भगत सिंह उस रोज़ कुछ परेशान थे. कई दिनों बाद फिल्म देखने का मौका मिला था. लेकिन ऐन मौके पर दोस्त ने धोख़ा दे दिया. घर से लड़-झगड़ के वो अपने क्रांतिकारी दोस्तों के साथ रहने लगे थे. पैसों की हमेशा तंगी रहती थी. ये तंगी दो चीजों में खलल डालती थी. किताबें और चार्ली चैप्लिन की फ़िल्में. इनके बिना भगत का काम न चलता था. उनके साथियों ने कई जगह लिखा है, “भगत किताबें पढता नहीं बल्कि उन्हें पीता था”.
तारीख: जब भगत सिंह ने फिल्म देखने के लिए अपने बीमार दोस्त को धो डाला था!
भगत सिंह अपनी जेब में पिस्तौल नहीं वरन डिक्शनरी लेकर घूमा करते थे जिसे मौका मिलने पर कजूब इस्तेमाल में लाते थे
इन किताबों में डिकन्स, शेक्सपियर से लेकर मार्क्स और लेलिन की किताबें शामिल थीं. फिर हुआ यूं लाहौर की लाइब्रेरी से किताबें आने लगी और एक कमी पूरी हो गई. खाने के लिए राम किशन का होटल था ही. अब बस फिल्मों का खर्चा रहता था. भगत के एक दोस्त हुआ करते थे, जयदेव कपूर. उन्हें घर से कुछ पैसा मिलता था. इसलिए फिल्म देखने के लिए भगत सिंह जयदेव के आसरे थे. देखिए वीडियो.