e-Rupi आखिर है क्या?
तो पहले e-Rupi को ही समझ लेते हैं. हमारे यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक बयान का खूब ज़िक्र होता है. जो उन्होंने 1985 के साल में ओडिशा के कालाहांडी में दिया था. कि अगर दिल्ली में बैठी केंद्र की सरकार एक रुपया खर्च करती है तो लोगों के पास सिर्फ 15 पैसे ही पहुंचते हैं. बाकी के 85 पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं. तो सरकारी सिस्टम में ये चैलेंज हमेशा रहा है कि जिस आदमी पर पैसा खर्च किया जा रहा है, पूरा लाभ उसी को मिले. ये बीच की छीजत कम करने के लिए सरकार डीबीटी स्कीम लेकर आती है. डीबीटी आप जानते ही हैं, सीधे लाभार्थियों के अकांउट में पैसा भेजने की योजना. अब सरकार अकाउंट में पैसा तो सरकार ने भेज दिया, लेकिन क्या उस पैसे का इस्तेमाल उस काम के लिए हुआ, जिसके लिए पैसा भेजा गया था? ये कैसे तय होगा? इसके लिए सरकार डीबीटी वाली योजनाओं में पहले से कई नियम-शर्तें चला रही है. जैसे अगर गैस सिलेंडर की सब्सिडी तभी मिलती है जब सिलेंडर खरीदा जाए. लेकिन सरकार अब डीबीटी से भी एक कदम आगे जा रही है. ऐसा तरीका ला रही है कि जिसमें ना बैंक अकाउंट की ज़रूरत पड़े और ना कोई पैसे की लेनदेन हो. और लाभार्थी तक जो फायदा पहुंचाना हो, वो भी पहुंच जाए. सरकार को जिसे भी किसी योजना का लाभ देना हो, उसके मोबाइल पर एक कोड या कूपन भेज दे. वो कूपन वही आदमी इस्तेमाल कर सके, जिसे भेजा गया हो. और उसी काम के लिए इस्तेमाल कर सके जिसके लिए कूपन दिया गया है. यही काम होगा e-Rupi के तहत. बेहतर तरीके से समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं. मान लीजिए सरकार वैक्सीन लगवाने के लिए गरीबों को पैसा देना चाहती है. उसका एक तरीका तो ये हो सकता है कि डीबीटी से अकाउंट में पैसा ट्रांसफर किया जाए. अब इसमें दिक्कत ये हो सकती है कि कई लोगों के बैंक अकाउंट ही ना हो. अब मान लीजिए यहां सरकार e-Rupi का इस्तेमाल करती है. जिसे वैक्सीन लगवाने का लाभ देना है, उसके मोबाइल पर एक क्यूआर कोड भेजती है. क्यू आर कोड आप जानते ही होंगे, चौकार बॉक्स में भूलभुलैया जैसी उल्टी-सीधी लाइनें बनी आती हैं, जो डिजिटल पेमेंट के टाइम स्कैन की जाती हैं. तो अब ये इस तरह से कोडेड होगा कि सिर्फ वैक्सीन के लिए ही इस्तेमाल हो. और उसी आदमी के लिए इस्तेमाल होगा, जिसके फोन पर ये आया है. वैक्सीन के लिए लाभार्थी के मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाएगा. फिर लाभार्थी टीकाकरण केंद्र जाकर क्यूआर कोड दिखाएगा. वैक्सीन लगाने वाले क्यू आर कोड को स्कैन करेंगे. जिसके बाद लाभार्थी के मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा. ये ओटीपी बताने पर वैक्सीन का पेमेंट सीधा टीका लगाने वाले अस्पताल के पास चला जाएगा. और जिसने ये क्यूआर कोड जारी किया गया था, उसके पास भी संदेश चला जाएगा कि इसका इस्तेमाल हो चुका है. हमने वैक्सीन का केवल उदाहरण मात्र दिया है. इसकी जगह कोई और योजना भी हो सकती है. और ऐसा भी नहीं है कि इसे सिर्फ सरकारी योजनाओं के लिहाज से तैयार किया गया है. सरकारी, प्राइवेट कोई भी संस्था इस योजना से लेन-देन कर सकती है.नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बनाया है इसे
