'खालिस्तानी' अमृतपाल सिंह फरार, पुलिस तलाश में जुटी, पंजाब में एक दिन में क्या-क्या हो गया

10:11 PM Mar 18, 2023 | सौरभ
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अमृतपाल सिंह के बारे में खबर आई है कि वो फरार है. अमृतपाल के बारे में 18 मार्च की दोपहर ऐसी खबर आई थी कि पंजाब पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है. लेकिन देर शाम इस बारे में जानकारी आई कि अमृतपाल सिंह पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. फिलहाल वो फरार बताया रहा है. पुलिस की टीमें लगातार उसकी तलाश में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं.

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इस बीच बताया जा रहा है कि 'वारिस पंजाब दे' पर पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है. संगठन से जुड़े 78 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हथियारों को भी जब्त किया गया है. खबरों के मुताबिक 9 राइफल और एक रिवॉलवर जब्त की गई है.

अमृतपाल सिंह के सर्च ऑपरेशन के बीच पंजाब सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से इस बात की जानकारी भी दी गई है कि पंजाब में इंटरनेट सर्विस भी बंद कर दी गई हैं. साथ ही SMS की सुविधा भी बंद की गई है. साथ ही पंजाब के कुछ इलाकों में धारा 144 भी लागू कर दी गई है.

अमृतपाल फरवरी महीने में भी चर्चा में आया था. तब  खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने कथित तौर पर पंजाब के अमृतसर के अजनाला थाने में हिंसा की थी. आरोप है कि अमृतपाल सिंह के कई समर्थकों ने तलवारों और बंदूकों के साथ पुलिस बैरिकेड़स पर हमला किया. उसे तोड़ दिया.

ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि किडनैप और हमले के केस में पुलिस ने अमृतपाल सिंह के सहयोगियों लवप्रीत तूफान और बलदेव सिंह को अरेस्ट कर लिया था. और पुलिस थाने पर हिंसा करने वाले लोग इस अरेस्ट का विरोध कर रहे थे. इस भीड़ में अमृतपाल सिंह भी शामिल था. अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों ने अमृतपाल सिंह को अरेस्ट करने की मांग की. पंजाब पुलिस ने अरेस्ट नहीं किया.

कौन है अमृतपाल सिंह?

अमृतपाल सिंह. उम्र 29 साल. और अभी-अभी इसने एक संगठन की बागडोर संभाली है. इस संगठन का नाम है – ‘वारिस पंजाब दे’. और इस संगठन की कहानी जाकर जुड़ती है दीप सिद्धू से. अभिनेता और एक्टिविस्ट संदीप सिंह उर्फ़ दीप सिद्धू जो 26 जनवरी 2021 को लालक़िले पर खालसा पंथ का झंडा फहराने को लेकर ख़बरों में आए थे और 15 फ़रवरी 2022 को एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई. अपनी मौत से छह महीने पहले यानी सितंबर 2021 में सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ की नींव रखी थी.

दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिंह दुबई से भारत आया, और उसने इस संगठन की बागडोर सम्हाल ली. खुद को इस संगठन का मुखिया घोषित कर दिया. जबकि पहले न तो वो दीप सिद्धू से कभी मिला था, न ही उसकी मौत के बाद भी भारत ही आया था.

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