था. जब भी देश का कोई बड़ा और विवादित मुकदमा रहा, जेठमलानी उसमें हाथ डालने से नहीं हिचके. जब इंदिरा गांधी के हत्यारों का केस लड़ने को कोई वकील तैयार नहीं हुआ, जेठमलानी तैयार रहे. राजीव के हत्यारों का भी केस लड़ा. संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु का भी केस लड़ा. आसाराम से लेकर अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान और स्टॉक मार्केट स्कैम वाले हर्षद मेहता की तरफ से पैरवी की. 

इसके अलावा हवाला केस में फंसे लालकृष्ण अडवाणी को बचाया. सोहराबुद्दीन केस में अमित शाह की तरफ से पैरवी की. जेसिका लाल हत्याकांड में मनु शर्मा के वकील बने, चारा घोटाले में लालू यादव के वकील बने, खनन घोटाले में बीएस येदियुरप्पा के वकील बने, टूजी स्कैम में कमिनोझी के वकील बने और मानहानि मामले में केजरीवाल के वकील बने. लोग अक्सर उनसे पूछते थे कि वो विवादित केस में हाथ क्यों डालते हैं. इस पर जेठमलानी का जवाब होता, 

“मील का पत्थर साबित होने वाले जजमेंट अच्छे लोगों के केस में नहीं आते. अच्छा क़ानून अच्छे लोगों के केस में नहीं बल्कि बुरे लोगों के केस में बनता है”.

वीडियो देखें- फ़िरोज़ गांधी ने नेहरू सरकार का कौन सा घोटाला खोल दिया था.