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नितिन देशमुख बोले, 'मुझे किडनैप किया गया', एकनाथ शिंदे ने सोशल मीडिया पर फोटो डाल दीं

गुजरात के सूरत से वापस लौटे शिवसेना विधायक नितिन देशमुख ने बड़े आरोप लगाए थे. कहा था कि विधायकों को जबरन सूरत ले जाया गया था.

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बाएं से दाएं. प्रेस कॉन्फ्रेंस करते शिवसेना विधायक नितिन देशमुख और एकनाथ शिंदे कैंप की तरफ से जारी की गई उनकी तस्वीर. (फोटो: ANI)

शिवसेना (Shivsena) विधायक नितिन देशमुख की तरफ से लगाए गए किडनैपिंग के आरोपों पर एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) कैंप का जवाब आया है. कैंप के नेताओं ने बागी विधायकों के साथ नितिन देशमुख के फोटो ट्विटर पर शेयर कर दिए हैं. इन तस्वीरों में देशमुख दूसरे विधायकों के साथ हंसते हुए नजर आ रहे हैं. ये फोटो तब की बताई जा रही हैं, जब शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कथित तौर पर महाराष्ट्र छोड़कर जा रहे थे. हालांकि, स्वतंत्र तौर पर इन फोटो की पुष्टि नहीं की जा सकती कि आखिर ये कब की हैं.

इससे पहले 23 जून को गुजरात के सूरत से वापस लौटे शिवसेना विधायक नितिन देशमुख ने बड़े आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि विधायकों को जबरन सूरत ले जाया गया था. उन्होंने बताया,

"हमें जबरदस्ती सूरत ले जाया गया. मैंने भागने की कोशिश की, लेकिन सूरत पुलिस ने मुझे पकड़ लिया. मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि मुझे दिल का दौरा पड़ा था. करीब 300 से 350 पुलिसवाले हमारे ऊपर नजर बनाए हुए थे."

नितिन देशमुख ने आगे बताया,

"मुझसे पहले विधायक प्रकाश अब्तिकार ने वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन वो भाग नहीं सके. हम जैसे ही सूरत के होटल पहुंचे, हमें MVA सरकार के खिलाफ किए जा रहे षड्यंत्र के बारे में पता चल गया."

इधर एकनाथ शिंदे कैंप ने नितिन देशमुख की दो तस्वीरें डाली हैं. एक तस्वीर प्लेन के बाहर की है और दूसरी प्लेन के अंदर की. बाहर वाली तस्वीर में नितिन देशमुख मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं, वहीं अंदर वाली तस्वीर में वो आराम से बैठे हुए हैं.

इधर शिवसेना के एक विधायक कैलास पाटील गुवाहाटी से वापस लौट आए हैं. उनका कहना है कि वो अपनी जान बचाकर आए हैं और जिस शिवसेना ने उन्हें विधायक बनाया, वो उसको धोखा नहीं दे सकते. उन्होंने एकनाथ शिंदे कैंप के विधायकों से कहा कि उन्हें वापस आ जाना चाहिए और बीजेपी की साजिश में नहीं फंसना चाहिए. पाटील ने बागी विधायकों से ये भी कहा कि अगर उनको कांग्रेस और एनसीपी की सरकार पसंद नहीं थी, तो उद्धव ठाकरे के सामने आकर बात करनी चाहिए थी.