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CMO महेंद्र शर्मा आत्महत्या मामले में इलाहाबाद HC ने CBI की चार्जशीट खारिज की

15 फरवरी 2012 को लखीमपुर के पासगवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टेड सीनियर क्लर्क महेंद्र कुमार शर्मा का शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला था.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट. (आजतक)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी में एक स्वास्थ्य अधिकारी की आत्महत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया. उसने मामले में CBI द्वारा दायर चार्जशीट और छह लोगों के खिलाफ कार्रवाई को खारिज कर दिया. ये मामला राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) में एक कथित घोटाले से जुड़ा था.

दरअसल, 15 फरवरी 2012 को लखीमपुर के पासगवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टेड सीनियर क्लर्क महेंद्र कुमार शर्मा का शव बुरी हालत में मिला था. दी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह आरोप लगाया गया था कि महेंद्र शर्मा ने अपनी मृत्यु से पहले तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. जेपी भार्गव से उनके स्थानांतरण का लिखित आदेश जारी करने और NRHM घोटाले से जुड़े कुछ लापता दस्तावेजों, फाइलों और चेक के बारे में जांच कराने की गुजारिश की थी. 

इस मामले में छह आरोपियों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसी महीने 7 जुलाई को इस याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने एक आदेश में आरोपी के खिलाफ चार्जशीट और विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (CBI) के एक आदेश को भी खारिज कर दिया. इस आदेश में अपराध का संज्ञान लिया गया था और आवेदकों को तलब किया गया था.

इसके अलावा आदेश में बताया गया है कि मृतक महेंद्र कुमार शर्मा की पत्नी मिथलेश शर्मा को उनके शरीर पर "कई चोटें" दिखीं थीं. और उनका मानना ​​है कि उनके पति की हत्या की गई है, उन्होंने आत्महत्या नहीं की. मिथलेश शर्मा का आरोप है कि डिप्टी CMO बलबीर सिंह और CMO जेपी भार्गव के कहने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी राजेश हंस, एससी गुप्ता, कुलदीप मिश्रा, मुन्ना लाल वर्मा ने उनके पति की हत्या की थी. मिथलेश का आरोप है कि उनके पति की हत्या इसलिए कराई गई क्योंकि वो "एक ईमानदार व्यक्ति थे और उनके कुकर्मों और भ्रष्टाचार में उनके साथ नहीं थे".

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक शर्मा के मृत पाए जाने के एक दिन बाद पोस्टमॉर्टम किया गया. रिपोर्ट में "शरीर पर कई घाव मिले और डॉक्टर की राय थी कि मौत दम घुटने, सदमे और सांस रुकने के कारण हुई थी". बाद में एक FIR दर्ज की गई, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि यह एक "हत्या" थी और स्वास्थ्य अधिकारियों को इसमें नामजद किया गया.

इसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने 3 सितंबर, 2014 के आदेश में मृतक की पत्नी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले की जांच को CBI को सौंप दिया. हालांकि एम्स, दिल्ली के डॉक्टरों के एक पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौत आत्महत्या के कारण ही हुई थी.

इसके बाद CBI ने तब IPC की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत चार्जशीट दायर की. जांच के दौरान, यह पता चला कि आत्महत्या करने से पहले, महेंद्र शर्मा ने सुदर्शन न्यूज चैनल के एक संवाददाता आशीष कटियार से बात की थी. बातचीत उसके मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड की गई थी. फोन कॉल के दौरान मृतक ने कथित उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करने की धमकी दी थी. CBI ने इसे कोर्ट में पेश किया था.

अदालत ने कहा कि सुसाइड नोट को पढ़ने से पता चलता है कि मृतक को उकसाया नहीं गया था. यह स्पष्ट है कि मृतक को याचिकाकर्ताओं द्वारा उत्पीड़न का अनुभव हुआ क्योंकि उसका ट्रांसफर किया गया था. सीबीआई ने ऐसा कोई सबूत नहीं जुटाया है जिससे यह पता चलता हो कि याचिकाकर्ता मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाना चाहते थे.

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