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तारीख़: किसने गायब किया INA का खजाना?

एक हफ्ते चले समारोह में 2 करोड़ रूपये और लगभग 80 किलो सोना इकठ्ठा हुआ.

मधुश्री मुखर्जी अपनी किताब ‘चर्चिल सीक्रेट वॉर’ में लिखती हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जब भाषण देते थे, उसे सुनकर औरतें अपने जेवर उतारकर उनके सामने रख देती थीं. 21 अगस्त 1944 को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ नेताजी का भाषण सुनकर हीराबेन बेतानी ने अपने 13 सोने के हार दान में दे दिए थे, जिनकी तब की कीमत डेढ़ लाख रूपये थी. हबीब साहिब नाम के एक रईस हुआ करते थे, उन्होंने INA के फंड में 1 करोड़ की प्रॉपर्टी जमा कर दी थी. वहीं रंगून के एक व्यापारी VK नादर ने आजाद हिन्द बैंक में 42 करोड़ रूपये और 2800 सोने के सिक्के दान किए थे. नेताजी नहीं चाहते थे कि आजाद हिन्द की अंतरिम सरकार जापान पर निर्भर रहे. इसलिए चंदा जमा करने की मुहीम लगातार चलाई जाती थी. ऐसी ही एक मुहीम जनवरी 1945 में चलाई गयी थी. मौका था नेताजी के जन्मदिन का. इस मौके पर नेताजी को सोने में तोला गया. एक हफ्ते चले समारोह में 2 करोड़ रूपये और लगभग 80 किलो सोना इकठ्ठा हुआ. देखिए वीडियो.