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क्रिप्टो में निवेश का A to Z ज्ञान यहां मिलेगा

क्रिप्टो ट्रेडिंग के बेसिक टिप्स जान लो वरना पछताओगे

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फोटो सोर्स- आजतक
पिछले एपिसोड में हमने ब्लॉकचेन तकनीक पर बात की थी,आपको बताया था कि बिटकॉइन के लिए शुरुआती आधार मुहैया कराने से लेकर आज ब्लॉकचेन कई नए यूज़ केसेज़ के लिए एक बढ़िया तकनीक का काम कर रहा है. लेकिन ब्लॉकचेन को इतनी अपार लोकप्रियता मिली तो उसका श्रेय बेसिकली क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग को जाता है. आज क्रिप्टो ट्रेडिंग, निवेश की दुनिया में एक बड़ा बज़ (buzz) क्रिएट कर चुकी है. लोग इसे इन्वेस्टमेंट का बढ़िया तरीका मानते हैं, हालांकि कुछ लोग हैं जो ऐसा नहीं भी सोचते. पर इस सबके बीच, क्रिप्टो का क्रेज है और क्रिप्टो ट्रेडिंग एक हॉट टॉपिक. चूंकि दुनिया डिजिटलाइज़ हो रही है, और क्रिप्टोकरेंसीज इस दुनिया के भविष्य का एक ऐसा पहलू  है जिसे नकारा नहीं जा सकता. ऐसे में क्रिप्टो ट्रेडिंग क्या है, ये समझना बेहद ज़रूरी हो जाता है. इसलिए आज बात क्रिप्टो ट्रेडिंग की बारीकियों पर. क्रिप्टो ट्रेडिंग- CFD यानी कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस पर ट्रेडिंग एकाउंट बनाकर भी क्रिप्टो में ट्रेडिंग की जा सकती है. दूसरा ये कि इन एकाउंट्स के जरिए किसी क्रिप्टो करेंसी के प्राइस के उतार-चढ़ाव का अंदाजा भी लगाया जा सकता है और क्रिप्टोज़ में किसी एक्सचेंज के माध्यम से ट्रेड किया जा सकता है. जिसके लिए एक्सचेंज पर एकाउंट बनाने की ज़रुरत होती है. ट्रेडिंग से जुड़ी कुछ बातें समझ लेते हैं.
# क्रिप्टो करेंसी मार्केट हफ्ते के सात दिन, 24 घंटे ऑपरेट करती है. माने, क्रिप्टो में ट्रेड करने का कोई बेस्ट या वर्स्ट (worst) टाइम नहीं होता. क्यों?  क्योंकि क्रिप्टो दुनिया भर में ट्रेड की जाती हैं, इसीलिए अलग टाइम जोन होने का कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता. आखिर क्रिप्टो मार्केट किसी न किसी जोन(zone) में हमेशा ही एक्टिव रहती है.
# ट्रेडिंग के लिए क्रिप्टो कॉइन का चुनाव करने से पहले मार्केट के बारे में जानकारी तो होनी ही चाहिए, एक सही स्ट्रेटेजी भी ज़रूरी है. क्योंकि  जहां बाज़ार है वहां कम्पटीशन और प्राइस का उतार-चढ़ाव भी. स्टॉक्स में निवेश किया है तो बेसिक जानकारी आपको होगी ही. नहीं भी है तो ऑटोमेटेड (automated) ट्रेडिंग या बोट्स की मदद भी ले सकते हैं.