अब इसके कुछ तकनीकी पहलुओं की बात करते हैं. इसे तैयार किया है नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने. NPCI को आरबीआई ने बैंकों के साथ मिलकर शुरू 2008 में शुरू किया था, जो बैंकों के बीच इंस्टेंट पेमेंट को मैनेज करती है. इसी ने भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस, माने UPI को तैयार किया है. और e-Rupi को भी NPCI ने ही बनाया है. अब बात आती है कि e-Rupi जारी कैसे होगा? e-Rupi का कुछ बैंकों के साथ टाईअप है. अगर सरकारी विभाग या प्राइवेट कंपनी को e-RUPI वाउचर जारी करने हैं तो उसे उन बैंकों से संपर्क करना पड़ेगा. इसमें प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के बैंक शामिल हैं. कुछ बैंक e-Rupi वाउचर जारी करेंगे, तो कुछ वाउचर के बदले कैश भी देंगे. इस तरह से e-Rupi एक प्रीपेड वाउचर की तरह है. e-Rupi को इस्तेमाल अभी सरकार, स्वाथ्य को लेकर चल रही योजनाओं में करेगी. जैसे टीबी इलाज के कार्यक्रम, आयुष्मान भारत योजना जैसी स्कीम.डिजिटल करेंसी शुरू होने वाली है?
क्या e-Rupi को शुरू करना सरकार का डिजिटल करेंसी शुरू करने की तरफ एक कदम है. e-Rupi पूरी तरह से तो डिजिटल करेंसी नहीं है, लेकिन लगभग वैसा ही तरीका है. e-Rupi में वाउचर के बदले से सर्विस प्रोवाइडर को डीबीटी करना पड़ेगा, यानी अभी वाली करेंसी ही भेजी जाएगी. लेकिन डिजिटल करेंसी में पूरा मामला डिजिटल ही होगा. जानकार ये मान रहे हैं कि e-Rupi से सरकार ये देखना चाहती है कि डिजिटल पेमेंट के लिए अभी जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, उसमें कहां गैप हैं. कितनी और तैयारी की ज़रूरत है. चीन अपनी डिजिटल करेंसी शुरू कर चुका है. दुनिया के और भी देशों में इस पर काम चल रहा है. और भारत भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता. क्रिप्टोकरेंसी जब शुरू हुई तब इसे लेकर कई तरह के शक-शुबहा थे. आईबीआई ने इसे लेकर कई चेतावनियां दी थीं. डिजिटल करेंसी को लेकर अभी ये भी शंकाएं हैं कि ये कितनी सेफ होगी. क्योंकि हम ऑनलाइन फ्रॉड के भी बहुत मामले देखते हैं. हालांकि इसकी हिमायत करने वाले खूब तारीफ करते हैं. क्रिप्टो करेंसी पर यूनाइटेड नेशंस के एक्सपर्ट रहे मासिमो ब्यूनोमो का इकनॉमिक टाइम्स अखबार में बयान मिलता है. वो कहते हैं कि अगर सभी देश डिजिटल करेंसी अपना लेते हैं तो लोगों को बहुत फायदा हो सकता है. बैंक के लिए, क्रेडिट कार्ड के लिए या डेबिट कार्ड के लिए जो उन्हें चार्ज देने पड़ते हैं, वो भी नहीं देने पड़ेंगे और ये सामान्य बैंकिंग से ज़्यादा सुरक्षित होगा. कुल जमा बात ये कि डिजिटल करेंसी ही भविष्य की राह है. लेकिन पैसे को लेकर जिस तरह के नियमन की ज़रूरत है, जैसे भरोसे की ज़रूरत है, वो तभी आ पाता है जब RBI जैसी कोई संस्था के देखरेख में लेनदेन हो. भारत सरकार जो पहल कर रही है, उससे डिजिटल करेंसी की सहूलियत के साथ-साथ सरकारी नियमन का भरोसा भी होगा. लेकिन ये प्रयोग कितना सफल रहेगा, समय ही बता सकता है.वीडियो- सोशल लिस्ट: CCTV फुटेज वायरल हुई, लखनऊ की लड़की को अरेस्ट करने की मांग होने लगी
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