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MP के स्कूल का 'हिजाब' विवाद क्या, जो टेरर फंडिंग, लव जेहाद तक मामला पहुंच गया?

दमोह में स्कूल के टॉपरों का पोस्टर लगा, हिंदू संगठनों ने क्या देख हंगामा किया जो स्कूल की मान्यता गई. 11 लोगों के खिलाफ केस और अब राजनीति गरमा रही है...

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10 दिन से स्कूल को लेकर विवाद जारी है (फोटो- सोशल मीडिया/पीटीआई)

कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद मध्य प्रदेश का एक स्कूल भी इसके केंद्र में आ गया है. यहां मामला थोड़ा अलग है. दमोह के गंगा जमना स्कूल पर आरोप लगा कि हिंदू लड़कियों को जबरन हिजाब पहनाया जाता है. हिंदू संगठनों के लोगों ने स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया. विवाद इतना बढ़ा कि स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई. स्कूल प्रबंधक समेत 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. पूरा मामला क्या है, एक-एक कर समझाते हैं.

गंगा-जमना स्कूल का पूरा विवाद

विवाद शुरू होता है एक पोस्टर से. 25 मई को मध्य प्रदेश 10वीं बोर्ड की परीक्षा का रिजल्ट आया था. इसके बाद गंगा जमना स्कूल ने अपने टॉपर्स का एक पोस्टर लगवाया. पोस्टर में जिन लड़कियों की तस्वीर लगाई गई, उनमें सभी हिजाब पहने दिख रही हैं. पोस्टर में तीन हिंदू लड़कियों की भी तस्वीर है. इन लड़कियों ने भी हिजाब या स्कार्फ पहना हुआ है. ये पोस्टर वायरल हो गया. लोगों ने धर्म परिवर्तन के आरोप लगाने शुरू कर दिए.

30 मई को दमोह के जिलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने ट्विटर पर बताया कि गंगा जमुना स्कूल के एक पोस्टर को लेकर फैलाई जा रही जानकारी गलत है. जिलाधिकारी के मुताबिक, सदर थाना प्रभारी और जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच की, जिसमें आरोप सही साबित नहीं हुए. बाद में इस कमिटी में दमोह के डिप्टी कलेक्टर आरएल बागरी और महिला सेल की डिप्टी एसपी भावना दांगी को भी शामिल किया गया. हालांकि कलेक्टर के बयान के बाद भी मामला ठंडा नहीं हुआ. हिंदू संगठन के लोग स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते रहे.

स्कूल का संचालन एक ट्रस्ट 'गंगा जमना वेलफेयर समिति' के जरिये होता है. साल 2010 से ये स्कूल चल रहा है. बवाल बढ़ने के बाद गंगा जमना वेलफेयर समिति ने एक जून को एक बैठक बुलाई. बैठक में स्कूल के ड्रेस कोड को लेकर फैसला लिया गया. कलेक्टर को पत्र लिखकर ड्रेस कोड के बारे में बताया गया कि छात्रों के लिए यैलो चेक शर्ट, ब्राउन पैंट और जूते मोजे. छात्राओं के लिए यैलो चेक कुर्ता/सलवार, अपनी इच्छानुसार दुपट्टा/स्कार्फ, जूते मोजे आदि. इस समिति के अध्यक्ष मोहम्मद इदरीस हैं.

इस पत्र को लिखे जाने के अगले दिन यानी 2 जून को सरकार ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी. खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसे लेकर ट्वीट किया था कि उनके "भांजे-भांजियों" के साथ किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

इस स्कूल में 1208 छात्र और छात्राएं हैं. स्कूल की मान्यता रद्द करने के पीछे वजह कुछ और बताई गई है. सरकारी आदेश में लिखा गया है, 

"स्कूल में लाइब्रेरी की समुचित व्यवस्था नहीं है. फिजिक्स और केमिस्ट्री की लैबोरेट्री में पुराने फर्नीचर और सामान है. लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालयों और शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. छात्रों के लिए खेल के मैदान और खेल सामग्री की समुचित व्यवस्था नहीं है. इसलिए मध्य प्रदेश माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूल की मान्यता नियम 2017 के तहत तत्काल प्रभाव से स्कूल की मान्यता रद्द की जाती है."

स्कूल की मान्यता रद्द होने का आदेश

इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने मीडिया के सामने बयान दिया. समिति के अध्यक्ष मोहम्मद इदरीस ने बताया, 

"हमारा उद्देश्य उत्तम शिक्षा देने का है. इस साल हमारे बच्चे अच्छे मार्क्स लाए हैं. पोस्टर पर कुछ लोगों को आपत्ति है. किसी की भावना को अगर ठेस पहुंची है तो हम खेद व्यक्त करते हैं. हमारी सोसायटी ने प्रस्ताव पास किया है कि छात्राएं दुपट्टे को भी स्वेच्छापूर्वक लगा सकेंगी."

धर्मांतरण के आरोपों का सच क्या?