# अगर आप एक्टिवली क्रिप्टो में ट्रेड करते हैं तो आपको अपने फंड्स, एक्सचेंज पर स्टोर करने होंगे, ताकि आप जब चाहें उन्हें एक्सेस कर पाएं. साथ ही, अगर आप कम या ज्यादा वक़्त के लिए क्रिप्टो-करेंसी खरीद रहे हैं, तो आपके पास क्रिप्टो वॉलेट होना चाहिए. क्रिप्टो वॉलेट तरह  दो प्रकार होते हैं – सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर. हार्डवेयर वॉलेट  बेस्ट सिक्योरिटी देते हैं. लेकिन अगर आप चाहें तो सॉफ्टवेर वॉलेट भी इस्तेमाल कर सकते हैं. जिसके लिए गूगल क्रोम, iOS, वगैरह पर काफी ऑप्शंस फ्री में उपलब्ध हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर सोर्स- Reuters
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- Reuters)


ट्रेडिंग से जुड़ा एक और जरूरी कॉन्सेप्ट है स्कैल्पिंग (Scalping) इसे भी समझ लें. Scalping- मूवी टिकट ब्लैक करने वालों को देखा सुना जरूर होगा. मूवी टिकट ब्लैक करने वाले टिकट काउंटर से टिकट्स खरीद लेते हैं और दिन भर मूवी हॉल के बाहर जब भी टिकट की मारा-मारी होती है टिकट्स को ऊंचे दाम पर बेचते रहते हैं. मुनाफ़ा कमाने की यही तरकीब जब इंवेस्टमेंट की दुनिया में आजमाई जाती है तब इसे Scalping कहते हैं. अंतर दो हैं एक तो मूवी टिकट ब्लैक करना इललीगल है जबकि Scalping लीगल, और दूसरा कि मूवी टिकट का बेस प्राइस एक ही रहता है, जबकि स्कैल्पिंग तभी होती है जब प्राइस में बढ़ोत्तरी हो. मोटा-माटी कहें तो एक ही दिन में कई बार शॉर्ट टर्म के लिए किसी क्रिप्टो कॉइन की की खरीद और बिक्री करके मुनाफ़ा कमाना क्रिप्टो की Scalping कहा जा सकता है.
बेशक, 24 घंटे होती एक्टिव ट्रेडिंग, ट्रेड करने के मौके देती है, पर इसके साथ ही रिस्क भी शामिल होता है. इसीलिए रिस्क मैनेजमेंट टूल्स का होना भी जरूरी है, ताकि अगर आप मार्किट को मॉनिटर नहीं भी कर पा रहे हों, तब भी नुकसान से बचे रह सकें. ऐसे में एक जुगत है – स्टॉप लॉस (stoploss). क्या है, आइए जानते हैं. स्टॉप लॉस- कहते हैं न कि दुर्घटना से देर भली. स्टॉप लॉस भी इसी तरह का एक आसान सा कांसेप्ट है. जैसा कि नाम से जाहिर है - स्टॉप लॉस माने, नुकसान को लिमिट करना.  ये एक ऐसा एक टूल है जो ट्रेडिंग लॉस को सीमित रखता है, आपको शुरुआत में थोड़ा नुकसान होगा लेकिन आगे आप बड़े नुकसान से बचे रहते हैं. स्टॉप लॉस में दरअसल एक प्राइस सेट करना होता है. उदाहरण से समझते हैं.
मान लीजिए आपने 100 रूपए की कोई क्रिप्टो करेंसी खरीदी , और SL यानी स्टॉप लॉस 95 रूपए पर लगा दिया. अब अगर इसी क्रिप्टो की कीमत घटकर 83 हो जाती है तो भी आपका नुकसान 17 रुपये का नहीं, 5 रुपये का ही हुआ है! क्यों? क्योंकि आपने पहले ही 95 रूपए पर स्टॉपलॉस सेट कर दिया था.
शुरुआती लॉस जरूर हुआ, लेकिन ये भी तो नहीं कहा जा सकता कि प्राइस और नहीं गिरेगा. और अगर प्राइस कीमत गिरती है तो आप अपनी इन्वेस्टमेंट से ज़्यादा पैसा लूज़ कर सकते हैं. पर SL ऐसा होने नहीं देता. कुल-मिलाकर हालात बद से बदतर नहीं होने देता. दूसरा ये भी है कि आप मार्केट में होते बदलाव के मुताबिक़ SL घटा बढ़ा भी सकते हैं.
