The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

'सभी सरकारों की देन है, नेहरू के रक्षा मंत्री ने खरीदा था', INS विक्रांत पर बोली कांग्रेस पार्टी

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूछा, क्या पीएम मोदी इस बात को स्वीकार करेंगे कि INS विक्रांत सभी सरकारों के सामूहिक प्रयास की देन है?

post-main-image
INS Vikrant को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है | फोटो: आजतक

विमानवाहक पोत INS विक्रांत (INS Vikrant) को लेकर श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई है. INS Vikrant को लेकर कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर निशाना साधा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा है कि INS Vikrant सिर्फ मोदी सरकार की उपलब्धि नहीं है. ये पिछली कई सरकारों के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है. उनके मुताबिक इसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन ने खरीदा था. जयराम रमेश ने अपने एक ट्वीट में लिखा,

'भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत आज 1999 से जारी सभी सरकारों के सामूहिक प्रयास की देन है. क्या प्रधानमंत्री इस बात को स्वीकार करेंगे?'

जयराम रमेश ने आगे लिखा,

'आइए मूल आईएनएस विक्रांत को भी याद करें, जिसने 1971 के युद्ध में देश की अच्छी सेवा की थी. (पूर्व रक्षा मंत्री) वीके कृष्ण मेनन ने इसे ब्रिटेन से खरीदने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.'

नौसेना में कमीशन हुआ INS Vikrant

इससे पहले 2 सितंबर को INS विक्रांत, भारतीय नौसेना में कमीशन हुआ. ये एयरक्राफ्ट कैरियर पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना है. नौसेना के पास अब दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं. INS विक्रांत के अलावा INS विक्रमादित्य भी भारत के पास है. INS विक्रांत के आने से हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ गई है.

नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमाडे ने मीडिया को बताया कि INS विक्रांत के आने से हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर में शांति और स्थिरता बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि INS विक्रांत पर एयक्राफ्ट का लैंडिंग ट्रायल नवंबर में शुरू होगा और 2023 के मध्य तक ये पूरा हो जाएगा.

अमेरिका, यूके, रूस, चीन और फ्रांस के बाद भारत भी अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिनमें स्वदेशी तकनीक से एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की क्षमता है. INS विक्रांत की 76 फीसदी चीजें भारत में बनी हैं.

Image

भारत के पहले विमानवाहक पोत का नाम 'आईएनएस विक्रांत' ही था. ये वही जहाज था जिसने 1971 की जंग के दौरान भारत की ओर बढ़ रही पाकिस्तानी पनडुब्बी 'गाजी' को रोक दिया था. इस जहाज को भारत ने 1961 में ब्रिटेन की रॉयल नेवी से खरीदा था. 1997 में इसे सेवा से मुक्त कर दिया गया था. अब जब भारत ने स्वदेशी तकनीक से एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया, तो वही नाम बरकरार रखा. पुराना वाला INS विक्रांत भी हिंद महासागर में भारत की बड़ी ताकत था और नया INS विक्रांत भी बड़ी ताकत बनेगा.

वीडियो देखें : NIA ने बताया- 'दाऊद हथियार और ड्रग्स तस्करी के लिए बना रहा प्लान', D-कंपनी पर 90 लाख का इनाम