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पीएम मोदी वाली BBC डॉक्यूमेंट्री बैन पर विदेशी मीडिया में क्या छपा?

ऋषि सुनक ने पीएम मोदी का बचाव किया.

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भारत के पीएम नरेंद्र मोदी

ब्रिटिश ब्रॉडकॉस्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) की पीएम मोदी पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘इंडिया: द मोदी क़्वेश्चन’ का दूसरा ऐपिसोड रिलीज हो गया है. ये भारत के दर्शकों के लिए उपलब्ध नहीं है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इसे भारत में डाउनलोड कर दिखाया जा रहा था. भारत सरकार ने आपातकालीन कानूनों का इस्तेमाल कर इस पर पाबंदी लगा दी है. फिर भी इसके ऊपर चल रही चर्चा खत्म होने का नाम नहीं ले रही. 24 जनवरी को नई दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के स्टूडेंट यूनियन ने इसकी स्क्रीनिंग रखी. लेकिन उससे पहले ही बिजली काट दी गई. आरोप ये भी हैं कि लैपटॉप और मोबाइल पर डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पत्थरबाजी हुई. इससे पहले विपक्ष के कई नेता सरकार पर आलोचना को दबाने का आरोप लगा चुके हैं. देश में मचे इस बवाल के इतर विदेशी मीडिया में भी डॉक्यूमेंट्री बैन की ख़बर सुर्खियां बटोर रहीं है.

इससे पहले कि हम ये जानें कि विदेशी मीडिया में क्या लिखा जा रहा है? ब्रीफ़ में ये जान लीजिए कि इस पर तनाव क्यों बढ़ रहा है?

दावा किया गया है कि डॉक्यूमेंट्री में 2002 के गुजरात दंगों को नई नज़र से देखा गया है. इसमें कहा गया है कि 2002 में गुजरात में जो कुछ हुआ, उसमें जातीय नरसंहार के पूरे निशान मौजूद थे. और, इसकी ज़िम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की थी. इसमें ब्रिटिश सरकार की एक खुफिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इसमें बीजेपी के पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता का भी बयान है. पहले पार्ट का फ़ोकस गुजरात दंगे और पीएम मोदी पर लगाए गए आरोपों पर है. जबकि दूसरे पार्ट में 2019 के बाद के नरेंद्र मोदी को केंद्र में रखा गया है.
सत्ताधारी बीजेपी का कहना है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने पीएम मोदी को सभी आरोपों से बरी किया हुआ है. ऐसे में उनके ऊपर लांछन लगाना ग़लत है. इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची भी नाराज़गी जता चुके हैं.

ये तो हुई भारत की बात. अब ये जान लेते हैं कि बाकी दुनिया में क्या चल रहा है?

क़तर के मीडिया संस्थान अल जज़ीरा ने सुर्खी लगाई है,

India blocks BBC documentary on Modi’s role in Gujarat riots
भारत ने गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ब्लॉक की

अल जज़ीरा ने लिखा है,

‘भारत में डॉक्यूमेंट्री को बैन कर दिया गया है. साथ ही इसकी क्लिप्स को सोशल मीडिया में चलाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है. डॉक्यूमेंट्री के पहले एपिसोड में मोदी के उदय को दिखाया गया है. मोदी उस समय गुजरात के सीएम थे, दंगों में हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे. उनमें अधिकांश मुसलमान थे. हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक ट्रेन में आग लगने के बाद हिंसा भड़की थी, जिसमें 59 लोगों की जान गई थी. पहली दफा यूके सरकार की उस रिपोर्ट का ज़िक्र किया गया है जिसमें कहा गया था कि इन दंगों में जातीय नरसंहार के सभी निशान मौजूद थे.’

ब्रिटिश अख़बार गार्डियन की सुर्खी है,

India invokes emergency laws to ban BBC Modi documentary
भारत ने मोदी पर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने के लिए आपताकालीन कानूनों का इस्तेमाल किया

अखबार ने लिखा,

मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री के बैन होने से भारत में विवाद शुरू हो गया है. डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि दंगों के समय कैसे वेस्टर्न डिप्लोमेट्स और ब्रिटिश सरकार ने मोदी के बर्ताव की आलोचना की थी. गुजरात दंगों के दौरान हुई हिंसा में मिलीभगत के आरोपों से मोदी लंबे वक्त से परेशान हैं. गुजरात पुलिस पर आरोप हैं कि दंगों के दौरान वो सीएम मोदी के साथ खड़ी रही. और दंगों को रोकने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया. इतना ही नहीं बल्कि पुलिस पर ये आरोप भी लगे कि दंगों के दौरान उसने हिंदू चरमपंथियों का मौन समर्थन किया था.  

