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अफगानिस्तान: काबुल की मस्जिद में धमाके से 50 से अधिक लोगों की मौत

अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 29 अप्रैल को मस्जिद में लोग नमाज़ के लिए पहुंचे थे. मस्जिद के प्रमुख सैयद फाजिल आघा ने बताया कि इन्हीं में से एक आत्मघाती हमलावर भी था. जिसने धमाके को अंजाम दिया. उन्होंने रॉयटर्स को बताया, (धमाके के बाद) काला धुआं उठने लगा और हर तरफ फैल गया. हर तरफ शव भी फैले हुए थे.

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बाएं से दाएं. अफगानिस्तान में ब्लास्ट की सांकेतिक तस्वीर, शुक्रवार को हुए हमले के बाद मस्जिद के पास खड़ी एंबुलेंस. फोटो- आजतक/रायटर्स

अफगानिस्तान में धार्मिक स्थलों पर हमले लगातार जारी हैं. 29 अप्रैल को एक बार फिर काबुल की एक मस्जिद को निशाना बनाकर जोरदार धमाका (Afghanistan Blast) किया गया. इसमें 50 से अधिक लोगों के मारे जाने की जानकारी सामने आ रही है. अप्रैल भर में नागरिकों को निशाना बनाकर धार्मिक स्थलों और स्कूलों पर कई हमले हो चुके हैं.

नमाज के बाद सुसाइड अटैक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 अप्रैल की दोपहर को काबुल की खलीफा साहिब मस्जिद में धमाका हुआ. इस बारे में देश के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता बेस्मुल्लाह हबीब ने जानकारी दी. शुरुआत में अधिकारियों ने 10 लोगों के मौत की पुष्टि की थी. हालांकि, अन्य सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी में मृतकों की संख्या 50 के पार बताई जा रही है.

अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 29 अप्रैल को मस्जिद में लोग नमाज़ के लिए पहुंचे थे. मस्जिद के प्रमुख सैयद फाजिल आघा ने बताया कि इन्हीं में से एक आत्मघाती हमलावर भी था. जिसने धमाके को अंजाम दिया. उन्होंने रॉयटर्स को बताया,

(धमाके के बाद) काला धुआं उठने लगा और हर तरफ फैल गया. हर तरफ शव भी फैले हुए थे.

उन्होंने आगे ये भी बताया कि वो खुद किसी तरह बच गए, लेकिन उनके भतीजे भी धमाके की चपेट में आने वालों में शामिल हैं. हमले के एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि धमाका काफी जोरदार था. उन्होंने बताया,

ब्लास्ट बहुत तेज था. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे कान के परदे फट गए.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि काबुल के एक इमरजेंसी अस्पताल में 21 मरीजों का इलाज किया जा रहा है. वहीं दूसरे अस्पताल के कर्मचारी ने बताया कि वहां 49 घायल और 5 शव लाए गए थे. घायलों में से 10 की हालत बेहद गंभीर थी. वहीं, 20 लोगों को बर्न यूनिट में भर्ती कराना पड़ा था.

UN के दो कर्मचारी भी थे मौजूद

बताया जा रहा है कि ब्लास्ट के दौरान UN के दो स्टाफ मेंबर और उनके परिवार के लोग भी मस्जिद में मौजूद थे. अफगानिस्तान में UN के विशेष प्रतिनिधि, मेटे कनूसन (Mette Knudsen) ने कहा,

इस घिनौनी हरकत की निंदा करने के लिए हमें शब्द नहीं मिल रहे हैं.

वहीं, तालिबान ने भी इस हमले की निंदा की है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस संबंध में एक बयान जारी कर ऐलान किया कि अपराधियों को कड़ी सजा दी जाएगी. हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं है कि हमले के लिए कौन जिम्मेदार है. किसी भी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. इस हमले की अमेरिका और UN ने भी निंदा की है.

रमजान के महीने में लगातार हमले

रमजान के महीने में अफगानिस्तान से ब्लास्ट के कई मामले सामने आए हैं. इनमें से ज्यादातर हमले अल्पसंख्यक शियाओं पर हुए. हालांकि, सुन्नी मस्जिदों को भी निशाना बनाया गया है. पिछले हफ्ते ही लगातार दो दिन दो मस्जिदों पर हमला किया गया.

तालिबान का दावा है कि अगस्त 2021 में कमान संभालने के बाद उन्होंने देश में सुरक्षा स्थापित कर दी है और इस्लामिक स्टेट के स्थानीय दहशतगर्दों का खात्मा कर दिया है. लेकिन, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों और विश्लेषकों का मानना है कि अब भी कई आतंकवादी देश में मौजूद हैं.

आपको बता दें कि इससे पहले 21 अप्रैल को अफगानिस्तान की एक और मस्जिद में धमाका हुआ था. जिसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन ISIS ने ली थी. वहीं, 19 अप्रैल, को भी काबुल में एक ब्लास्ट हुआ था. ये धमाका एक स्कूल में धमाका हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी.

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