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1700 करोड़ खर्च हुए, 9 साल लग गए फिर भी नीतीश सरकार भागलपुर पुल का निर्माण पूरा क्यों नहीं करा पाई?

बिहार सरकार में पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव का कहना है कि पुल गिरने के पीछे बीजेपी का हाथ है.

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बिहार के सीएम और उनके डिप्टी दोनों ने माना है कि पुल के निर्माण में खामियां हैं (फोटो सोर्स- इंडिया टुडे, PTI)

17 सौ करोड़ रुपए की लागत से बन रहा पुल उद्घाटन से पहले ही दो बार टूट गया. मुख्यमंत्री कह रहे पुल में दिक्कत थी तो गिरेगा ही. उपमुख्यमंत्री जब विपक्ष में थे तब कार्रवाई की बात कहते थे अब क्या कह रहे हैं? और तब सरकार के साथ रहा विपक्ष, माने भाजपा अब क्या कह रही है? मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा है और कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की मांग हो रही है. इस पूरे कोलाहल में मुख्य बात पर सबसे कम फोकस है. कि पुल की सुरक्षा में तैनात एक गार्ड का दो दिन बाद भी पता नहीं चल पाया है.

पुल ढहने की घटना के 2 दिन बाद सरकार ने पुल बनाने वाली कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने कंपनी से पूछा है कि क्यों न आपको ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाए?

कंपनी को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. साथ ही रोड कन्सट्रक्शन डिपार्टमेंट के एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को काम की क्वालिटी पर नजर न रखने की वजह से सस्पेंड कर दिया गया है. बिहार सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने पुल गिरने के पीछे बीजेपी को बताया है तो बीजेपी ने पूछा है कि एक साल में दो बार पुल गिर चुका लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

इधर मसला पटना हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है. पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मामले की न्यायिक जांच की मांग की गई है. हाईकोर्ट में वकील मणि भूषण सेंगर ने जनहित याचिका दायर कर पुल के निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. मांग की है कि कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया जाए और इस कंपनी के सभी प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाई जाए. ये अब तक के अपडेट्स हैं. लेकिन पूरी कहानी समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा.

गंगा नदी, बिहार को उत्तर और दक्षिण बिहार में बाटती है. नदी के उत्तरी किनारे से लगा बिहार अपेक्षाकृत पिछड़ा माना जाता है. और इसकी एक बड़ी वजह है कनेक्टिविटी. दक्षिण बिहार, जहां पटना जैसे बड़े शहर हैं, वहां तक जाने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ता है. इसीलिए केंद्र और बिहार- दोनों सरकारें जगह-जगह गंगा नदी पर पुल बनवा रहे हैं, ताकि उत्तर-बिहार और दक्षिण बिहार का फर्क खत्म किया जाए. इसी क्रम में आया 23 फरवरी 2014 का दिन. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़े प्रॉजेक्ट का शिलान्यास किया. इसके तहत नेशनल हाईवे 31 और नेशनल हाईवे 80 को आपस में जोड़ा जाना था. बीच में गंगा नदी पर 4 लेन का एक पुल बनना था. पुल की लंबाई - 3.1 किलोमीटर. पुल के अलावा एक तरफ 4 किलोमीटर और दूसरी तरफ 16 किलोमीटर लंबी सड़क भी बननी थी. प्रोजेक्ट की कुल लंबाई - 23 किलोमीटर. लागत - 1 हजार 710 करोड़ रुपए.

इस पुल के बनने से भागलपुर और खगड़िया जिले के बीच की दूरी तो कम होती ही, झारखंड के साहिबगंज आने-जाने में भी सहूलियत होती. पुल को मार्च 2019 तक बनकर तैयार हो जाना था. नहीं हो पाया. फिर डेडलाइन 2020 तक बढ़ाई गई. लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ. एक बार दो बार नहीं बल्कि कुल 7 बार काम पूरा होने की डेडलाइन मिस हुई. लास्ट डेडलाइन थी दिसंबर 2023 की. जो अब फिर बेमतलब साबित हुई है. जबकि पुल के स्ट्रक्चर का काम 83 फीसद तक और अप्रोच रोड का काम 45 फीसद तक पूरा हो चुका था. अब कहा जा रहा है कि पुल का काम पूरा होने में फिर करीब 2 साल का वक़्त लग सकता है. तिसपर कुछ हिस्सा ढह भी गया है. पिछले 2 दिन से आप इसे देख ही रहे हैं. एक बार फिर से नजर मार लेते हैं.

4 जून 2023. शाम करीब 6 बजे. बिहार का भागलपुर जिला. यहां खगड़िया-अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच गंगा नदीं पर बन रहा पुल अचानक से दरकने लगा. सबसे पहले निर्माणाधीन पुल का एक खंबा धंसा और फिर पुल एक तरफ झुकने लगा. आसपास हड़कंप मच गया. लोग इधर-उधर भागने लगे और देखते ही देखते पुल के 3 पिलर और उसके ऊपर का स्लैब गंगा नदी में समा गया. पुल गिरा तो नदी में उंची लहरें उठीं. करीब 2 किलोमीटर तक धमाके की गूंज सुनाई दी.

