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ED ने छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के शराब घोटाले का दावा किया, कांग्रेस नेता का भाई गिरफ्तार

75 से 150 रुपये तक कमीशन, दुकान में कच्ची शराब, ED ने और क्या-क्या बताया?

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अनवर ढेबर को ED ने होटल से गिरफ्तार किया था (फोटो- इंडिया टुडे)

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले का खुलासा किया है. दावा है कि इस घोटाले में राज्य के कई प्रमुख नेता और बड़े अधिकारी शामिल हैं. इस मामले में मुख्य आरोपी कहे जा रहे अनवर ढेबर को ED ने एक दिन पहले गिरफ्तार किया था. कोर्ट में पेशी के बाद ढेबर को चार दिन ED की रिमांड में भेज दिया गया. अनवर ढेबर कांग्रेस नेता और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई हैं.

इससे पहले मार्च में ED ने छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर छापेमारी की थी. इस मामले से जुड़े कई लोगों के बयान दर्ज किए गए थे. इंडिया टुडे से जुड़े मुनीष पांडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ED का दावा है कि साल 2019 और 2022 के बीच "अकूत भ्रष्टाचार" हुआ और 2000 करोड़ रुपये की ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ के सबूत मिले हैं. ED के मुताबिक, 

"मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत हुई जांच में पता चला कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में संगठित आपराधिक सिंडिकेट चलाया जा रहा है. अनवर को बड़े राजनेताओं और सीनियर नौकरशाहों का सपोर्ट हासिल है. अनवर ने ऐसा नेटवर्क तैयार किया है, जिससे छत्तीसगढ़ में हर शराब की बोतल बेचे जाने पर अवैध वसूली की जाती है."

रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में शराब की खरीद-ब्रिकी और स्टॉक, सब सरकार के नियंत्रण में है. राज्य में प्राइवेट शराब की दुकान खोलने की इजाजत नहीं है. छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) राज्य में बिकने वाली शराब का स्टॉक करता है. साथ ही शराब दुकान चलाने, कैश कलेक्शन, बोतल बनाने जैसे काम में लगने वाले वर्कफोर्स के लिए टेंडर भी जारी करता है. राज्य में सभी 800 शराब दुकान सरकार के नियंत्रण में है.

ED का आरोप है कि अनवर ढेबर अपनी राजनीतिक पहुंच के कारण CSMCL के कमिश्नर और एमडी के करीब तक पहुंचा. उनकी मदद से CSMCL में अपने करीबियों को नौकरी दिलवाई. इस तरकीब से उसने शराब कारोबार की पूरी प्रक्रिया पर कब्जा कर लिया.

75 से 150 रुपये तक कमीशन

इंडिया टुडे ने ED सूत्रों के हवाले से बताया है कि ये सिंडिकेट शराब की क्वालिटी के हिसाब से 75 से 150 रुपये तक वसूलता था. ये पैसे सप्लायर से वसूले जाते थे. अनवर ढेबर कुछ लोगों की मदद से कच्ची शराब भी बनवाता था. उसके प्रभाव के कारण सरकारी दुकानों से ये शराब भी बेची जाती थी. इसके अलावा नकली होलोग्राम बनवाए जाते थे. सरकारी गोदामों को बायपास कर शराब सीधे दुकान में पहुंचाई जा रही थी. दुकानों को सिर्फ कैश में पैसे लेने को कहा गया था. शराब बनाने वालों से लाइसेंस के नाम पर सालाना कमीशन भी वसूला गया.

ED के मुताबिक, जांच में पता चला है कि साल 2019 से 2022 तक राज्य में कुल शराब बिक्री का 30 से 40 फीसदी अवैध ही था. और इससे 1200 से 1500 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया गया. इसी आधार पर ED ने 2000 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया है. बताया कि ये पैसे सिर्फ इस अनवर ढेबर के पास नहीं जा रहे थे. अपना हिस्सा रखने के बाद वो अपने पॉलिटिकल मास्टर्स को पैसे पहुंचाता था. पूरे नेटवर्क में एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारी, सीनियर IAS अधिकारी और नेता शामिल रहे हैं.

इससे पहले ED ने अनवर ढेबर के घर सहित छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी. ED का कहना है कि अनवर को सात बार समन भेजा गया था लेकिन जांच में शामिल नहीं हुआ. आखिरकार, 5 मई की सुबह ED ने उसे रायपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया. ED के इन दावों पर फिलहाल राज्य सरकार का कोई जवाब नहीं आया है.

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