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'ट्रेन जलने के बाद हुए गुजरात दंगे, मोदी जी ने आरोपों का जहर पिया', SC के फैसले के बाद बोले शाह

अमित शाह ने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में बताया है कि ट्रेन जलने के बाद हुए दंगों की पहले से प्लानिंग नहीं की गई थी.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह. (फोटो: ANI)

गुजरात दंगों में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निर्दोष बताने वाली SIT कमेटी की जांच को सही ठहराने के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पूरे मामले पर अपनी बात रखी है. न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि एक नेता ने 18-19 साल तक ये लड़ाई लड़ी और सभी आरोपों का भगवान शिव की तरह विषपान किया. अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात कर रहे थे. उन्होंने कहा,

"मैंने उन्हें (नरेंद्र मोदी) को बहुत करीब से कष्ट सहते हुए देखा. सिर्फ एक मजबूत इच्छाशक्ति वाला नेता ही ऐसे मामलों में कुछ नहीं कह सकता था."

अमित शाह ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा,

"SIT के सामने पेश होते हुए मोदी जी ने कोई नाटक नहीं किया. ना तो किसी को समर्थन के लिए बुलाया और ना ही विधायकों और सांसदों से कहा कि मेरे लिए धरना दो. अगर SIT मुख्यमंत्री से सवाल पूछना चाहती थी, तो वो खुद तैयार थे. विरोध प्रदर्शन क्यों करना?"

गुजरात दंगों में पुलिस और अधिकारियों द्वारा ज्यादा कुछ ना किए जाने के आरोपों पर शाह ने आगे कहा कि बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों, वैचारिक तौर पर राजनीतिक रूप से प्रेरित पत्रकारों और कुछ NGOs ने आरोपों को फैलाया. उनके पास एक मजबूत इकोसिस्टम था. इसलिए सब लोग झूठे आरोपों को सच मानने लगे. उन्होंने कहा,

“मैंने 24 जून का फैसला थोड़ा जल्दबाजी में पढ़ा है, लेकिन इसमें साफतौर पर तीस्ता सीतलवाड़ का नाम आया है. वो एक NGO चलाती थीं. जो हर पुलिस स्टेशन पर बीजेपी कार्यकर्ताओं से जुड़े इस तरह के एप्लिकेशन देता था. जब UPA सरकार उस समय सत्ता में आई तो उसने NGO की मदद की.”

‘पहले से प्लान नहीं थे दंगे’

शाह ने आगे कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में बताया है कि ट्रेन जलने के बाद हुए दंगों की पहले से प्लानिंग नहीं की गई थी. कोर्ट ने कहा कि दंगे अपने आप हुए. अमित शाह ने कहा कि कोर्ट ने तहलका के स्टिंग ऑपरेशन को खारिज कर दिया क्योंकि जब इसके बाद और पहले की फुटेड सामने आई, तो पता चला कि स्टिंग ऑपरेशन राजनीति से प्रेरित था.

अमित शाह ने ये भी कहा कि पुलिस और प्रशासन ने अच्छा काम किया. लेकिन ट्रेन जलने की घटना के कारण गुस्सा था. किसी को अंदाजा नहीं था. बाद में किसी के हाथ में कुछ रह नहीं गया था. अमित शाह ने आगे कहा कि ऐसा कोई इनपुट नहीं मिला था कि इतने बड़े स्तर पर प्रतिक्रिया होगी. उन्होंने ये भी कहा कि ट्रेन में जले लोगों के शवों को घुमाया नहीं गया था. ये पूरी तरह से झूठ है. उन्होंने कहा कि शवों को सिविल अस्पताल ले जाया गया था और वहां से उनके परिवार के लोग बंद एंबुलेंस में शवों को ले गए थे.

अमित शाह ने कहा कि गुजरात दंगों के मामले में मोदी जी ने एक उदाहरण सेट किया है. ये बताया है कि संविधान का किस तरह से सम्मान किया जा सकता है. उनसे सवाल पूछे गए, लेकिन किसी ने धरना नहीं दिया. कार्यकर्ता उनका समर्थन करने नहीं आए. आरोप लगाने वालों की अंतरात्मा अगर जिंदा है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए.