श्रीनगर के एक स्कूल में 8 जून की सुबह असमंजस की स्थिति खड़ी हो गई. लड़कियों ने कथित तौर पर स्कूल में प्रवेश नहीं दिए जाने के खिलाफ विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया कि विश्व भारती उच्च माध्यमिक विद्यालय ने 'अबाया' पर प्रतिबंध लगाया है और उन्हें इसके चलते स्कूल परिसर में जाने से रोक दिया गया है. इधर, स्कूल प्रशासन ने इस पूरी घटना पर माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि वे बस स्टूडेंट्स के लिए एक उचित ड्रेस कोड चाहते हैं.
श्रीनगर के स्कूल में लड़कियों को ऐसा क्या पहनने से रोका, जो सड़क तक बवाल मच गया?
श्रीनगर में 8 जून को एक स्कूल के सामने स्टूडेंट्स ने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि, उन्हें अबाया पहननने की वजह से स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया गया. महबूबा मुफ्ती ने भी स्कूल के फैसले का विरोध किया. और कहा कि भाजपा कर्नाटक की राजनीति कश्मीर में करना चाहती है.
प्रवेश नहीं दिए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रही स्टूडेंट्स ने रोड पर रैली निकाली. इसमें शामिल एक स्टूडेंट ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उन्हें स्कूल परिसर में अंदर नहीं जाने दिया गया. ऐसा उनके साथ अबाया पहनने की वजह से हुआ. उन्हें कहा गया कि स्कूल प्रिंसिपल ने ऐसा आदेश जारी किया है. उसने आगे कहा कि स्कूल प्रिंसिपल ने ही उन्हें अबाया पहनकर स्कूल आने से मना किया था. अब वे अपने बयान से पलट रही हैं.
क्या होता है 'अबाया'?अबाया एक चोगे की तरह होता है. ये इन्सान के शरीर को कंधे से पैर तक पूरी तरह ढंक कर रखता है. इसमें केवल उसका सिर, हाथ और पैर के तलवे बाहर रहते हैं. कुछ महिलाएं इसके साथ निकाब या नकाब भी पहनती हैं. जो उनके चेहरे को कवर करता है. इसमें उनकी आंखों के सामने एक जालीदार कपड़ा लगा होता है. ताकि उन्हें देखने में परेशानी न हो.
अबाया एक अरबी शब्द है. ये बुर्के से अलग होता है. बुर्का केवल महिलाओं द्वारा पहना जाता है जबकि अबाया महिलाएं और पुरुष दोनों पहन सकते हैं. बुर्के, महिलाओं के शरीर को सिर से लेकर पांव तक पूरी तरह ढंकता है. जबकि अबाया कंधे से पैर तक का होता है. इन्हें पहनने का चलन मुस्लिम समुदाय में देखा जाता है. अबाया ज्यादातर काले रंग का होता है.
विरोध करने वाली स्टूडेंट्स ने एक और आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि लड़कियों की संस्था होने के बावजूद स्कूल के अधिकारियों ने यहां को-एड शिक्षा शुरू की है. उन्होंने कहा कि स्कूल हमारे लिए ड्रेस कोड को सही करे, हम बस इतना चाहते हैं.
स्कूल प्रशासन ने मांगी माफीइधर, स्कूल प्रशासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है. प्रशासन ने कहा कि अबाया पहनकर लड़कियों को स्कूल में नहीं जाने देने का आरोप झूठा और बेबुनियाद है. स्कूल प्रशासन ड्रेस कोड को लेकर समाज के सभी वर्गों की भावनाओं का सम्मान करता है. हमने लड़कियों से विनम्रता के साथ अबाया के नीचे स्कूल यूनिफॉर्म पहनने का अनुरोध किया था. प्रशासन ने आगे कहा कि अनजाने में बच्चों या उनके माता-पिता की भावनाओं को आहत करने के लिए वो पूरी ईमानदारी से माफी मांगते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कूल प्रिंसिपल ने कहा कि स्कूल का एक ड्रेस कोड है. फिर भी कुछ लड़कियां अबाया पहनती हैं. उन्हें कभी स्कूल आने से नहीं रोका गया. कल उन्होंने टीचर्स को आदेश दिया था कि अनुशासन बनाए रखने के लिए वो स्टूडेंट्स को अबाया पहनकर स्कूल में नहीं आने दें. बच्चियां स्कूल आने तक अबाया पहन सकती हैं.
उन्होंने आगे बताया कि इसमें कोई उच्च अधिकारी शामिल नहीं हैं. हालांकि, उनका मानना है कि जैसे सब जगह एक उचित ड्रेस कोड का पालन किया जाता है, वैसा ही यहां भी हो.
प्रिंसिपल ने ये भी कहा कि जो बच्चे अभी भी अबाया पहन कर आना चाहते हैं हम उनके लिए उसका एक निश्चित पैटर्न और रंग बताएंगे. हम अपनी संस्था में रंग-बिरंगे अबाया पहनकर आने की अनुमति नहीं देंगे.
महबूबा मुफ्ती ने जताया विरोधइधर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस पूरे मामले पर अपनी बात रखी. उन्होंने विश्व भारती स्कूल के इस कदम का विरोध किया है. मुफ्ती ने कहा कि किसी तरह का ड्रेस कोड लागू नहीं किया जाना चाहिए. स्टूडेंट्स को अपनी मर्जी की ड्रेस पहनने की आजादी होनी चाहिए. BJP ने इसे कर्नाटक में शुरू किया. अब वे कश्मीर में भी ड्रेस कोड लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. ये एक विशेष समुदाय के खिलाफ जंग छेड़ने जैसा है.
(ये खबर हमारी साथी प्रज्ञा ने लिखी है.)