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लोगों का आरोप- दिल्ली दंगे के समय पुलिस कह रही थी, 'कार्रवाई करने का ऑर्डर नहीं है'

इस बीच पुलिस को नाले से दो और लाशें मिली हैं.

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उत्तरपूर्वी दिल्ली दंगे साल 2020 के फरवरी महीने में हुए थे.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में गोकलपुरी इलाका है. यहां गंगा विहार जौहरीपुर एक्सटेंशन नाम की जगह पर पुलिस को नाले के भीतर दो लाशें मिली हैं. दिल्ली में बीते दिनों हुए दंगों में यहां भी हिंसा हुई थी. 27 फरवरी की दोपहर तक मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 35 हो चुकी है. नाले में लाश मिलने के बाद इलाके में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है. अधिकारियों को आशंका है कि नाले में और भी लाशें मिल सकती हैं. 26 फरवरी को चांद बाग इलाके के एक नाले से भी यूं ही एक लाश निकली थी. मरने वाले का नाम अंकित शर्मा था. 26 साल के अंकित इंटेलिजेंस ब्यूरो में थे. दंगे के समय पुलिस क्या कर रही थी? तीन दिनों तक चली हिंसा, अराजकता और उपद्रव के बाद दंगा प्रभावित इलाकों में अब भारी पुलिस फोर्स नज़र आ रही है. मगर लोगों का कहना है कि दंगे के समय पुलिस नदारद थी. 'इंडिया टुडे' ने अपनी एक ग्राउंड रिपोर्ट में दंगा प्रभावित इलाकों के लोगों से बात की. ज़्यादातर लोगों ने दंगे के बारे में जो बताया, उसमें कॉमन है पुलिस का बर्ताव. लोगों का कहना है कि जब दंगे हो रहे थे, तब पुलिस ने कुछ नहीं किया. भजनपुरा इलाके में दंगाइयों ने एक पेट्रोल पंप को लूटा. गल्ले में मौजूद सारा कैश लूटा और फिर पेट्रोल पंप को आग लगा दी. पंप के मालिक की जान उनके एक दोस्त ने किसी तरह बचाई. 'इंडिया टुडे' से बात करते हुए उन्होंने घटनाक्रम यूं बताया-
करीब दो हज़ार लोगों की भीड़ थी. उन्होंने पंप पर हमला किया, मगर पुलिस नदारद थी. चार पुलिसवाले बाथरूम में छुप गए. बाकी जो थे, वो चुपचाप सब होते हुए देखते रहे. पुलिस का कहना था कि जो तुम्हें करना है, तुम करो. जो उन्हें करना है, वो करें. पुलिस ने कहा कि उनके पास कार्रवाई करने के आदेश नहीं हैं. पुलिस कहीं भी नज़र नहीं आई. जो पुलिसवाले थे यहां पर, वो भी चुपचाप दर्शक बनकर खड़े थे.
  पुलिस ने कहा: हमारे पास कार्रवाई का ऑर्डर नहीं 'इंडिया टुडे' के मुताबिक, स्थानीय लोगों का कहना है कि जब उन्होंने पुलिस से दंगाइयों को रोकने को कहा, तो पुलिसवालों का जवाब था कि उनके पास ऐसा करने के ऑर्डर नहीं हैं. पास के 'यमुना विहार' इलाके में भी 'इंडिया टुडे' की टीम को लोगों से यही सुनने को मिला. यहां एक रेस्तरां को जलाकर मिट्टी में मिला दिया गया. उन्होंने आपबीती यूं बताई-
24 फरवरी को मेरी दुकान पर हमला हुआ. जैसे ही दंगाई आए, हमने रेस्तरां का शटर गिरा दिया. सोचा, ऐसा करने से रेस्तरां बच जाए शायद. मगर वो पेट्रोल बम फेंकने लगे. जब ये हो रहा था, तब वहां 40 से 50 पुलिसवाले खड़े थे. दंगाइयों की भीड़ में लगभग 2,000 लोग रहे होंगे. हमने पुलिसवालों से कहा कि आप भले तादाद में कम हों, मगर दंगाइयों को भगाने के लिए आप कम-से-कम हवा में गोली तो चला ही सकते हैं. मैंने उनसे कहा कि आप कुछ तो करिए, वरना हमारा सब कुछ जल जाएगा. मगर पुलिसवालों का जवाब था कि जब तक ऑर्डर नहीं आएगा, वो कुछ नहीं कर सकते हैं. वैसे दिल्ली में हालात धीरे-धीरे सामान्य होते दिख रहे हैं. लेकिन दंगों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप और राजनीति का दौर जारी है.

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