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सतीश कौशिक के 6 यादगार किरदार, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को और कॉमेडी को बेहद समृद्ध किया

'मिस्टर इंडिया' के कैलेंडर से लेकर 'दीवाना मस्ताना' के कॉन्ट्रैक्ट किलर पप्पू पेजर तक, सतीश कौशिक ने ये जानदार किरदार निभाए.

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बॉलीवुड फिल्मों में कई किरदारों के लिए सतीश कौशिक को याद रखा जाएगा (फोटो सोर्स- इंडिया टुडे)

जाने-माने अभिनेता और फिल्म निर्देशक सतीश कौशिक. 9 मार्च 2023 को उनका देहांत हो गया. सतीश कौशिक ने कई बॉलीवुड फिल्मों में संजीदा भूमिकाएं निभाई हैं. लेकिन बतौर हास्य कलाकार उनका काम सबसे शानदार रहा. 'राम लखन' और ‘साजन चले ससुराल’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला. सतीश के निभाए कुछ यादगार किरदारों की बात करते हैं, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.

#1. कैलेंडर (मिस्टर इंडिया)

साल 1987 में शेखर कपूर के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ आई थी. 'मोगैम्बो खुश हुआ' डायलॉग, अनिल कपूर के किरदार को गायब कर देने वाले उनके गैजेट के अलावा इस फिल्म में सतीश के किरदार को बेहद पसंद किया गया. वो एक कुक बने थे, जिसका नाम था 'कैलेंडर'. कैलेंडर किरदार इतना फेमस हुआ था कि लोग सतीश को कई बार इसी नाम से पुकार लिया करते थे. इस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा ये भी है कि आमिर खान इसमें काम करना चाहते थे. एक इंटरव्यू में आमिर खान ने बताया था कि सतीश को उनका कार से आना पसंद नहीं आया, इसलिए उन्हें फिल्म में नहीं लिया गया. हालांकि सतीश को ये बाद में पता चला कि जिस कार से आमिर आए थे, वो उनकी अपनी कार नहीं थी.

#2. काशीराम (राम लखन)

साल 1989 में सुभाष घई के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘राम लखन’ की कास्टिंग जबरदस्त थी. फिल्म में जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, डिंपल कपाड़िया, माधुरी दीक्षित, अमरीश पुरी और अनुपम खेर जैसे कलाकार अहम किरदारों में थे. फिल्म में सतीश के किरदार का नाम काशीराम था, जबकि अनुपम खेर देवधर की भूमिका में थे. इन दोनों किरदारों की जुगलबंदी ने दर्शकों को खूब हंसाया था.

#3. मुत्तू स्वामी (साजन चले ससुराल)

साल 1996 में गोविंदा और सतीश की जुगलबंदी देखने को मिली. फिल्म थी ‘साजन चले ससुराल’. इस फिल्म में सतीश का किरदार मुत्तू स्वामी एक साउथ इंडियन है. मुत्तू तबला बजाता है. श्यामू यानी गोविंदा का किरदार गाता है. मुत्तू की हिंदी साउथ इंडियन एक्सेंट वाली है, जो कि कॉमेडी का अच्छा फैक्टर है. एक सीन याद आता है- जब मुत्तू और श्यामू कादर खान के ऑफिस में दाखिल होते हैं. श्यामू, ध्यानमग्न मुद्रा में बैठे कादर खान को पुतला समझकर छेड़ने लगते हैं. पुतले का ध्यान टूटता है, छींक आ जाती है.

इस पर मुत्तू कहता है,

“अइयो श्यामू, पुतला छींकता जी.”

कादर खान दोनों को बाहर करने के लिए वाचमैन को आवाज देते हैं.

मुत्तू कहता है,

“अइयो जी, सुनिए जी, हम कलाकार, संगीतकार. हमारा तबला सुनो जी, पागल हो जाएगा तुम.”

