20 जून 1992 की तारीख. तमिलनाडु के एक सुदूर गांव में सूरज ढलने की ओर है. शाम के चार बजे लोग खेतों से लौट रहे है. सब कुछ सामान्य है. लेकिन घड़ी में घंटे की सुई ने दो चक्कर काटे और अचानक पूरा गांव सुनसान हो गया. 2 हजार लोगों के गांव में सिर्फ एक 80 साल की बुढ़िया और दो कुत्ते बचे हैं. बाकी लोग कहां हैं?
तारीख: 269 वर्दीधारी घुसे, 18 औरतों का रेप किया और पूरा गांव तबाह कर डाला
भारत में पुलिसिया हैवानियत की इससे बड़ी मिसाल नहीं है!
वहां से कुछ दूर धरमपुरी जिले का हरूर फॉरेस्ट ऑफिस. यहां तीन लाइनें बनी हैं. औरतों की. उनके हाथ में झाड़ू है और सामने बंधा है उनके गांव का पूर्व मुखिया, पेरुमल. एक-एक कर सबका नंबर आता है. पेरुमल को तब तक मारा जाता है, जब तक वो अधमरा नहीं हो जाता. औरतें पेरुमल को क्यों मार रही थी? क्या पेरुमल ने कुछ गलत किया था? जवाब है हां.