कपिल मिश्रा के वीडियो पर दिल्ली पुलिस की भयानक भद्द पिटी.
दिल्ली हाईकोर्ट में आज यानी 26 फरवरी को जाफराबाद समेत दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हुई हिंसा को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि इस अदालत के होते हुए दिल्ली में दूसरा 1984 नहीं होने दे सकते हैं. सरकार से कहा कि तेज़ी से काम करें. और संवैधानिक पदों पर बैठे जिन भी लोगों के पास Z श्रेणी की सुरक्षा है, वे नार्थ ईस्ट दिल्ली के तनावग्रस्त इलाकों में जाएं. लोगों से बात करें. दिल्ली पुलिस से कहा कि हेल्पलाइन बढ़ाएं. कोर्ट ने भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा द्वारा समय-समय पर दिए गए आपत्तिजनक और भड़काऊ बयानों पर भी कार्रवाई करने की बात की. इसके पहले आधी रात 12:30 बजे जस्टिस एस मुरलीधरन के आवास पर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया था कि घायलों को जल्द से जल्द इलाज उपलब्ध हो सके, इसलिए उन्हें पुलिस सेफ पैसेज मुहैया कराए. लेकिन इस मामले में कोर्ट में धीरे-धीरे नाम उछल आ गया असदुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान का. कैसे? जानिये पूरा मामला. मामले की सुनवाई हो रही थी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच के मसले में FIR दर्ज कीजिए. इस पर तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने दिल्ली पुलिस का पक्ष रखा. कहा कि अभी इस मामले में किसी के खिलाफ FIR करने से माहौल बिगड़ सकता है. इसीलिए फिलहाल पुलिस जांच में जुटी है. जांच के बाद दोषियों के खिलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हो रहे वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए. कहा कि अगर कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर जैसे लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने में हिचकिचाहट है तो उसका कारण है. कारण ये कि ये सभी सरकार का हिस्सा हैं. और इसमें मिनिस्टर तक शामिल हैं. कहा कि पुलिस को बिना किसी भय या दबाव के क़ानून की रक्षा करनी चाहिए. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस कोई पिकनिक नहीं मना रही है. वो भी अटैक झेल रही है. गोंजाल्विस के बयान के बाद हुआ थोड़ा बवाल. कोर्ट रूम में मौजूद हिंदू महासभा के वरुण सेना मौजूद थे. कहा कि इस याचिका में बीजेपी के नेताओं का नाम क्यों लिया गया है? क्या लोगों ने टीवी पर असदुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान के बयान को नहीं देखा है? उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए? इस याचिका में उन पर FIR करने की बात क्यों नहीं कहीं की गई है?
इसको लेकर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसी तरह की चीज़ों के मद्देनजर फिलहाल हम FIR दर्ज नहीं करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि दिल्ली में शांति और अमन बहाल हो. अभी इस मामले में FIR दर्ज करके गिरफ्तारी करने से माहौल और बिगड़ सकता है. हम फिलहाल अभी उस दबाव के वातावरण में हैं, जिसमें चीजों को ठंडा करना पहले जरूरी है. इसके साथ ही कोर्ट में एक अलग बात आई. तुषार मेहता ने कहा कि मसला सिर्फ तीन वीडियो पर नहीं सिमटा हुआ होना चाहिए. ऐसे कई सारे दूसरे केस हैं, जहां दूसरों ने भी भड़काऊ भाषण किये हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि आपको क्या लगता है कि भड़काऊ भाषणों की इन सारी क्लिप्स में कब FIR की जानी चाहिए? कितनी संपत्तियों में आग लगाई जाएगी? कितनी मौतें होंगी? इस पर तुषार मेहता ने कहा,
"FIR दर्ज करने के लिए Conducive यानी अनुकूल स्थिति होनी चाहिए."
इस पर कोर्ट ने कहा कि अनुकूल स्थिति बनानी होगी. पुलिस को दिखाना होगा कि उसका मकसद काम करना है. तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को गुस्सा नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हम गुस्सा नहीं हैं, हम दुखी हैं. फिर सवाल किया. कहा, "कब लगता है कि FIR दर्ज करने का समय हो गया है? आप हमें बताइये कि FIR दर्ज न करने के क्या परिणाम हो सकते हैं? स्थितियां तो 15 दिसंबर से खराब हो रही हैं. हाईकोर्ट का पूरा आदेश नीचे पढ़िए :
इस पर तुषार मेहता ने कहा कि हमें यहां से विभाग नहीं चलाना चाहिए. समय की मांग की. कहा कि याचिका भी इसी समय आई. इसके बाद कोर्ट ने स्पेशल सीपी प्रवीर रंजन से सवाल-जवाब शुरू किया. कहा कि एक हेट स्पीच पर FIR दर्ज करने से लोगों को पता चलेगा कि क्या नहीं बोलना चाहिए. ऐसे भाषणों से और भाषण उपजेंगे. और आप कह रहे हैं कि ये FIR दर्ज करने का सही समय नहीं है? कोर्ट ने कहा,
"जब आपने जलते हुए घर और मकान देखे, मरे लोगों को देखा तो आपने तत्परता के साथ कार्रवाई की. जब आप ये हेट स्पीच देख रहे हैं, तो आप ये तत्परता क्यों नहीं दिखा रहे हैं? FIR दर्ज करिए."
इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कहा कि आज ही कमिश्नर सभी इलाकों के डीसीपी के साथ बैठें. हेट स्पीच के सारे वीडियो देखें. नोटिस जारी किया. कमिश्नर से कहा कि कल अपना जवाब दाखिल करें. और मामला कल यानी 27 फरवरी को दोपहर 2:15 पर सुना जाएगा.
कोर्ट दिल्ली हिंसा से जुड़े जिस मामले में सुनवाई कर रहा है, जिसमें कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के भड़काऊ बयानों के आधार पर उन पर FIR दर्ज करने की मांग की गई है. इन तीनों ही नेताओं ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के समय भड़काऊ भाषण दिए थे. चुनाव आयोग की कार्रवाई भी हुई थी. 23 फरवरी को दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में कपिल मिश्रा ने खुलेआम धमकी दी. कहा कि तीन दिन के बाद हम फिर दिल्ली पुलिस की भी नहीं सुनेंगे. और इसके ठीक बाद दिल्ली में भड़क गयी हिंसा.
लल्लनटॉप वीडियो : आधी रात को दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को क्या आदेश दिया?