#4. पप्पू पेजर (दीवाना मस्ताना)

साल 1997 में डेविड धवन निर्देशित फिल्म आई ‘दीवाना मस्ताना’. ये एक रोमांटिक कॉमेडी थी. इस फिल्म में कॉन्ट्रैक्ट किलर पप्पू पेजर के किरदार में सतीश कौशिक की डायलॉग डिलीवरी ज़बरदस्त रही. गोविंदा का किरदार बुन्नू, पप्पू पेजर को राजा यानी अनिल कपूर की सुपारी देने पहुंचता है. इसके ठीक पहले पप्पू पेजर फ़ोन पर किसी को धमका रहा है-
“पप्पू पेजर बोल रेला हूं. ए झंटूले झटक, ज्यादा न मटक, और मेरी बात गले में सटक. मुन्नू मोबाइल मेरा छोटा भाई हैंगा. मैं उसका मोटा भाई पप्पू पेजर लाइन पे हूं...”

इस फिल्म के बाद सतीश ने कई डाइवर्स रोल किए.

#5. शराफ़त अली (बड़े मियां छोटे मियां)

साल 1998 में गोविंदा और अमिताभ बच्चन स्टारर एक्शन कॉमेडी मूवी आई- 'बड़े मियां छोटे मियां.' इसमें सतीश कौशिक का किरदार छोटा है लेकिन जानदार है. उनका किरदार पान खाता है और बात-बात पर बोलता है- 'कसम उड़ानझल्ले की'. एक बार फिर सतीश की डायलॉग डिलीवरी कमाल रही. फिल्म में छोटे मियां और बड़े मियां से शराफ़त अली की मुलाक़ात चोर बाजार में होती है. दोनों ट्रक भर चोरी का माल बेचने आए हैं. शराफ़त अली खुद को चोर बाजार का बेताज बादशाह बताते हैं. अपने तार्रुफ़ में शराफ़त अली कहते हैं,

“भैये! बंदे का नाम है शराफ़त अली. कसम उड़ानझल्ले की पूरे चोर बजार में पिछले 9 साल में शराफ़त अली ने पैसा नहीं कमाया. लेकिन शराफ़त से इज्ज़त बहुत कमाई है, इज्ज़त.”

#6. मोहन (क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता)

साल 2001 में गोविंदा और सतीश कौशिक एक और फिल्म में साथ नजर आए. फिल्म का नाम- 'क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता.' डेविड धवन निर्देशित इस फिल्म में गोविंदा के किरदार वकील राज मल्होत्रा ने खूब झूठ बोले हैं. सतीश कौशिक का किरदार मोहन भी वकील है और राज मल्होत्रा का साथी है. मोहन अपने दोस्त राज का चाहे अनचाहे हर सही गलत काम में साथ देता है. सिर्फ दोस्ती के वास्ते. हालांकि कहानी ख़त्म होते-होते सुखद अंत तक भी पहुंचती है. फिल्म में सतीश का एक तकिया कलाम सा था, ‘मास्टर आदमी है तू, मास्टर’. इसे बहुत पसंद किया गया. 

साल 2016 की फिल्म 'उड़ता पंजाब' में सतीश ने 'तायाजी' का रोल किया था. इसे भी खूब सराहा गया. अभिनय के साथ सतीश कौशिक ने फिल्म निर्देशन, स्क्रिप्ट और डायलॉग राइटिंग भी की. ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, ‘प्रेम’, ‘हम आपके दिल में रहते हैं’, 'वादा', 'तेरे नाम' और 'तेरे संग' जैसी फिल्मों का डायरेक्शन सतीश कौशिक ने किया था. इसके अलावा 1983 में आई यादगार फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के डायलॉग सतीश कौशिक ने ही लिखे थे. बतौर अभिनेता भी ये सतीश की पहली फिल्म थी. इस साल सतीश की एक और फिल्म आने वाली है. फिल्म का नाम है- इमरजेंसी. इसे कंगना रानौत ने डायरेक्ट किया है. आपातकाल के वक़्त पर फिल्माई गई इस हिस्टोरिकल मूवी में सतीश कौशिक ने देश के रक्षा मंत्री रहे जगजीवन राम का किरदार निभाया है. फिल्म अक्टूबर 2023 में रिलीज होने वाली थी. लेकिन कुछ अन्य फिल्मों के साथ रिलीज डेट क्लैश होने के चलते अभी इसकी रिलीज़ डेट पर संशय बरकरार है.

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