इसके अलावा क्रिप्टो ट्रेडिंग में नुकसान से बचने के लिए Do’s और Dont’s की एक लिस्ट बनाई जा सकती है. क्रिप्टो ट्रेडिंग में क्या करें- # क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए एक स्ट्रेटेजी तैयार रखें, ताकि आप स्कैम्स से बच सकें. ट्रेड और इन्वेस्ट करते समय नजरिया आलोचनात्मक रखना चाहिए. यानी क्रिटिकल अप्रोच. ख़ासकर तब जब कोई थर्ड पार्टी आपकी मदद करने का दावा करे. क्रिप्टो ट्रेडिंग के दौरान आप इससे जुड़े तमाम ग्रुप्स और सोर्सेज़ से रूबरू होते हैं, ऐसे में बैकग्राउंड की जांच भी करते रहिए. Action Fraud के मुताबिक, 2021 के पहले 9 महीनों में क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट से जुड़े स्कैम्स का आंकड़ा 7,118 पहुंच गया था. ये आंकड़ा 2020 से 30% ज्यादा था.
# आपने सुना होगा, ‘Don’t put all your eggs in one basket’ ये कहावत क्रिप्टो ट्रेडिंग में भी फिट बैठती है. केवल किसी एक क्रिप्टो–करेंसी में इन्वेस्ट करने के बजाय अलग-अलग क्रिप्टो और डिजिटल करेंसीज में इन्वेस्ट करना चाहिए. ताकि अगर किसी एक क्रिप्टो का मार्केट क्रैश हो जाए तो भी आप बड़े नुकसान से बचे रहें.
# तीसरी और जरूरी बात ये हुई कि क्रिप्टो में बहुत ज्यादा शॉर्ट टर्म ट्रेड करने से बचना चाहिए. हालांकि इस मार्केट में उतार-चढ़ाव बहुत तेज आते हैं लेकिन ये सलाह दी जाती है, कि आपके क्रिप्टो इंवेस्टमेंट का कुछ हिस्सा ऐसे कॉइन्स में हो जिनकी कीमत लॉन्ग टर्म के लिहाज से थोड़ी स्टेबल हो, यानी जिनमें बहुत जल्दी उतार-चढ़ाव न होता हो.
# अफवाहों से बचें और दूसरों की देखा-देखी इंवेस्टमेंट की स्ट्रेटेजी न बनाएं. अपनी रिसर्च, क्रिप्टो मार्केट की सही जानकारी और जिस क्रिप्टो में इन्वेस्ट करना है उसकी गहरी एनालिसिस के बाद ही पैसा लगाएं.
एनालिसिस सॉफ्टवेयर(फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
एनालिसिस सॉफ्टवेयर(फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

क्रिप्टो ट्रेडिंग में क्या न करें- अब बात कर लेते हैं कि क्रिप्टो ट्रेडिंग में क्या नहीं करना चाहिए.
# अपने डिजिटल वॉलेट या हार्ड-ड्राइव, जहां भी आपके क्रिप्टो एसेट स्टोर्ड हैं, उसके पासवर्ड को हमेशा याद रखिए. याद नहीं रख सकते, तो किसी सेफ जगह लिख कर रख लीजिए.
# संभावित खतरों की बात करें तो क्रिप्टो के बारे में एक बात बहुत साफ़ है कि नफ़ा-नुकसान और कॉइन्स के प्राइसेज़ का उतार-चढ़ाव यहां बहुत तेजी से होता है. हालांकि क्रिप्टो की खासियत भी ये है कि यहां कम पैसा लगाकर भी ज्यादा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है, पेनी क्रिप्टो, यानी कि बेहद कम कीमत के कॉइन्स लुभाते भी इसीलिए हैं कि इनमें हाई रिटर्न मिल सकता है, लेकिन किसी भी कॉइन में सिर्फ इसलिए पैसा न लगाएं क्योंकि वो बहुत सस्ता है, बल्कि उस कॉइन की एनालिसिस करें.
