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बृजभूषण नार्को टेस्ट के लिए तैयार, विनेश और बबीता फोगाट के लिए बड़ी बात कह दी

विनेश फोगाट का कहा आरोप, बोलीं 'बृजभूषण सिंह के शोषण को सालों तक चुपचाप सहना पड़ा, कोई विकल्प नहीं था'

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दिल्ली के जंतर मंतर पर पहलवान बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं (फोटो: पीटीआई)

>विनेश फोगाट - पहली भारतीय महिला पहलवान, जिन्होंने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स - दोनों मुक़ाबलों में गोल्ड मेडल जीता.
>साक्षी मलिक - पहली भारतीय महिला पहलवान, जिन्होंने ओलंपिक मेडल जीता. साल था 2016, जगह ब्राजील का रियो दे जनेरो.
>बजरंग पूनिया - टोक्यो ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज़ जीतने वाले पहलवान.
>रवि दहिया - टोक्यो ओलंपिक्स में सिल्वर जीतने वाले पहलवान.

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तिरंगे की शान बढ़ाने वाले पहलवान. देश की राजधानी दिल्ली में धरने पर बैठे हैं. इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाल रहे हैं. और कह रहे हैं कि उन्हें दिया गया आश्वासन पूरा नहीं किया गया. और इस बार वो तब तक नहीं हिलेंगे, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा. हम पहलवानों के प्रदर्शन पर तीन शो कर चुके हैं और तीनों में आपको ये नाम याद दिलाए. इस बार इस लिस्ट में एक और नाम जोड़ लीजिए. 

> बृजभूषण शरण सिंह - सात बार के सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष.

पदक जीतने वाले इन पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर मानसिक प्रताड़ना और शारीरिक शोषण के आरोप लगाए हैं. बृजभूषण सिंह क्या कह रहे हैं? कह रहे हैं कि वो निर्दोष हैं. नार्को टेस्ट तक करवाने के लिए तैयार हैं. ये भी कह रहे हैं कि विनेश फोगाट उनके लिए रामायण की मंथरा बन कर आई हैं. दोनों ही पक्ष के अपने-अपने दावे हैं. मगर सत्य क्या है?

पहले एकदम हाल की बात करते हैं. जंतर-मंतर पर जमे प्रदर्शन में आरोपों का दंगल चल रहा है. और, अब तो सीधी चुनौती तक आ गया है. 21 मई को रोहतक के महम चौबीसी में खाप महापंचायत हुई. इसी महापंचायत में बृजभूषण के नारको टेस्ट की मांग उठी. फिर बीते रोज़, यानी 22 मई को कुश्ती संघ या WFI चीफ़ बृजभूषण सिंह ने अपने फ़ेसबुक अकांउट से लिखा कि वो नार्को और पॉलीग्राफ़ टेस्ट कराने के लिए तैयार हैं. लेकिन उनकी शर्त है कि उनके साथ विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का भी टेस्ट होना चाहिए.

इसपर पहलवानों की प्रतिक्रिया आई. उन्होंने एक सुर में कहा कि वो भी नार्को टेस्ट के लिए तैयार हैं. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पहलवानों और बृजभूषण सिंह का टेस्ट हो और इसका प्रसारण किया जाए.

ये तो कल की बात हो गई. आज अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में विनेश फोगाट ने एक आर्टिकल लिखा है. इसमें विनेश ने बताया है कि बाक़ी लड़कियों की तरह उन्हें भी बृजभूषण सिंह के शोषण को सालों साल तक चुपचाप सहना पड़ा. उनके पास कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा,

"न्याय के लिए हमारी लड़ाई एक महीने पुरानी है. फिर भी ऐसा लगता है कि हम एक साल से जंतर-मंतर पर हैं. इसलिए नहीं कि हम गर्मी में फुटपाथ पर सो रहे हैं, मच्छर हमें काट खाए जा रहे हैं, यहां शाम होते ही सिर्फ़ कुत्ते बचते हैं. साफ़-सुथरा शौचालय नहीं है. न्याय के लिए हमारी लड़ाई इतनी धीमी है क्योंकि न्याय का पहिया बहुत धीमे चलता है."

इधर बृजभूषण सिंह क्या कह रहे हैं? आजतक से बात करते हुए बृजभूषण ने कहा कि विनेश वही काम कर रही हैं, जो कि मंथरा ने रामायण में किया था.

विनेश फोगाट को मंथरा बताने वाले भाजपा सांसद बृजभूषण, पदक-विजेता बबीता फोगाट को भी मास्टरमाइंड बता चुके हैं.