इस पुल के बारे में एक दिलचस्प या कहें शर्मनाक बात ये भी है कि ये पुल बनने से पहले ही दो बार गिर चुका है. पिछले साल अप्रैल 2022 में तेज हवा और आंधी की वजह से भी इस निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिर गया था. इस घटना के लिए शुरुआत में ढीली केबल और तार को जिम्मेदार बताया गया था. हालांकि इसमें जान-माल की कोई नुकसान नहीं हुआ था. इस घटना की जांच के लिए बिहार सरकार ने IIT रुड़की और NIT पटना के एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी की फाइनल रिपोर्ट अभी नहीं आई है.

हालांकि राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जो कि पथ निर्माण विभाग के भी मंत्री हैं, का कहना है कि जब पहली बार पुल गिरा तब वे नेता-प्रतिपक्ष थे और पुल की डिज़ाइन में गड़बड़ी को लेकर उन्हें पहले से आशंका थी जो सही साबित हुई है.

तेजस्वी ने कहा कि डिजाइन में कमी थी इसलिए पुल के हिस्से को तोड़कर फिर से गिराने का फैसला किया गया. बिहार सरकार के अधिकारियों ने भी यही दावा किया था कि जो वीडियो आया, वो एक डेमोलिशन एक्सरसाइज़ का था. माने पुल को नियंत्रित तरीके से गिराया जा रहा था. अगर ऐसा वास्तव में था, तो ये समझ से बाहर है कि इसकी चपेट में एक सेक्योरिटी गार्ड कैसे आ गया. अगर पुल नियंत्रित तरीके से गिराया जा रहा था, तब तो वहां दूर-दूर तक कोई होना ही नहीं चाहिए था.

पूरी सरकार अब एक ही लीक पर है. कि जांच के आदेश दिए गए हैं. और दोषी अधिकारियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाएगी. लेकिन यहां सवाल ये है कि नेता-प्रतिपक्ष रहते उन्होंने जो आशंका जताई थी, उस पर पथ निर्माण विभाग का मंत्री बनने के बाद कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? तेजस्वी अपने विभाग में तो कार्रवाई कर ही सकते थे?

एक पुल जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री ने 9 साल पहले किया वो उद्घाटन से पहले ही दो बार गिर चुका है.और मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि पुल ठीक नहीं बन रहा था इसलिए गिर गया. यहां सीधा-सा सवाल है कि अगर पुल ठीक नहीं बन रहा था इसका जिम्मेदार कौन है? क्योंकि भले ही सरकार में रहे सहयोगी दल बदले हों लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे. इधर विपक्षी दल बीजेपी ने इसे विकास का नीतीश मॉडल बताया है और कहा कि लोगों ने देखा हवा में पुल कैसे ध्वस्त होता है.

इधर बीजेपी नीतीश-तेजस्वी से इस्तीफा मांग रही है वहीं दूसरी तरफ सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने पुल गिरने के पीछे बीजेपी को जिम्मेदार बताया.

खगड़िया-सुल्तानगंज के बीच बन रहे पुल के ढहने की घटना के बाद सवाल पुल बना रही कंस्ट्रक्शन कंपनी पर भी उठ रहे हैं. विपक्षी दलों ने कंस्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. पुल बना रही कंपनी का नाम एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन्स है. ये हरियाणा की कंपनी है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इसने बिहार में 8 नदी पुल, 3 एलिवेटेड रोड और 2 केबल ब्रिज प्रोजेक्ट पूरे किए हैं. और अभी राज्य में 5 बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है. -
1. पटना को हाजीपुर और उत्तर बिहार से जोड़ने के लिए बन रहे एक पुल का काम सिंगला को मिला है. लंबाई है 14 किलोमीटर और लागत है करीब 3 हजार करोड़ रुपए.  

2. पटना को छपरा के दिघवारा से जोड़ने के लिए 14.5 किमी लंबे पुल का काम भी सिंगला के पास है. इसकी लागत भी करीब 3 हजार करोड़ रुपए है.  

3. मोकामा में गंगा नदी पर औंटा और सिमरिया को जोड़ने के लिए नया पुल बन रहा है. लागत है 12 सौ करोड़. मोकामा में ही राजेंद्र सेतु है, जो बिहार में गंगा जी पर पहला पुल था. इसने पहली उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ा था. इसपर से ट्रेन और सड़क का ट्रैफिक दोनों गुज़रते हैं. ये अब जर्जर हो रहा है और इसीलिए नया पुल तेज़ी से बनाया जाना है.

इस कंपनी ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, और जम्मू कश्मीर में कई प्रोजेक्ट्स को पूरा किया है. एसपी सिंगला कन्सट्रक्शन कंपनी इससे पहले चर्चा में तब आई थी जब मई 2020 में 3 बच्चों की मौत कंक्रीट स्लैब गिरने से हो गई थी. ये हादसा पटना में लोहिया चक्र पथ के कंस्ट्रक्शन के दौरान हुआ था. भागलपुर में पुल गिरने की घटना पर कंपनी की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: भागलपुर में पुल गिरने के बारे में क्या जानते थे तेजस्वी और नीतीश? असली जिम्मेदार कौन?