तारीख़ 6 अप्रैल 2022, आकर पटेल भारत से बाहर जा रहे थे लेकिन उन्हें बेंगलुरु एयर पोर्ट पर रोक लिया जाता है. वजह बताई गई कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है. लेकिन अब कोर्ट का आदेश आया है कि CBI तुरंत आकार पटेल के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर को वापस ले. और साथ ही उनसे माफ़ी भी मांगे.
आकार पटेल ने कोर्ट के इस फैसले पर ट्वीट करते हुए लिखा
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया को अपराधी बताना (मनी लॉन्ड्रिंग मामले में) मुर्खता है. एमनेस्टी से पूछें कि एक बयान में अल्पविराम या एम्परसेंड को पारित करना कितना मुश्किल होता है. एमनेस्टी एक महान संस्था है और मैं इसको अपना बताते हुए बहुत गौरव महसूस करता हूं.
The absurdity of accusing amnesty of criminality (of all things money laundering). ask amnesty wallahs how hard it it to get a comma or ampersand passed in a statement. This is a great org that I’m v proud of and honoured to call my community https://t.co/bNevVES6eF
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) April 7, 2022
NDTV की ख़बर के मुताबिक अदालत ने इस मामले में कहा
"इस मामले में, सीबीआई प्रमुख को चूक को स्वीकार करते हुए एक लिखित माफी आवेदक (आकार पटेल) से मांगनी चाहिए. इससे संस्थान (सीबीआई) में जनता का विश्वास और मज़बूत होगा.”
अदालत ने आगे कहा,
"आर्थिक नुकसान के अलावा, आवेदक को मानसिक उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें निर्धारित समय पर आने की अनुमति नहीं थी."
कोर्ट ने सीबीआई निदेशक से उन अधिकारियों को भी संवेदनशील बनाने को कहा जो सर्कुलर जारी करने का हिस्सा हैं.
राउज एवेन्यू कोर्ट ने आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) वापस लेने का आदेश देते हुए कहा कि अब यह उम्मीद की जाती है कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही आगे तय की जाएगी.
आकार पटेल ने सार्वजनिक रूप से यह बात कही है कि उनकी किताबें जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करती हैं, शायद वही वजह है कि उन्हें विदेशों में व्याख्यान में बोलने से रोका जा रहा है.
एमनेस्टी के खिलाफ क्या मामला है?
नवंबर 2019 में सीबीआई ने एमनेस्टी और उसकी तीन सहयोगी संस्थाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एमनेस्टी पर आरोप लगा था कि उसने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) का उल्लंघन किया है.
NDTV के मुताबिक सीबीआई में दर्ज शिकायत में कहा गया था,
एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके ने कथित तौर पर भारतीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना FDI के रूप में एमनेस्टी इंडिया की संस्थाओं को 10 करोड़ रुपए का भुगतान किया. इसके अलावा 26 करोड़ की रकम भी यूके की संस्थाओं की ओर से मंत्रालय की मंजूरी के बिना एमनेस्टी इंडिया को दी गई, जिसे भारत में NGO की गतिविधियों पर खर्च किया गया. यह FCRA का उल्लंघन है.
लुकआउट सर्कुलर क्या होता है?
एलओसी (LOC) माने लुकआउट सर्कुलर को यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किया जाता है कि कोई अपराधी या जेल से फरार हुआ व्यक्ति देश के बाहर न जा सके. ऐसा प्रावधान है कि कई बार यह सर्कुलर पुलिस भी कोर्ट से जारी करवाती है. हालांकि, जिस शख्स के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया जाता है, उसे यह अधिकार भी होता है कि वह उसके ख़िलाफ़ कोर्ट जा सके.
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