बांग्लादेशी अखबार ढाका ट्रिब्यून ने लिखा,

India blocks BBC documentary on PM Modi
भारत ने पीएम मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाया

अखबार लिखता है कि, डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि गुजरात दंगों के दौरान 1 हज़ार से ज़्यादा मुसलमानों की हत्या की गई थी. मोदी दंगों को रोकने में विफल रहने के आरोपों से इनकार करते रहे हैं. भारत की हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी BJP ने लगातार मोदी को आगे बढ़ाया. 2014 और 2019 में मोदी की लीडरशिप में पार्टी ने जीत हासिल की.  ढाका ट्रिब्यून ने डॉक्यूमेंट्री की JNU में हुई स्क्रीनिंग पर भी ख़बर चलाई.

लंदन बेस्ड वेबसाइट मिडिल ईस्ट आय ने सुर्खी चलाई

BJP accuses BBC of 'visceral political hatred' for Modi as documentary fallout spirals
बीजेपी ने डॉक्यूमेंट्री पर मचे बवाल के बाद बीबीसी पर मोदी के ख़िलाफ़ राजनैतिक घृणा फैलाने का आरोप लगाया

वेबसाइट ने लिखा,

मोदी सरकार ने BBC की डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाने के लिए इमरजेंसी लॉज़ का इस्तेमाल किया है. इस डॉक्यूमेंट्री में 2002 के दंगों के दौरान बतौर सीएम नरेंद्र मोदी के रोल पर बात की गई है. इन दंगों में महज़ 3 दिन के भीतर लगभग 2 हज़ार मुसलमान मारे गए थे.

मिडिल ईस्ट आई ने इस बैन पर बीजेपी नेता शाज़िया इल्मी से बात चीत की. इसमें शाज़िया ने भारत सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि, ‘झूठे आरोपों के आधार पर समाज में अशांति क्यों पैदा करें? भारत G20 की मेजबानी कर रहा है. क्या आपको नहीं लगता कि ये डॉक्यूमेंट्री दूसरे देशों के साथ भारत के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी?’

अमेरिकी मैगज़ीन टाइम ने अपनी रिपोर्ट का शीर्षक दिया है,

Why India Is Using Emergency Laws to Ban a Documentary About Prime Minister Modi
भारत, पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के लिए आपातकालीन कानूनों का इस्तेमाल क्यों कर रहा?

मैगज़ीन ने लिखा है,

गुजरात 2002 के दंगों को उकसाने में मोदी की मिलीभगत का सवाल पूरी दुनिया में सालों से उठता रहा है. लेकिन BBC की ये डॉक्यूमेंट्री इस भूमिका को एक कदम और आगे ले जाती है. इसमें कई विशेषज्ञों की टिप्पणी भी शामिल है. इसमें ब्रिटेन सरकार की उस रिपोर्ट का भी ज़िक्र है जिसमें मोदी को दंगों के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया गया है. हालांकि डॉक्यूमेंट्री में BJP के नेताओं के भी इंटरव्यू शामिल किए गए हैं. जिसमें उन्होंने दंगों में मोदी की भूमिका ने इनकार किया है.

अमेरिकी न्यूज़ चैनल CNN ने अपनी वेबसाइट पर सुर्खी चलाई,

India bans BBC documentary on PM Modi’s role in Gujarat riots
भारत ने गुजरात दंगों में पीएम मोदी की भूमिका पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाया

CNN ने लिखा कि भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री की क्लिप्स यूट्यूब और ट्विटर पर भी शेयर करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसका जवाब जानने के लिए CNN ने ट्विटर और यूट्यूब से संपर्क किया है लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.

ये तो थी डॉक्यूमेंट्री पर विदेशी अखबारों में हुई चर्चा. अब जानते हैं कि विदेशी नेताओं के इसपर क्या रिएक्शन आए हैं?

ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने पीएम मोदी का बचाव करते हुए कहा है कि वो डॉक्यूमेंट्री में पीएम मोदी की दिखाई गई छवि से सहमत नहीं हैं. ये जवाब उन्होंने संसद में तब दिया जब एक एक पाकिस्तानी मूल के सांसद ने उसने ये सवाल किया था.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा कि ‘मैं बीबीसी डॉक्यूमेंट्री से जुड़े विवरण से परिचित नहीं हूं. हालांकि, मैं उन साझा मूल्यों से बहुत परिचित हूं जो अमेरिका और भारत जैसे जीवित लोकतंत्रों के बीच कायम हैं.

इसके अलावा न्यूयॉर्क स्थित मानवाधिकार संस्था 'ह्यूमन राइट्स वॉच' ने डॉक्यूमेंट्री के बैन की आलोचना की है. कहा है कि ये क़दम आलोचना पर लगाम लगाने की सरकार की एक और कोशिश है.

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