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ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई रोक

वाराणसी की कोर्ट में चल रही सभी कार्रवाई पर भी हाई कोर्ट की रोक.

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काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष का दावा है कि मंदिर को तोड़कर ही ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई थी. हालांकि मस्जिद पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है. (ज्ञानवापी मस्जिद की फाइल फोटो)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और स्वयंभू विश्वेश्वर मंदिर की जमीन को लेकर चल रहे विवाद के बीच अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं कोर्ट ने वाराणसी जिला कोर्ट की प्रोसिडिंग पर भी रोक लगा दी है. 8 अप्रैल को वाराणसी के सीनियर डिवीजन सिविल जज ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के जस्टिस प्रकाश पांडिया की सिंगल बेंच ने बहस पूरी होने के बाद 31 अगस्त को फैसला रिजर्व कर लिया था. अब गुरुवार 9 सितंबर को कोर्ट ने ASI को सर्वेक्षण रोकने का निर्देश दिया है. विवादित जमीन का सर्वेक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से कराए जाने को चुनौति दी गई थी. अर्ज़ी में कहा गया था कि इस विवाद से जुड़ा एक मामला पहले से ही हाई कोर्ट में पेंडिंग है, ऐसे में वाराणसी की अदालत को इस तरह का आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं है. यह गलत आदेश है और इसे रद्द कर देना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि दो हफ्ते बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी. उसी समय हम इसे भी हाई कोर्ट के सामने रखेंगे. ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के पक्ष में नहीं है. यही वजह है कि पहले सिविल जज के फैसले के खिलाफ यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ और इसके बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने रिवीजन/निगरानी की याचिका दाखिल की थी. क्या था वाराणसी कोर्ट का फैसला? काशी विश्वनाथ को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. यहां काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी अगल-बगल हैं. मंदिर पक्ष का दावा है कि औरंगजेब के शासनकाल में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर उसी परिसर के एक हिस्से में ज्ञानवापी मस्जिद बना दी गई थी. उसका दावा है कि मंदिर के अवशेष पूरे परिसर में आज भी मौजूद हैं. वहीं अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से वाराणसी की कोर्ट में दाखिल प्रतिवाद में दावा किया गया था वहां पर मस्जिद अनंत काल से कायम है. वाराणसी के स्थानीय वकील विजय शंकर रस्तोगी ने दिसंबर 1991 में सिविल जज की अदालत में इसे लेकर आवेदन दायर किया था. तब उन्होंने स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के ‘वाद मित्र’ के रूप में याचिका दायर की थी. 2019 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के विशेषज्ञों से संपूर्ण मंदिर और मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया. लेकिन जनवरी 2020 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने ASI के सर्वेक्षण कराए जाने की मांग पर अपना विरोध दर्ज किया था. इस मामले में इसी साल वाराणसी की कोर्ट ने 8 अप्रैल को फैसला सुनाया था और ASI सर्वे का आदेश दिया था. वाराणसी कोर्ट ने मस्जिद के पुरातत्विक सर्वेक्षण की इजाजत दी थी. लेकिन कोर्ट के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने 5 जुलाई को निगरानी याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी. इससे पहले 30 अप्रैल को ही सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ ने निगरानी याचिका दायर की थी.