The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

कभी ऑटो वाले ने मारा था थप्पड़, अब हर चुनावी कैंपेन में उनके साथ खाना खाते हैं केजरीवाल

चुनाव प्रचार में ऑटो वालों पर फोकस करने की आम आदमी पार्टी की रणनीति क्या है? इससे क्या फायदा हुआ?

post-main-image
अरविंद केजरीवाल को थप्पड़ मारने वाला ऑटो ड्राइवर और रोटी खिलाने वाला ऑटो ड्राइवर (फोटो- ANI/AAP)

गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) राज्य में चुनावी मोड में आ चुकी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर यहां भी 'ऑटो मोड' में चुनावी प्रचार शुरू किया है. यानी ऑटो चालकों के साथ दोस्ती बढ़ाकर. बीते 12 सितंबर को केजरीवाल ने अहमदाबाद में ऑटो चालकों के साथ एक संवाद कार्यक्रम किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी दौरान विक्रम नाम के एक ऑटो चालक ने उन्हें अपने घर खाने का न्योता दे दिया. केजरीवाल मान भी गए.

अरविंद केजरीवाल ऑटो से ही विक्रम के घर निकल गए. इस दौरान अहमदाबाद पुलिस से उनकी बहस भी हुई. दरअसल, केजरीवाल के दौरे के लिए आम आदमी पार्टी ने गुजरात पुलिससे सिक्योरिटी मांगी थी. ऑटो में जाने पर पुलिसवाले उन्हें सुरक्षा का हवाला देकर रोकने लगे. इसपर केजरीवाल पुलिस से भिड़ गए और कहा कि उन्हें सिक्योरिटी की जरूरत नहीं है. फिर वो ऑटो से ही डिनर के लिए पहुंचे.  

अरविंद केजरीवाल ने ऑटो चालक विक्रम के घर रात के खाने के बाद कई तस्वीरें शेयर कीं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 

"अहमदाबाद में ऑटो चालक विक्रम भाई दंताणी बड़े प्यार से अपने घर खाने पर लेकर गए, पूरे परिवार से मिलवाया, स्वादिष्ट खाने के साथ बहुत आदर-सत्कार दिया. इस अपार स्नेह के लिए विक्रम भाई और गुजरात के सभी ऑटो चालक भाइयों का ह्रदय से धन्यवाद."

‘ऑटो वाले के थप्पड़ से रोटी तक’

केजरीवाल का ऑटो वालों से ये प्रेम नया नहीं है. आम आदमी पार्टी ने ऑटो वालों को अपनी चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बनाया है. इसके पीछे की वजह दिल्ली में ऑटो चालकों का मिला साथ है. AAP की राजनीति दिल्ली से शुरू हुई थी. 8 अप्रैल 2014 की बात है. अरविंद केजरीवाल सुल्तानपुरी में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार कर रहे थे. दिल्ली के एक ऑटो ड्राइवर लाली प्रसाद ने केजरीवाल को थप्पड़ मार दिया था. लेकिन एक दिन बाद ही उसने केजरीवाल से माफी मांगी और कहा कि उससे बहुत बड़ी गलती हो गई.

ऑटो ड्राइवर ने बाद में कहा था कि अरविंद केजरीवाल को वो भगवान मानता है. उसने उस वक्त आजतक से कहा था कि एक AAP समर्थक होने के नाते दिल्ली में केजरीवाल के इस्तीफे के बाद वो ठगा हुआ महसूस कर रहा था. उसने स्वीकार भी किया कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. केजरीवाल ने अगले दिन लाली प्रसाद से मुलाकात भी की थी. इसके बाद दिल्ली में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का रिश्ता बदल गया.

2015 के विधानसभा चुनाव में ऑटो वालों ने AAP का खूब प्रचार किया. हर ऑटो पर आम आदमी पार्टी के पोस्टर नजर आते थे. बड़ी वजह थी केजरीवाल का ऑटो चालकों के साथ बातचीत और उनके लिए अलग से किए गए कई वादे. सरकार में आने के बाद AAP ने ऑटो पर लगने वाले 600 रुपये के फिटनेस चार्ज को माफ कर दिया. ऑटो रजिस्ट्रेशन फीस को 1000 से घटाकर 300 रुपये कर दिया गया.

पंजाब चुनाव से पहले भी खाया खाना

अरविंद केजरीवाल ने 12 सितंबर को गुजरात में जो किया, ठीक इसी तरह की कहानी पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भी सामने आई थी. नवंबर 2021 में लुधियाना में केजरीवाल ने ऑटो चालकों के साथ संवाद किया था. उसी दौरान दिलीप तिवारी नाम के एक शख्स ने केजरीवाल को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया. उसने कहा था कि वो एक ऑटो चालक है. केजरीवाल ने इसे तुरंत मान लिया और उसी रात डिनर पर चलने को कह दिया.

बाद में केजरीवाल और भगवंत मान (अब पंजाब के मुख्यमंत्री) दिलीप के ऑटो में बैठकर ही उसके घर खाने पर पहुंचे. 22 नवंबर 2021 को अरविंद केजरीवाल ने डिनर के बाद ट्विटर पर लिखा था, 

"दिलीप तिवारी ने आज दिल से हमें अपने घर खाने पर बुलाया. उनके परिवार ने इतना प्यार दिया. बेहद स्वादिष्ट भोजन. मैंने उनके पूरे परिवार को दिल्ली में अपने घर अब खाने का आमंत्रण दिया."

उत्तराखंड में भी ऑटो वाले से वादे

उत्तराखंड और गोवा विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी केजरीवाल ने ऑटो वालों से अलग से संवाद किया था. उन्हें अलग-अलग तरीके का भरोसा दिलाया गया था. उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने दावा किया था कि दिल्ली में AAP की सरकार बनाने में 70 फीसदी योगदान ऑटो और टैक्सी ड्राइवर का है. उन्होंने कहा था कि दिल्ली में ऑटो ड्राइवर पहले पुलिस से लेकर सरकारी अधिकारियों, सभी को घूस देते थे लेकिन उन्होंने सिस्टम को बदल दिया.

गोवा में केजरीवाल ने ऑटो वालों से वादा किया था कि ऑटो और टैक्सी ड्राइवर का कॉरपोरेशन बनाएंगे. जिससे वो किराया खुद तय करेंगे. एक्सीडेंट होने पर इलाज का पूरा खर्च उठाने का वादा किया था. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई. लेकिन उत्तराखंड और गोवा में कोशिश नाकाम रही. गुजरात में बीजेपी राज्य में पिछले 27 सालों से लगातार सत्ता में है. केजरीवाल अब अपनी इसी रणनीति से बीजेपी को चुनौती देने की कोशिश में हैं.

नेतानगरी: पीएम मोदी को चुनौती दे रहे नीतीश, केजरीवाल को वीपी सिंह और चंद्रशेखर का किस्सा डराएगा