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IAS ने पुराना 'महल' गिरा दिया, करोड़ों खर्च कर घर बनवा दिया, आरोप सुन दिल्ली हिल गई!

15वीं शताब्दी का स्मारक था. अब नोटिस भेज जवाब मांगा गया है.

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ऐतिहासिक इमारत की जगह बनाया सरकारी आवास. (फोटो- सोशल मीडिया)

दिल्ली के विजिलेंस डिपार्टमेंट ने 2007 बैच के IAS अधिकारी उदित प्रकाश राय (IAS Udit Prakash Rai) को एक कारण बताओ नोटिस भेजा है. नोटिस है 15वीं शताब्दी के एक स्मारक को ध्वस्त किए जाने को लेकर. जिसकी जगह पर तत्कालीन दिल्ली जल बोर्ड के CEO उदित प्रकाश के लिए सरकारी आवास (Accommodation in place of Monument) बना दिया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2020 में पुरातत्व विभाग ने 15वीं शताब्दी में सैय्यद वंश के दौरान दिल्ली में बने ‘पठान काल महल' का दौरा किया था. जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड को पत्र लिख स्मारक के संरक्षण के लिए उसका अधिकार देने की बात कही थी. पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में बताया गया था कि उस वक्त वहां दो इमारत मौजूद थीं. एक महल की मुख्य इमारत और एक प्रवेश द्वार.

जनवरी, 2023 में पुरातत्व विभाग ने एक बार फिर स्मारक का दौरा किया. लेकिन पाया की वहां पर सिर्फ प्रवेश द्वार मौजूद है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महल की मुख्य इमारत की जगह वहां एक सरकारी आवास बना दिया गया था. विजिलेंस डिपार्टमेंट के नोटिस में कहा गया कि पठान काल का महल कथित तौर पर दिल्ली जल बोर्ड के CEO उदित प्रकाश राय के कहने पर गिराया गया था. इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियर्स की मदद ली गई थी.

नोटिस में ये भी बताया गया कि उदित राय को इस बात की पूरी जानकारी थी कि महल एक ऐतिहासिक स्मारक है. नोटिस भेजे जाने के बाद राय से दो हफ्तों के अंदर जवाब देने को कहा गया है.

IAS का ट्रांसफर मिजोरम, परिवार रह रहा है

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उदित राय को इस साल मिजोरम ट्रांसफर कर दिया गया था. लेकिन महल की जगह पर बने आवास में उदित की पत्नी और उनका परिवार अभी भी रहता है. उदित की पत्नी ने बताया कि आरोप पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर आवास बनाया गया है वहां जल बोर्ड के पुराने आवास बने थे. उन्होंने कहा कि इन्हीं आवासों को फिर से रिपेयर किया गया है.

उदित की पत्नी ने आगे बताया कि ये उनका निजी घर नहीं है. उन्होंने कहा कि आज भी स्मारक दीवार के दूसरी तरफ बना हुआ है.

विजिलेंस डिपार्टमेंट के नोटिस में बताया गया कि सरकारी आवास बनाने के लिए प्रोजेक्ट पर लगभग 4 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. जिस जगह पर आवास का निर्माण किया गया है वो लगभग 5500 वर्ग मीटर है.

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