18 जनवरी 2023 को जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक समेत कई दिग्गज पहलवान इकट्ठा हुए. प्रेस कॉन्फ्रेंस की और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कुश्ती संघ के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाए. कहा कि बृजभूषण, खिलाड़ियों को गाली देते हैं. मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं. इसके साथ-साथ महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन शोषण के भी आरोप लगाए.

बृजभूषण शरण सिंह, जो कुश्ती संघ के अध्यक्ष होने के साथ-साथ कैसरगंज से बीजेपी सांसद भी हैं. उनकी ओर से सफाई आई. बृजभूषण ने कई उदाहरण देकर ये साबित करने की कोशिश की कि उन्होंने पहलवानों को कितना सपोर्ट किया. साथ ही आरोपों को झूठा बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर आरोप साबित हो जाएं, तो उन्हें फांसी दे दी जाए. बृजभूषण ने कहा कि अगर उन पर लगे आरोपों में दम है, तो FIR क्यों नहीं की गई? इसके अलावा बृजभूषण ने ये भी कहा कि ये उनके खिलाफ कोई बड़ा उद्योगपति साज़िश कर रहा है. अब सवाल है कि ये उद्योगपति है कौन ?

जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना जारी रहा तो खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उनसे मुलाकात की और जांच कमेटी बनाने का आश्वासन दिया. पहलवानों का धरना खत्म हुआ. आरोपों की जांच के लिए भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा ने एक कमेटी बनाई. कमेटी की मुखिया थीं ओलंपिक पदक विजेता मैरी कॉम. मैरी के अलावा पहलवान योगेश्वर दत्त, शटलर तृप्ति मुर्गुंडे, SAI सदस्य राधिका श्रीमन, लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना के पूर्व CEO राजेश राजगोपालन और CWG स्वर्ण पदक विजेता बबीता इस निगरानी समिति के सदस्य थे. जांच कमेटी की जांच खत्म हुई अप्रैल में. रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी गई. इसी बीच बजरंग पूनिया और अन्य प्रदर्शनकारी पहलवानों ने आरोप लगाया कि जांच कमेटी की रिपोर्ट, मंत्रालय को सौंप दी गई और हमें इसके बारे में बताया नहीं गया.

इसके साथ ही एक बार फिर से जंतर मंतर पर पहलवानों का धरना शुरू हो गया. तारीख थी 23 अप्रैल 2023. धरने पर बैठने से दो दिन पहले यानी 21 अप्रैल को पहलवानों ने दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ शिकायत दी थी. हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस पर FIR नहीं दर्ज किया था.   जिसके बाद पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में पहलवानों की याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवानों ने याचिका में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं. आखिर FIR दर्ज क्यों नहीं की जा रही है?

जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपों की जांच के लिए भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा बनाई कमेटी से जांच रिपोर्ट मांगी गई है. दिल्ली पुलिस FIR दर्ज करने से पहले कुछ प्रारंभिक जांच करना चाहती है. सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को ये भी बताया कि आज (28 अप्रैल)  को FIR दर्ज कर ली जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नाबालिग शिकायतकर्ता को पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया.

28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो FIR दर्ज की. एक मामला पॉक्सो एक्ट के तहत था, जिसमें नाबालिग पहलवान ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. जबकि दूसरा मामला 6 अन्य महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों पर था. FIR दर्ज करने के बाद दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के बयान दर्ज करने शुरू किए.

इससे एक दिन पहले 27 अप्रैल को भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष PT ऊषा ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन को अनुशासनहीनता बताया था. उन्होंने कहा था कि अगर खिलाड़ियों को दिक्कत थी तो उन्हें पहले स्पोर्ट्स अथॉरिटी के पास आना चाहिए था. PT ऊषा के बयान पर प्रदर्शनकारी पहलवानों ने आपत्ति जताई. हालांकि अगले दिन यानी 28 अप्रैल को देश भर के अलग-अलग खेलों से जुड़े खिलाड़ियों ने प्रदर्शनकारी पहलवानों को अपना समर्थन दिया.  

इधर बृजभूषण की गिरफ्तारी और WFI अध्यक्ष पद से हटाने की मांग को लेकर पहलवानों का धरना जारी रहा. और 3-4 मई की रात जमकर हंगामा हुआ. सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए जिसमें पहलवानों ने एक पुलिसकर्मी को पकड़ रखा था. पहलवानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की है. एक पहलवान को चोट भी लगी थी. पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक रोती नजर आईं. देर रात आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कई नेता भी जंतर-मंतर पहुंचे.  

वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने मारपीट से इंकार किया. कहा कि कुछ लोगों को धरना स्थल पर फोल्डेबल कॉट्स (फोल्ड होने वाली चारपाई) ले जाते देखा गया. जब उनसे सवाल जवाब किया गया, तो वो आक्रामक हो गए. और पहलवान इसी बहस में शामिल हो गए.  

11 मई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने रेसलिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया समेत 15 और स्पोर्ट्स फेडरेशन्स को एक नोटिस जारी किया. कहा कि फ़ेडरेशन, यौन उत्पीड़न क़ानून के प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं. आयोग ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेते हुए ये नोटिस जारी किया था. क्या था रिपोर्ट में?

दरअसल बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच के लिए भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन जो कमेटी बनाई थी, उसने कहा था कि संस्था में इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी (ICC) नहीं है और यौन शोषण क़ानून के तहत ICC का होना अनिवार्य है. 4 मई को इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट की, कि कुश्ती संघ इस कानून का उल्लंघन करने वाला अकेला नहीं था. भारत के 30 में से 16 स्पोर्ट्स फेडरेशन ने ICC वाला नियम पालन नहीं करते. इसी के बाद NHRC ने Sports Authority of India (SAI) और Board of Control for Cricket in India (BCCI) समेत 15 और स्पोर्ट्स फेडरेशन को भी नोटिस भेजा और चार हफ्ते में रिपोर्ट मांगी. अब यहां सवाल ये उठता है कि जब ICC का न होना यौन शोषण क़ानूनों का उल्लंघन है तो ये कैसे हो सकता है कि खेल के इतने बड़े संगठन में ये नहीं है और किसी को इसकी कोई परवाह तक नहीं.

12 मई को भारतीय ओलंपिक संघ ने एक बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय कुश्ती महासंघ के सभी निवर्तमान अधिकारियों को प्रशासनिक कार्यों से प्रतिबंधित कर दिया था. IOA ने एक एडहॉक कमेटी बनाई जिसे WFI का से जुड़े काम देखने और एग्जीक्यूटिव कौंसिल का चुनाव कराने को कहा गया.

ये तो हो गई अब तक की कहानी. जो कुछ हुआ उसके बारे में हमने आपको बताया. लेकिन जो आगे होने वाला है उसका क्या? इसी साल सितंबर में एशियन गेम्स हैं, अगर खिलाड़ियों का प्रदर्शन जारी रहा तो क्या होगा? इसके अलावा और कौन-कौन से टूर्नामेंट हैं, जिन पर भारतीय कुश्ती में चल रही इस उठापटक का असर पड़ेगा, समझते हैं जानकारों से.

एशियन गेम्स और दूसरे टूर्नामेंट्स की तैयारियों पर पहलवानों का क्या कहना है? इस पर इंडियन एक्सप्रेस में विनेश फोगाट ने एक आर्टिकल लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है,  
'जनवरी में, जब बजरंग, साक्षी और मैंने जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू करने का फैसला किया तो हमें लगा कि न्याय मिलने में दो-तीन दिन से ज्यादा नहीं लगेंगे. हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें उन महिला पहलवानों के मान और सम्मान के लिए फिर से प्रदर्शन करना पड़ेगा जिन्होंने यौन उत्पीड़न पर बोलने का साहस दिखाया है... एशियन गेम्स नज़दीक हैं... हालांकि हमें भारत का प्रतिनिधित्व करना है और पदक जीतना है, यह एक बड़ी लड़ाई है... अगर आप न्याय के लिए नहीं लड़ सकते तो आपके गले में पदकों का क्या मतलब है?'

आज 23 मई है. पहलवानों का धरना जारी है. आज पहलवानों ने दिल्ली में इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाला.
विनेश फोगाट हों, साक्षी मलिक हों, बजरंग पुनिया या रवि दहिया. ये चार और इनके जैसे सैकड़ों पहलवानों को ट्रेनिंग करके दूसरे देशों के पहलवानों से जीतना था. देश के लिए और मेडल जीतने थे. नए पहलवान तैयार करने थे. लेकिन पूरा महीना बीत गया. और वो अपने ही फेडरेशन और सरकार से कुश्ती लड़ रहे हैं. देश के नामी खिलाड़ी अगर खेलने की जगह, प्रदर्शन को मजबूर हो जाएं तो ये सामूहिक चिंता की ज़रूरत है. इस मसले का जल्द से जल्द निपटारा किया जाना चाहिए. ताकि आरोप साबित होने पर दोषियों को उचित सज़ा दी जा सके. ताकि ये खिलाड़ी यहां से निकलकर हमारे लिए और पदक जीत सकें. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: एक महीने से प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को अब बृजभूषण ने क्या चैलेंज दे दिया?