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हिंदू कॉलेज के 40 स्टूडेंट्स सस्पेंड, भारी जुर्माना भी देना होगा, क्या किया था?

छात्रों को अलग-अलग आरोपों के चलते सस्पेंड किया गया है.

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हिंदू कॉलेज ने 25 स्टूडेंट्स को सस्पेंड क्यों किया? (प्रिंसिपल अंजू श्रीवास्तव, तस्वीर- इंडिया टुडे)

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने अपने 40 छात्रों को सस्पेंड कर दिया है. ये सभी हिंदू कॉलेज के छात्र-छात्राएं बताए गए हैं (Delhi University Hindu College 25 Students Suspended). समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि कॉलेज के छात्रों ने ही ये जानकारी दी है.

रिपोर्ट के मुताबिक निलंबित 40 में से 25 छात्रों को कॉलेज के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के चलते सस्पेंड किया गया है. वहीं 15 स्टूडेंट्स पर पैसों का ‘घोटाला’ करने के आरोप के चलते कार्रवाई हुई है.

क्यों सस्पेंड हुए छात्र?

बीती 27 और 28 अप्रैल को हिंदू कॉलेज में 'मक्का फेस्ट' आयोजित किया गया था. इससे सात दिन पहले 21 अप्रैल को लगभग 100 छात्रों ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ कैंपस में प्रोटेस्ट किया था. प्रशासन ने तीन दिन के फेस्ट को एक दिन में करने की बात कही थी. प्रदर्शनकारी छात्रों ने इसी को लेकर विरोध किया था. उसी दौरान एक इवेंट के बाद कुछ स्टूडेंट्स ने कॉलेज की प्रिंसिपल अंजू श्रीवास्तव की गाड़ी का पीछा भी किया था. 

विरोध के बाद स्टूडेंट्स को भेजे गए नोटिस में ये जानकारी भी दी गई कि उन्होंने प्रिंसिपल का रास्ता रोका था. एक छात्र का कहना है,

"हमें कॉलेज प्रशासन ने बताया कि 42 स्टूडेंट्स को नोटिस भेजा गया है. पर हम लगभग 30 बच्चों से बातचीत कर रहे हैं. दोनों तरह के नोटिस में सस्पेंशन और फाइन के साथ ये भी कहा गया है कि जिन बच्चों को नोटिस भेजा गया है, वो कोई भी पोस्ट नहीं ले सकते."

25 स्टूडेंट्स को प्रोटेस्ट के दौरान 'अनुचित आचरण और दुर्व्यवहार' के लिए नोटिस भेजा गया था. कुछ को दोनों मामलों में नोटिस भेजा गया. कॉलेज में सेकंड ईयर के स्टूडेंट संजय गोडरा ने बताया कि उन्हें दोनों मामलों में नोटिस भेजा गया है. उन्होंने कहा,

"मैं ऑर्गनाइज़िंग कमिटी का हिस्सा नहीं था. मैं प्रशासन के खिलाफ सिर्फ प्रोटेस्ट कर रहा था. मुझे नहीं पता मुझे दोनों नोटिस क्यों भेजे गए हैं."

स्टूडेंट्स ने ये भी आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में कोई अनुशासनात्मक समिति शामिल नहीं थी. एक्शन लेने से पहले कॉलेज प्रशासन ने कोई जांच नहीं की. संजय ने आगे कहा,

"उन्होंने हम सब पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है. स्टूडेंट्स ये फाइन कैसे चुकाएंगे? ये काला कानून है. कॉलेज ने किसी तरह की कोई जांच नहीं की है."

नोटिस में क्या है?

रिपोर्ट के मुताबिक नोटिस में कॉलेज ने छात्रों से कहा,

“आप उस भीड़ का हिस्सा थे जो कॉलेज गेट से सट कर खड़ी हो गई थी, ताकि वो ना खुल सके. जब प्रिंसिपल एक रेसिडेंट के गेट से निकलकर अपनी गाड़ी में बैठ गईं, तब आपने कार को उसके आगे खड़े होकर या जमीन पर लेटकर रोका. जब प्रिंसिपल ने पैदल चलने का फैसला किया, आप लोगों ने गंदे नारे लगाए.”

नोटिस में ये भी लिखा गया कि स्टूडेंट्स ने कॉलेज की प्रॉपर्टी को डैमेज किया. 

वहीं कथित घोटाले के चलते सस्पेंड हुए 15 स्टूडेंट्स के नोटिस में लिखा है,

"प्रोटेस्ट कर रहे वेंडर्स के ग्रुप ने अपने-अपने पैसों को वापस मांगा है. उन्होंने कॉलेज को ये भी धमकी दी है अगर प्रशासन ने ऐसा नहीं किया, तो स्टार नाइट वाला प्रोग्राम रोक दिया जाएगा. बहुत प्रयास के बाद, कुछ राशि वापस की जा चुकी है. पर गलती और कमीशन जैसी हरकतों को माफ नहीं किया जा सकता है."

प्रिंसिपल अंजू श्रीवास्तव ने अब तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है. उधर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कॉलेज से इन नोटिसों को वापस लेने का अनुरोध किया है. छात्र संगठन ने कहा है कि स्टूडेंट्स द्वारा लोकतांत्रिक विरोध और उचित मांग कोई अपराध नहीं है.

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