# किसी क्रिप्टोकरेंसी के कितने कॉइन मार्केट ट्रेड में आ गए हैं, टॉप क्रिप्टो एक्सचेंजेज़ पर वो लिस्टेड है या नहीं. पंप एंड डंप स्कीम जैसा कुछ तो नहीं है, ये तय किए बिना किसी भी नई करेंसी में इन्वेस्ट न करें.
# किसी क्रिप्टो के पिछले कुछ दिनों का मार्केट फ्लो चार्ट देखे बिना उसकी खरीद न करें. क्रिप्टो स्कैम- क्रिप्टो में क्या करें, क्या न करें के अलावा एक बड़ा ख़तरा और भी है, जिस पर हमारा कंट्रोल तो नहीं है, लेकिन जानकारी रखने से हम इस खतरे से बच सकते हैं. हम जानते हैं कि किसी क्रिप्टो की नक़ल नहीं उतारी जा सकती, क्रिप्टो इंडस्ट्री डिसेंट्रलाइज्ड है, इसलिए सुरक्षित भी है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि क्रिप्टो-करेंसी में धोखाधड़ी नहीं हो सकती. क्रिप्टोवर्ल्ड  ने हर तरह के लोगों को आकर्षित किया है – स्कैमर्स को भी! ज्यादातर, क्रिप्टो स्कैमर्स लोगों की प्राइवेट इनफार्मेशन जैसे सिक्योरिटी कोड्स वगैरह पाने की कोशिश करते हैं. अमूमन, ऐसे स्कैम्स के पीछे दो इरादे होते हैं, एक या तो यूजर के डिटेल्स हथिया कर उनके डिजिटल वॉलेट को हैक कर लेना दूसरा यूजर के अकाउंट से किसी न किसी तरह स्कैमर के एकाउंट में क्रिप्टो ट्रांसफर कर लेना.
इसके कुछ तरीके भी हैं. मसलन फिशिंग, रोमांस स्कैम्स, एक्सटोर्शन ईमेल्स, सोशल इंजीनियरिंग स्कैम्स वगैरह. साल 2017 का NHS Ransomeware Hack या  WannaCry cyber attack इसका एक बड़ा उदाहरण है. सबसे कॉमन स्कैम्स में से एक, फिशिंग है. जिसमें टारगेट को ऐसे सोर्स से इमेल्स भेजे जाते हैं, जो भरोसेमंद लगें.
सवाल है कि क्या इन स्कैम्स से बचना मुमकिन है? इसका जवाब काफ़ी हद तक हां है. कुछ हिंट्स आपको स्कैमर्स खुद दे देते हैं, जिन पर आपकी शक की सुई घूम जानी चाहिए. मसलन,
# क्रिप्टो में मुनाफ़े की गारंटी जैसा कुछ नहीं है. अब अगर आपको कोई ज्यादा मुनाफे की गारंटी दे तो सचेत हो जाइए. ये धोखाधड़ी की कोशिश हो सकती है.
# ‘फ्री-मनी प्रॉमिस’ हमेशा फ़ेक ही होते हैं , कहीं ऐसा कुछ हो जहां फ़्री क्रिप्टो देने जैसा वादा किया जा रहा हो, फ़ौरन वहां से रास्ता बदल लेना ही ठीक है.
# बात चाहें क्रिप्टो की हो या दूसरे किसी एसेट के पोर्टफोलियो की, किसी भी सूरत में अपने पासवर्ड या कीज़ किसी से भी शेयर न करें.
