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पीएम मोदी ने 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा

74 साल बाद देश में लौटे हैं चीते.

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पीएम मोदी ने जन्मदिन के मौके पर चीतों को कूनो पार्क में रिलीज किया (फोटो- ANI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से आए 8 चीतों (Cheetah) को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया है. इसी के साथ एक बार देश में चीतों को बसाने की शुरुआत हुई है. ये शुरुआत खास दिन पर हुई है, वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन. इसलिए प्रधानमंत्री अपने जन्मदिन पर खुद कूनो नेशनल पार्क पहुंचे और चीतों को वहां छोड़ा. भारत लाए गए 8 चीतों में 5 मादा हैं और 3 नर. इन चीतों को बिना बेहोश किए बड़े पिंजरों में डालकर भारत लाया गया.

पीएम मोदी ने नामीबिया को धन्यवाद दिया

नामीबिया से चीतों का लेकर आया विशेष विमान 17 सितंबर की सुबह साढ़े सात बजे ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचा. ग्वालियर से इन चीतों को चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिये कूनो नेशनल पार्क लाया गया. फिलहाल, इन चीतों को पार्क में अलग से बनाए गए एक क्वारंटीन जोन में ही रखा जाएगा. इन चीतों के रहने की विशेष व्यवस्था की गई है. एक महीने के बाद इन्हें बड़े इलाके में छोड़ा जाएगा.

कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़े जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया सरकार को धन्यवाद दिया. पीएम मोदी ने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ. प्रधानमंत्री ने कहा, 

"आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं. हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का धन्यवाद करता हूं जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं."

दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने की योजना

भारत में चीतों की वापसी 'प्रोजेक्ट चीता' योजना के तहत हुई है. केंद्र सरकार के मुताबिक, ये पहली बार है जब इतने बड़े जंगली मांसाहारी जानवर को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप के जंगल में ट्रांसफर किया जा रहा है. भारत ने चीतों को लाने के लिए इस साल की शुरुआत में नामीबिया से समझौता किया था. सरकार का मानना है कि चीतों के आने से जंगल और घास के मैदान के इकोसिस्टम की बहाली में मदद मिलेगी.

कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाने के बाद चीता (फोटो-PIB)

साल 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से चीतों को विलुप्त मान लिया था. यानी देश में एक भी चीता नहीं बचा था. अब 74 साल बाद देश के जंगलों में फिर से चीतों की वापसी हुई है. इसके बाद भी दूसरे अफ्रीकी देशों से चीतो को लाकर देश में बसाए जाने की योजना है. पिछले महीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बताया था कि चीतों को लाने के लिए दक्षिण अफ्रीका के साथ भी समझौते की तैयारी चल रही है. अगर ये समझौता हुआ देश में चीतों की संख्या बढ़कर 12-14 हो सकती है.

चीतों का बसाने के लिए 2010-12 के बीच 10 जगहों का सर्वेक्षण किया गया था. इसमें कूनो नेशनल पार्क को चीते के लिए सबसे उपयोगी माना गया. कूनो नेशनल पार्क की मौजूदा क्षमता अधिकतम 21 चीतों की है. सरकार के मुताबिक, एक बड़ा इलाका तैयार होने के बाद वहां 36 चीतों को रखा जा सकता है.

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