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ED ने Amnesty India पर करीब 52 करोड़ का जुर्माना ठोका, आकार पटेल पर भी 10 करोड़ का फाइन

फेमा के उल्लंघन के लिए एमनेस्टी और आकार पटेल को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.

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विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम का कथित उल्लंघन करने के लिए आकार पटेल (बाएं) और एमनेस्टी इंडिया पर जुर्माना | फ़ाइल फोटो: इंडिया टुडे

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल (Amnesty India International) और उसके पूर्व सीईओ आकार पटेल पर बड़ी कार्रवाई की है. एजेंसी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का कथित उल्लंघन करने के आरोप में एमनेस्टी इंडिया पर 51.72 करोड़ रुपये और आकार पटेल पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ED के निर्णायक प्राधिकरण ने मामले को परखने के बाद फेमा के उल्लंघन के लिए कंपनी और पटेल को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.

ED को एमनेस्टी की जांच में क्या पता चला?

रिपोर्ट के मुताबिक ED से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके, भारत के विदेशी अंशदान अधिनियम (एफसीआरए-2010) से बचने के लिए एफडीआई के जरिए अपनी भारतीय संस्थाओं को बड़े पैमाने पर पैसा दे रही थी. ED ने अपने बयान में कहा है कि ये फंड एमनेस्टी की एनजीओ गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भारत लाया गया था. अधिकारियों ने ये भी बताया कि इसे एफडीआई के जरिए भारत इसलिए लाया गया था, क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के तहत एमनेस्टी इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट और अन्य ट्रस्टों को फंड लाने की अनुमति नहीं दी थी.

ED के मुताबिक नवंबर 2013 और जून 2018 के बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया को ये पैसे भेजे गए थे. ED द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस में आरोप लगाया गया है कि इस दौरान आकार पटेल के सीईओ रहते एमनेस्टी इंडिया ने एफसीआरए का उल्लंघन करते हुए एफडीआई के जरिए एमनेस्टी यूके से 52 करोड़ रुपए लिए थे. जांच एजेंसी के मुताबिक ED और सीबीआई 2018 से पीएमएलए के तहत इसकी जांच कर रहे थे. ED के मुताबिक एमनेस्टी इंडिया ने जिस तरह से पैसा लिया है, वह सीधे-सीधे फेमा प्रावधानों का उल्लंघन है.

एमनेस्टी और आकार पटेल के पास अब क्या ऑप्शन है?

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक फेमा के तहत कारण बताओ नोटिस जारी होना मूल रूप से इस बात की घोषणा है कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है. इसके बाद मामला ED के निर्णायक प्राधिकरण के पास जाता है. निर्णायक प्राधिकरण के पास मामले को परखने के बाद नोटिस और जुर्माने को वापस लेने या बरकरार रखने का अधिकार होता है. इस मामले में प्राधिकरण ने एमनेस्टी और आकार पटेल के खिलाफ नोटिस और जुर्माने को जारी रखने का फैसला किया है. हालांकि, ED के निर्णायक प्राधिकरण के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. यानी एमनेस्टी और आकार पटेल के पास अभी कोर्ट जाने का ऑप्शन मौजूद है.

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