DC-3, C-39, C 53 मॉडल के ये विमान अमेरिकी मेड थे. इन्हें डिब्रूगढ़ आसाम से चीन के कुन्मिंग प्रान्त तक जाना होता था. मित्र राष्ट्रों की मदद के बिना चियांग काई शेक, जापान का सामना नहीं कर सकते थे. इसलिए इन विमानों से लगातार सप्लाई भेजी जानी जरूरी थी. लेकिन ये हवाई यात्रा इतनी मुश्किल थी कि तब इसका नाम पड़ गया था, ‘स्काईवे टू हेल’ यानी नर्क का रास्ता. फिर भी क्या करते, सप्लाइज पहुंचाना जरूरी था. वरना चीन हाथ से निकल सकता था. बहरहाल इसी दौरान जनरल स्टिलवेल ने एक नए प्लान सुझाया. क्या था ये प्लान?
इस प्लान के तहत भारत से बर्मा होते हुए चीन तक की एक सड़क बनानी थी. 1700 किलोमीटर लम्बी ये सड़क द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तैयार किया गया सबसे बड़ा, सबसे महंगा और सबसे कंट्रोवर्सियल प्रोजेक्ट था. कैसे तैयार हुई ये सड़क. देखिए वीडियो.
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