क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी एक और ज़रूरी बात है इसकी मार्केट का अचानक क्रैश होना. थोड़ी चर्चा इसकी भी कर लें. क्रिप्टो मार्केट क्रैश- किसी कंपनी के शेयर्स तेजी से घटने या बढ़ने लगें तो उसके पीछे सॉलिड वजहें होती हैं. कंपनी की पॉलिसीज़ में बदलाव, किसी बड़े इंवेस्टमेंट के आने या जाने जैसे इवेंट्स और कंपनी का बिज़नेस. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी न तो कोई कमोडिटी है और न ही कोई सर्विस. दुनिया भर में इसकी क्लास तय करने पर बहस चल रही है. ऐसे में क्रिप्टो करेंसीज़ के प्राइस पर चलने वाला ये बाज़ार काफ़ी उतार-चढ़ाव वाला है, बेशक ये एक मनी मेकिंग फ़ॉर्मूला तो है, लेकिन कब मार्केट कितना गिर जाए कह नहीं सकते. इसीलिए छोटे-छोटे इवेंट्स ही इस मार्केट पर बड़े इफ़ेक्ट डाल देते हैं. डॉजकॉइन की मिसाल ले लीजिए. एलन मस्क के ट्वीट ने मजाक में शुरू किए गए इस मीम बेस्ड कॉइन को कहां से कहां ला दिया. हालांकि उसके बाद ये तेजी से गिरा भी. और अब डॉजकॉइन के चाहने वाले इसे 1डॉलर के प्राइस तक लाना चाहते हैं. दूसरा बड़ा एक्जाम्पल बिटकॉइन का है. जिसकी कीमतें अब तक कई बार तेजी से घट-बढ़ चुकी हैं. कुल-मिलाकर कहें तो क्रिप्टो बाज़ार, संभावनाओं, अटकलों और मैनीपुलेशन पर चलता है. दूसरा ये कि दुनियाभर के देशों में इसे लेकर नियामकों का रुख भी साफ़ नहीं है, ऐसे में कहीं से क्रिप्टोज़ पर बैन की झूटी खबर भी आ जाए तो इनकी कीमतें धड़ाम हो जाती हैं. यूं भी जब किसी बाज़ार पर अनिश्चितता का ठप्पा लग जाए तो अफवाहों का असर भी उस पर ज्यादा होता है. ऐसे में क्रिप्टो की मार्केट क्रैश हो जाना एक ऐसा फैक्टर है जिससे इनकार नहीं कर सकते.
डॉजकॉइन को लेकर एलन मस्क का मीम (फोटो सोर्स- इंडिया टुडे)
डॉजकॉइन को लेकर एलन मस्क का मीम (फोटो सोर्स- इंडिया टुडे)


हालांकि दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके दो पहलू न हों. क्रिप्टो ट्रेडिंग में कुछ सावधानियों की ज़रूरत तो है ही, इसके कुछ फीचर ऐसे भी हैं जो इसे बेहद सेक्योर बनाते हैं. मसलन, क्रिप्टो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर है जोकि एक डिसेंट्रलाइज्ड लेजर सिस्टम है. इसलिए यहां हर लेन-देन को ब्लॉकचेन से जुड़े नोड्स verify करते हैं. इसलिए ट्रांजेक्शंस में घपला होने की संभावना लगभग नामुमकिन होती है, साथ ही ब्लॉकचेन तकनीक पर चलने वाले क्रिप्टोज़ में किसी तरह का बदलाव, उनकी कॉपी करना, नकली क्रिप्टो बनाना भी संभव नहीं है. क्रिप्टो के बारे में एक अच्छी बात ये है कि ये ये ग्लोबली ट्रेड करता है, दुनिया भर में तमाम कंपनियां अब क्रिप्टो में पेमेंट एक्सेप्ट करने लगी हैं, ट्रेडिशनल करेंसीज़ में पेमेंट का ये एक बढ़िया विकल्प बन सकता है. ख़ास तौर पर इंटरनेशनल पेमेंट्स की सूरत में.
हालांकि क्रिप्टो इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट का एक नया लेकिन अच्छा विकल्प साबित हो सकता है, लेकिन लोग अब भी इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं.  वजह है इसको लेकर एक अनजाना डर. जिसकी सबसे बड़ी वजह है इसे लेकर लोगों की जानकारी में कमी. और इसी कमी को दूर करने की हमारी कोशिश है एक नया पैसा. ताकि आने वाले वक़्त में आपकी क्रिप्टो को लेकर जानकारी दुरुस्त हो सके. इसी कवायद में हम अगले एपिसोड में कई विषयों पर एक एक्सपर्ट की राय लेंगें. जानने के लिए जुड़े रहिएगा. शुक्रिया.