देश में CAA (Citizenship Amendment Act) को लेकर हुआ विवाद तो आपको याद ही होगा. अब CAA ने एक बार फिर से सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी हैं. वजह है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हाल ही में की गई घोषणा. शाह ने गुरूवार, 5 मई को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा,
अमित शाह बोले- CAA लागू होकर रहेगा, नीतीश कुमार ने बताया वो क्या चाहते हैं?
सीएएम को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने नई घोषणा की है. कोरोना खत्म होने के बाद दोबरा लागू करेंगे सीएए
'हम बता दें कि कोरोना काल खत्म होते ही CAA को जमीन पर लागू करेंगे. CAA वास्तविकता था, है और रहेगा.'
गृह मंत्री के इस पर बयान पर पत्रकारों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शुक्रवार, 6 मई को सवाल किया. सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने बेहद दिलचस्प प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि वो फिलहाल क्या चाहते हैं. नीतीश कुमार ने कहा,
'देखिए अब जो भी केंद्र का निर्णय होगा. अभी कोविड-19 का दौर फिर से बढ़ने लगा है. मेरी ज्यादा चिंता है लोगों की रक्षा करने में. कोई पॉलिसी की बात होगी, हम उसको अलग से देखेंगे. अभी हमने देखा नहीं है.'
ये बयान दिलचस्प इसलिए है कि एक तरफ अमित शाह CAA लागू करने की बात कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार लोगों की जान बचाने की बात कह रहे हैं, और कोई सीधा-सीधा जवाब देने से बच रहे हैं. जबकि बिहार में उनकी सरकार BJP के समर्थन से ही चल रही है.
जेडीयू के कई नेता जता चुके हैं ऐतराज
नीतीश कुमार के अलावा भी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के कई नेता पहले ही सीएए पर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं. जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) और जेडीयू कोटे से राज्य सरकार में मंत्री संजय झा कह चुके हैं कि बिहार में सीएए लागू करने का सवाल ही नहीं उठता है.
BJP के कई मंत्री CAA पर अड़े
भाजपा नेता जनक राम नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री हैं. जनक राम ने शुक्रवार को कहा कि सीएए तो बीजेपी का एजेंडा है और इसे बिहार में भी लागू किया जाएगा. बिहार सरकार के एक और मंत्री और BJP नेता प्रमोद कुमार ने भी कहा कि केंद्र सरकार अगर नागरिकता कानून पूरे देश में लागू करेगी तो बिहार में भी इसे लागू किया जाएगा. उनका ये भी कहना था कि नागरिकता कानून बीजेपी की राष्ट्रवादी विचारधारा है. बंगाल में अगर नागरिकता कानून लागू होगा तो ऐसा नहीं है कि बिहार में नहीं होगा.
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