इधर, राज्य सरकार ने जिला प्रशासन को मामले की विस्तृत जांच करने का आदेश दिया. इन सबके बावजूद विवाद नहीं थम पाया. 5 जून को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने स्कूल में 'धर्मांतरण' का बड़ा आरोप लगाया. शर्मा ने सवाल उठाया कि स्कूल प्रबंधकों का टेरर फंडिंग से क्या संबंध है? दावा किया कि स्कूल प्रबंधन ने "लव जिहाद" में फंसाकर टीचर्स का धर्मांतरण करवाया.

5 जून को बाल कल्याण आयोग, दमोह की टीम मामले की जांच के लिए स्कूल पहुंची थी. जांच के बाद आयोग ने मीडिया को बताया कि जिसे ये स्कार्फ बोल रहे हैं, वो हिजाब हैं. आयोग के मुताबिक, दो बच्चियों ने बताया कि उन्हें बोला जाता था कि वे हिजाब लगाएं. आयोग ने स्थानीय जिला शिक्षा अधिकारी की जांच पर भी सवाल उठाए. आयोग के सदस्य दीपक तिवारी ने बताया कि जांच में स्कूल की महिला प्रिंसिपल के साथ दो और टीचर्स के नामों में अंतर पाया गया, उनके पुराने नाम हिंदू थे लेकिन अब उनके नाम मुस्लिम धर्म के मुताबिक हैं.

हालांकि धर्म परिवर्तित कराने वाली तीनों टीचर्स ने बताया कि इसका स्कूल से कोई संबंध नहीं है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, टीचर अनिता खान ने बताया कि वो पहले अनिता यदुवंशी थीं. अनिता के अनुसार, उनकी शादी 2013 में हुई थी और उन्होंने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करवाया था. स्कूल से वह 2021 में जुड़ी, इसलिए इसका स्कूल से कोई लेना-देना नहीं है.

एक और टीचर अफशां शेख ने बताया कि उनकी कोर्ट मैरिज साल 2000 में हुई थी. और इस्लामिक तरीके से उनकी शादी 2001 में हुई थी. अफशां का नाम पहले दीप्ति श्रीवास्तव था. अफशां के मुताबिक, उन्होंने गंगा जमना स्कूल 2010 में जॉइन किया. इसलिए जो आरोप लग रहे हैं वो सही नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी टीचर तबस्सुम बानो हैं. पहले उनका नाम प्राची जैन था. उनकी शादी 2004 में हुई थी. 2012 में स्कूल जॉइन किया. तबस्सुम ने कहा कि बार-बार जो लोग इस बात को स्कूल से जोड़ रहे हैं, आज के बाद ना जोड़ें.

जिला शिक्षा अधिकारी को हटाया गया

इसके बाद 6 जून को कुछ प्रदर्शनकारियों ने 'जय श्री राम' का नारा लगाते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) के मुंह पर स्याही पोत दी. इसका आरोप बीजेपी के कुछ कार्यकर्ताओं पर लगा. उसी दिन DEO एसके मिश्रा को पद से हटा दिया गया.

मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि स्कूल प्रबंधन को क्लीन चिट देने की बजाय आरोपों की ठीक तरीके से जांच करनी चाहिए थी. शिक्षा मंत्री ने कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल उठाए. उन्होंने पत्रकारों से कहा, 

"शुरुआती जांच में DEO को दोषी पाया गया है क्योंकि उन्होंने गलत जानकारी देने की कोशिश की. वे स्कूल की अनियमितताओं की जांच करने में फेल रहे. उन्हें पद से हटा दिया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी."

7 जून को मामले पर एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान आया. शिवराज ने मीडिया से कहा, 

"मैंने जांच के निर्देश दिए हैं. उच्चस्तरीय जांच होगी. एक बात साफ है कि कोई भी बेटी या बच्चों को अलग ड्रेस पहनने के लिए या बांधने के लिए चाहे वो हिजाब हो या बाकी चीज हो, बाध्य नहीं कर सकता है. हम कठोरतम कार्रवाई करेंगे. जांच की रिपोर्ट आने दीजिये. जो सच होगा उसके आधार पर कार्रवाई होगी."

7 जून को ही स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. दमोह के एसपी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल प्रबंधन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है. एसपी के मुताबिक, FIR पोस्टर वाले मामले से अलग है, इसका उससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने दी लल्लनटॉप को बताया कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ IPC की धारा 295(A) (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने), 506(B) (आपराधिक धमकी देने) और जुवेनाइन जस्टिस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. एसपी ने कहा कि ये FIR चार बच्चों के बयान के आधार पर दर्ज की गई है.

इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा जा चुका है. मध्य प्रदेश बीजेपी ने स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ NIA जांच करवाने की मांग की है. बीजेपी नेता सुरेंद्र शर्मा ने शाह को पत्र में लिखा है कि स्कूल के संचालकों की संपत्ति पिछले कुछ सालों में कई गुना बढ़ी है. उनके पास हजारों एकड़ की जमीन है. ये कैसे आई इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने अमित शाह से मांग की है कि धर्मांतरण, आय के अधिक स्रोत और टेरर फंडिंग की जांच NIA से करवाई जाए. 

हमने पूरे मामले में गंगा जमना वेलफेयर समिति के अध्यक्ष मोहम्मद इदरीस से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. उनका वर्जन मिलने के बाद स्टोरी अपडेट की जाएगी.

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