मणिपुर की मोनिका एक कांफ्रेंस के लिए सिओल जा रही थीं. दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर इमीग्रेशन डेस्क के स्टाफ ने उनकी फोटो देख कर पूछा कि क्या वो पक्का इंडियन हैं. ये खबर तो आपको पता चल ही गई होगी. उन भाईसाहब ने ये भी बोला कि मोनिका को अपनी 'इंडियननेस' जाननी चाहिए. और इसीलिए प्लेन बोर्ड करने आई लड़की से ये पूछने लगे कि भारत में कितने राज्य हैं.नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के साथ इस तरह के नस्लवाद का ये पहला वाकया नहीं है. अक्सर उनसे भारत के राज्य और भाषाओं जैसी जानकारियों के बारे में सवाल किया जाता है. जबकि पूछने वाले को खुद नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के बारे में ज़्यादा कुछ पता नहीं होता. अरे एक बार तो स्कूल में जियोग्राफी की क्लास में हद ही हो गई. हमारे क्लास के बच्चों को भारत के नॉर्थ-ईस्ट के मैप के बारे में कुछ नहीं पता था. उससे ज्यादा तो उन्हें यूरोप के देशों के बारे में पता था.
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आप ही बताइए, ये खबर पढ़ कर बुरा तो बहुत लगा होगा आपको. लेकिन मणिपुर के बारे में हम लोग कितना जानते हैं. मणिपुर की राजधानी इंफाल है. नॉर्थ-ईस्ट में है, तो खूबसूरत ही होगा. और? इसके बाद? हां-हां, बोल दो कि वहां के लोग मोमोज खाते हैं. बस. अच्छा चलिए मणिपुर के बारे में कुछ जानते हैं आज.
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'मणिपुर' का मतलब है, रत्नों से जड़ी हुई जगह. नेहरु तो मणिपुर को 'भारत का रत्न' कहते थे. एंग्लो-मणिपुरी वॉर 1891 में हुआ था. जिसमें मणिपुर हार गया. और इसी के बाद मणिपुर ब्रिटिश सरकार के कंट्रोल में आ गया. वैसे तब भी यहां राजा हुआ करते थे. फिर भारत की आज़ादी के बाद 1949 में मणिपुर आज़ाद भारत का हिस्सा बन गया. 1972 में इसे राज्य का दर्जा मिल गया.दो दिन तो गुजारिये मणिपुर में
यहां आइए. और जरूर घूमिए इन जगहों पर. 1. लोकटक झील ये नार्थ-ईस्ट की सबसे बड़ी फ्रेश वाटर झील है. यहां पेड़-पौधे और खेत कहीं गलने और कहीं तैरने की कंडीशन में रहते हैं. इस सतह को 'फुम्दी' कहते हैं.ऐसी है बोली-भाषा
मणिपुर के लोगों में बहुत डाइवर्सिटी है. सबसे ज्यादा लोग 'मीतेई' ट्राइब के हैं. फिर 'कुकी' और 'नागा'. नागा ट्राइब में और भी ढेरों छोटी-छोटी ट्राइब आती हैं. जैसे तांगखुल, सुमी, लिंगमई और माओ. और इसी वजह से यहां ढेरों बोलियां भी बोली जाती हैं. लेकिन सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा मणिपुरी ही है. यहां अलग-अलग लोग बहुत सारे धर्मों को मानते हैं. हिंदू और क्रिस्चियन धर्म को मानने वाले लोग सबसे ज्यादा हैं. मणिपुर में इसी डाइवर्सिटी की वजह से काफी खींचतान भी चलती रहती है. मीतेई, कुकी और नागा लोगों में अक्सर तकरार होती रहती है.डांस और नाटक
क्या मिलेगा खाने को
लेकिन ऐसा क्यों हुआ मोनिका के साथ?
कंक्रीट के जंगलों में रहने वाले लोग मणिपुर जैसी जगहों को जान ही नहीं पाते, जो प्रकृति की गोद में बसा हुआ है. त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर जैसे राज्य जो भौगोलिक रूप से बॉर्डर की ओर हैं, असल में सामाजिक तौर पर भी हाशिए पर रह जाते हैं. इन राज्यों को हम केवल 'नॉर्थ-ईस्ट' के नाम से जानते हैं. यहां से लोगों को केवल उनके रंग-रूप से समझते हैं. ये जानते हैं कि वो मोमोज खाते हैं. लेकिन हम कभी उनकी भाषा, उनके असल खान-पान और कल्चर को समझने की कोशिश नहीं करते. मोनिका के साथ एअरपोर्ट पर हुआ ये वाकया केवल इमिग्रेशन डेस्क के स्टाफ तक सीमित नहीं. हमारे अंदर भी कूट-कूटकर भरा हुआ है. उस नस्लवाद के रूप में जो हम तब करते हैं जब नॉर्थ-ईस्ट से आए साथियों को 'बहादुर', 'चिंकी' या 'नूडल' बुलाते हैं. मोनिका को सरकार की मदद मिली, आप सरकार की बड़ाई जरूर करें. लेकिन ये याद रखें कि ये नस्लवाद यहीं जन्म लेता है, हमारे बीच. और हम ही इसे बढ़ावा देते हैं.ये स्टोरी 'दी लल्लनटॉप' के साथ इंटर्नशिप कर रही पारुल ने लिखी है.