The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

'सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे', केजरीवाल का आरोप- ...इसलिए देर रात अध्यादेश लाई केंद्र सरकार

"अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना"

post-main-image
केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं से भी अपील की है (फोटो- ट्विटर/PTI)

दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र के नए अध्यादेश को AAP सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. केंद्र सरकार ने 19 मई को एक अध्यादेश जारी किया था. इसमें नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (NCCSA) बनाने की बात कही गई है. आम आदमी पार्टी इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बता रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 20 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह अध्यादेश लोकतंत्र और सुप्रीम कोर्ट के साथ भद्दा मजाक है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जैसे ही छुट्टियों के लिए सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ, उसके कुछ ही घंटों बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर कोर्ट का फैसला पलट दिया. केजरीवाल के मुताबिक, 

"कल (19 मई) 4 बजे कोर्ट बंद हुआ. 10 बजे ये अध्यादेश ले आए. इन्होंने आदेश को पलटने के लिए पहले से अध्यादेश लाने की तैयारी कर ली थी. अगर घटनाक्रम को देखें तो, पहले 3 दिन सर्विसेस सेक्रेट्री गायब हो गए. फिर चीफ सेक्रेटरी गायब होते हैं. जब 3 दिन बाद सिविल सर्विसेस बोर्ड की मीटिंग होती है. ये कोर्ट के बंद होने का इंतजार कर रहे थे."

केजरीवाल ने कहा कि वो जानते हैं कि यह अध्यादेश गैरकानूनी है. उन्हें पता था कि अगर सुप्रीम कोर्ट के खुले होने पर अध्यादेश लाते तो कोर्ट में 5 मिनट भी नहीं टिकता. तो क्या इस अध्यादेश की समयसीमा सवा महीने हैं. उन्होंने कहा, 

“एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट खुलेगा. हम इसको चुनौती देंगे. वो भी जानते हैं कि इस अध्यादेश का क्या होगा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की है. जब अध्यादेश ले आए तो इसकी क्या जरूरत थी.”

अरविंद केजरीवाल ने ये भी कहा कि अगर राज्यसभा में केंद्र सरकार बिल लेकर आती है तो वो विपक्षी नेताओं से इसे पास नहीं करवाने की अपील करेंगे.  इस अध्यादेश के जरिये संविधान के मूल ढांचे पर हमला किया गया है. ये लोकतंत्र विरोधी है. उन्होंने कहा कि वो सिर्फ दिल्ली सरकार को काम करने से रोकना चाहते हैं.

अध्यादेश में क्या है?

केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश लाया है उसके मुताबिक ये नई अथॉरिटी दिल्ली में अधिकारियों की तैनाती, तबादले और उनके खिलाफ मिली शिकायतों पर कार्रवाई करेगी. इस अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और गृह विभाग के प्रधान सचिव होंगे. ये अथॉरिटी बहुमत के आधार पर अधिकारियों की तैनाती-तबादले की सिफारिश करेगी, लेकिन अंतिम फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) का होगा. LG चाहें तो फाइल को वापस लौटा सकते हैं या उसे मंजूरी दे सकते हैं.

किसी अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति मंजूरी देती हैं. जब संसद सत्र नहीं होता है तो ऐसे अध्यादेश के जरिये सरकार कानून बनाती है. बाद में इसे विधेयक के रूप में संसद से पारित करवाना होता है. अध्यादेश की वैधता 6 महीने की होती है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

ये अध्यादेश तब आया है, जब कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि दिल्ली में अब अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार होगा. 11 मई को कोर्ट ने कहा था कि भले ही नेशनल कैपिटल टेरिटरी यानी दिल्ली पूर्ण राज्य ना हो, लेकिन यहां की चुनी हुई सरकार के पास भी ऐसे अधिकार हैं कि वो कानून बना सकती है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए. उपराज्यपाल को सरकार की सलाह पर ही काम करना होगा. ये भी कहा गया था कि पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा.

वीडियो: केजरीवाल के सारे मंत्री LG के घर के बाहर धरने पर किस वजह से बैठ गए?