प्राइवेट बैंकों ने ज्यादा दी राहत ?
RBI के आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2020 से अब तक पॉलिसी रेट में जो 1.15 प्रतिशत की कटौती हुई उसे कस्टमर्स तक पहुंचाने के मामले में प्राइवेट बैंक सरकारी बैंकों से आगे निकल गए हैं. 115 बेसिस पॉइंट के मुकाबले प्राइवेट बैंको ने 109 अंकों की कटौती की है, जबकि सरकारी बैंकों ने सिर्फ 85 अंक यानी 0.85 पर्सेंट ब्याज घटाया है.किस बैंक का लोन है सस्ता?
हालिया कटौती का असर यह है कि आज आप होम या ऑटो लोन लेने जाएं तो एक बार सोचने लगेंगे कि प्राइवेट बैंक से लें या सरकारी बैंक से. हालांकि पर्सनल लोन पर ब्याज के मामले में सरकारी बैंकों ने किफायत का अंतर कायम रखा है. फिलहाल ज्यादातर बैंकों के होमलोन और पर्सनल लोन के इंटरेस्ट रेट फेस्टिव सीजन ऑफर के लेवल पर बने हुए हैं. 75 लाख रुपये तक के लोन पर HDFC 6.7 से 7.50 प्रतिशत ब्याज ऑफर कर रहा है. ICICI Bank और कोटक महिंद्रा बैंक के होमलोन रेट भी 6.7 से ही शुरू हो रहे हैं. सरकारी बैंकों के रेट पर नजर डालें तो SBI, BOB, PNB के होमलोन रेट भी 6.7 से ही शुरू हो रहे हैं. हालांकि सरकारी बैंक प्रोसेसिंग फीस में छूट दे रहे हैं और रकम की कोई सीमा नहीं रखी है. दूसरी ओर पर्सनल लोन के मामले में SBI, CBI, UBI, PNB जैसे सरकारी बैंक 5 साल के लिए 5 लाख रुपये के लोन पर 8.90 से 9.15 प्रतिशत तक ब्याज ऑफर कर रहे हैं. वहीं, सभी प्राइवेट बैंकों के पर्सनल लोन का ब्याज 10 प्रतिशत से ज्यादा है. हालांकि इस मायने में यह कम है कि हाल तक ये रेट 14-16 प्रतिशत तक हुआ करते थे. यहां दिए गए सभी रेट 2 नवंबर तक के बदलावों पर आधारित हैं और आपको लोन लेने से पहले संबंधित बैंक से रेट कन्फर्म कर लेना चाहिए.जादू की छड़ी भी जान लें
जिस EBLR के चलते बैंकों के रेट तेजी से घटने लगे हैं, उसका पूरा नाम है - External Benchmark Lending Rate. इसे इस तरह समझिए कि पहले हर बैंक का अपना एक बेंचमार्क रेट हुआ करता था, जिसके आधार पर वह ऑटो, होम, पर्सनल लोन के रेट तय करता था. मसलन, बैंक का बेंचमार्क रेट अगर 6 प्रतिशत था तो उससे 8 प्रतिशत ऊपर पर्सनल लोन देता था, जो 14 प्रतिशत हो जाता था. इसलिए इसे इंटरनल बेंचमार्क कहते थे. अक्टूबर 2019 में RBI ने बैंकों के रेट को बहुत हद तक REPO रेट से जोड़ दिया और एक तरह से बैंकों को विवश किया कि इसमें जितनी कटौती होगी, लोन पर रेट भी उतना ही घटाना होगा. लगे हाथ REPO को भी समझते चलिए. जैसे आप बैंक से लोन लेते हैं और वह एक तय रेट से ब्याज वसूलता है, ठीक वैसे ही ये बैंक रोजमर्रा की जरूरतों के लिए RBI से लोन लेते हैं और ब्याज चुकाते हैं. जिस रेट पर वे ब्याज चुकाते हैं, उसी को REPO रेट कहते हैं. ऐसे में आम आदमी के लिए भी यह जानना आसान हो गया कि कब-कब ब्याज दरें घटी हैं और उसके बैंक ने कितनी राहत दी है.विडियो-बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का कर्मचारियों पर क्या असर होगा?
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