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2.5 लाख रुपये किलो वाला 'मियाजाकी आम' क्या है, ऐसा क्या खास जो इतना महंगा?

बेहद खास तरीके से उगाया जाने वाला आम भारत में कहां-कहां पाया जाता है?

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मध्य प्रदेश में मियाजाकी आम की रखवाली के लिए कुत्ते और गार्ड्स लगाए गए. (फोटो: Twitter @hvgoenka)

गर्मियों के मौसम में आम की बात जरूर होती है. लखनऊ के पास एक जगह है मलिहाबाद. आमों के बड़े-बड़े बागान हैं. आपको यहां की सड़कों पर आम बिकते दिखेंगे. दशहरी, लंगड़ा, चौसा, अल्फांसो और भी न जाने कौन-कौन से आम. एक किस्म का आम और है. जापान का मियाजाकी (Miyajaki Mango). ये आम आदमी की पहुंच से दूर है क्योंकि इसकी कीमत ढाई लाख रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा है. इस आम को भारत में भी उगाया जाने लगा है.

कहां पैदा होता है मियाजाकी आम? 

ओडिशा के बरगढ़ जिले की तहसील पैकमल. यहां निलाधर गांव में एक किसान हैं चंद्रबाबू सत्यनारायण. अंग्रेजी अखबार डेक्कन क्रॉनिकल से जुड़े अक्षय कुमार साहू की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रबाबू इस कीमती आम को उगाने में सफल हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रबाबू के बगीचे में कई किस्म के आम पहले से हैं और अब वो ओडिशा के बागवानी विभाग से मियाजाकी का पौधा लेकर आए थे. अब उनके बगीचे में ये आम भी उग रहा है.

चंद्रबाबू कहते हैं कि उन्होंने बीते साल बेंगलुरु के एक खरीदार को 20 हजार रुपये में दो मियाजाकी आम बेचे. चार से पांच आम उन्होंने स्थानीय लोगों को भी बेचे. इसके बाद उन्हें हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ने मदर प्लांट से ग्राफ्टिंग कर (कलमें काटकर) कुछ और पेड़ उगाने की सलाह दी. चंद्रबाबू का मानना है कि इस किस्म के और पेड़ उगाकर वो ज्यादा आमों की पैदावार करेंगे. कमाई भी बढ़ेगी.

हालांकि, ये पहली बार नहीं है कि भारत में किसी ने मियाजाकी आम उगाया हो. इससे पहले मध्य प्रदेश के संकल्प परिहार नाम के किसान ने भी मियाजाकी आम उगाए थे. बीते साल आईं ख़बरों के मुताबिक, उन्होंने बाग में इन आमों की रखवाली के लिए बड़ी टाइट सिक्योरिटी बैठाई. कुछ गार्ड्स और कुत्तों को दिन-रात इन आमों की रखवाली के लिए तैनात किया. संकल्प ने तब बताया था कि वो पांच साल पहले नारियल के हाइब्रिड बीज की तलाश में चेन्नई गए हुए थे. तब उन्हें ट्रेन से सफ़र के दौरान एक यात्री ने ढाई हजार रुपये में मियाजाकी का एक पौधा दिया था. संकल्प ने अपनी मां के नाम पर इसका नाम दामिनी रखा. ये शुरुआत में उसी तरह उगा जैसे आम की बाकी नस्लों के पौधे उगते हैं. लेकिन कुछ महीनों बाद इसका रंग लाल हो गया.

मियाजाकी आम इतना खास क्यों है?

जापान के क्यूशू प्रांत में मियाजाकी नाम का एक शहर है. ये आम जापान के प्रांत ओकिनावा के अलावा मूल रूप से इसी शहर में पाया जाता है. हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, मियाजाकी आम की मियाजाकी शहर में पैदावार 70 और 80 के दशक में शुरू हुई थी. इस शहर का गर्म मौसम, पर्याप्त धूप और पर्याप्त मात्रा में बारिश इस आम की पैदावार के लिए मुफीद है. मियाजाकी शहर से इसकी पैदावार शुरू होने के कारण ही इसे मियाजाकी आम कहते हैं. एक मियाजाकी आम का वजन करीब 350 ग्राम होता है. ये आम 900 ग्राम तक वजनी भी हो सकता है. इसे जापानी भाषा में ताइयो-नो-तोमागो कहा जाता है. जिसका अर्थ है- सूरज का अंडा. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका कलर रूबी रेड (गहरा लाल) है और ये आकार में डायनासोर के अंडे की तरह है. जबकि, भारत और समूचे दक्षिण-पूर्वी एशिया में पीले या हल्की लालिमा वाले आमों की ही पैदावार होती है.

रंग के आलवा इस आम की कुछ और खासियतें भी जान लेते हैं-
-मियाजाकी लोकल प्रोडक्ट्स एंड ट्रेड प्रमोशन सेंटर के मुताबिक, इन आमों की पैदावार अप्रैल से अगस्त के बीच होती है.
-मियाजाकी आम दुनिया भर में बिकने वाले आमों में सबसे महंगा है. मियाजाकी और ओकिनावा से ये आम पूरे जापान में भेजा जाता है. विदेशी बाजार में इसकी कीमत करीब ढाई लाख रुपये एक किलो है.

आप पूछेंगे कि ये आम इतना महंगा क्यों है?

दरअसल, इन आमों में बाकी आमों की तुलना में 15 फीसद तक ज्यादा शुगर कॉन्टेंट होता है. इसके अलावा इसमें, एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. साथ ही बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड की अच्छी मात्रा होती है. ये आम उन लोगों के लिए बड़े फायदे का माना जाता है जिनकी आंख की रौशनी कम होती है.

मियाजाकी आम के महंगे होने की एक और वजह ये भी है कि इनकी पैदावार दूसरी आम की प्रजातियों की तरह आसान नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, जापानी किसान इन आमों को एक छोटे से जाल में लपेटते हैं. ताकि इनपर सूरज की रौशनी समान रूप से पड़े. और पूरे आम का रंग गहरा लाल हो सके. इसके बाद इसे पूरी तरह पकने के बाद ही पेड़ से खुद एक जाल पर गिरने दिया जाता है. माने इसे तोड़ा नहीं जाता. मियाजाकी आम को एक्सपोर्ट करने से पहले कई तरह की टेस्टिंग से गुजरना होता है. टेस्टिंग की पूरी प्रक्रिया से गुजरने वाले सबसे अच्छी क्वालिटी के आमों को 'एग्स ऑफ़ सन' यानी 'सूरज के अंडे' कहा जाता है.

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