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बालासोर जैसे रेल हादसों से बचाने वाले 'कवच' के लिए करोड़ों मिले, खर्च कितना हुआ?

दक्षिण पूर्वी रेलवे जोन का फाइनैंशियल डेटा भयानक सच दिखा गया.

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रेल कवच यानी ऑटोमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम में एक भी पैसे खर्च नहीं किया गया. (फोटो- ट्विटर)

ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में आई गड़बड़ी को जिम्मेदार बताया जा रहा है. ट्रेनों को हादसे से बचाने के लिए खर्च किए गए बजट की भी चर्चा हो रही है. पता चला है कि बीते सालों में दक्षिण पूर्वी रेलवे जोन के रेल सुरक्षा खर्च में गिरावट आई है. इस रेलवे जोन में बालासोर भी आता है.

इंडिया टुडे से जुड़ीं मिलन शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे से जुड़ा फाइनैंशियल डेटा बताता है कि पिछले कुछ सालों में इस जोन के रेल सुरक्षा बजट में कमी आई है. दिलचस्प बात ये कि रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लाए गए ऑटोमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम ‘कवच’ को लेकर एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण पूर्वी रेलवे जोन को 468 करोड़ 90 लाख रुपए आवंटित किए गए थे. लेकिन मार्च 2022 तक किए गए खर्च के मुताबिक एक भी पैसा कवच के लिए नहीं लगाया गया. वहीं इसी जोन के दूसरे सेक्टर के लिए 312 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया था. इसमें से भी एक भी पैसा इस स्वदेश निर्मित तकनीक पर खर्च नहीं किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक सिग्नल और टेलिकम्यूनिकेशन को दुरुस्त रखने के लिए दक्षिण पूर्वी रेलवे जोन को 162 करोड़ 29 लाख रुपए दिए गए थे. इस बजट से भी एक भी पैसा इस काम के लिए नहीं खर्च किया गया है.

सूत्रों के मुताबिक रेलवे की तरफ से बताया गया कि बजट का इस्तेमाल टेंडर न मिलने के कारण नहीं हो पा रहा है. रेलवे की तरफ से ये भी कहा गया कि कवच सिस्टम को नई दिल्ली-मुंबई और नई दिल्ली-हावड़ा जैसे व्यस्त रूट्स पर प्राथमिकता से लगाया जा रहा है. यहां ट्रेनों की आवाजाही काफी ज्यादा है. इन रूट्स पर ट्रेनें एक-दूसरे के काफी करीब चलती हैं.

इंटरलॉकिंग सिस्टम में थी खामियां

हादसे को लेकर मचे बवाल के बीच दक्षिण पश्चिम रेलवे का एक लेटर सामने आया है. इंडिया टुडे को मिले लेटर के मुताबिक, रेलवे जोन के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में खामियों के बारे में तीन महीने पहले ही चेतावनी दी थी. उन्होंने फरवरी में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के फेल होने के बारे में चिंता जताई थी. रेलवे बोर्ड को लिखे गए इस लेटर में कहा गया था कि अगर इस सिस्टम को नहीं सुधारा गया तो गंभीर हादसे हो सकते हैं.

इंडिया टुडे से जुड़े संवाददाता सगय राज की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण पश्चिम रेलवे के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने 9 फरवरी को एक एक्सप्रेस ट्रेन के सिग्नल फेल होने की चिंता जताई थी. बताया गया कि लोको पायलट की सूझबूझ और सतर्कता की वजह से एक हादसा टल गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, 8 फरवरी के दिन संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (12649) के लोको पायलट की सतर्कता की वजह से ट्रेन एक हादसे का शिकार होने से बच गई. मैनेजर ने बताया कि घटना ने इंटरलॉकिंग सिस्टम में कई खामियों को जाहिर किया. उन्होंने बताया कि ट्रेन का डिस्पैच रूट ट्रेन के चलने के सिग्नल पर चलने के बाद डिस्प्ले होता है. ये इंटरलॉकिंग प्रिंसिपल का उल्लंघन करता है.

प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने सिस्टम में इस खामी को दुरुस्त करने की बात भी कही थी. उन्होंने ये भी कहा था कि इसकी विस्तृत जांच की जाए और रिपोर्ट सभी स्टेशन मास्टर्स, TI और ट्रैफिक ऑफिसर के साथ साझा की जाए.

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