बिहार विधान परिषद (Bihar MLC Election) की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव के नतीजे गुरुवार, 7 अप्रैल को आ गए. इनमें एनडीए को 12, आरजेडी को 6 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली है. 2 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए हैं. बाकी 2 सीटों के नतीजे अभी घोषित होने बाकी हैं. ताजा अपडेट्स के मुताबिक इनमें से एक बीजेपी के खाते में जा सकती है. यानी उसकी जीत का आंकड़ा 13 हो सकता है.
24 एमएलसी सीटों के लिए इस बार 187 प्रत्याशियों ने दांव खेला था. 4 मार्च को वोटिंग हुई थी जिसका मत प्रतिशत 97.86 रहा था. इस बार एनडीए खेमा एकजुट होकर चुनाव में उतरा था. वहीं कांग्रेस और आरजेडी ने अलग होकर किस्मत आजमाने का फैसला किया था.
नतीजे क्या रहे?
- सासाराम विधान परिषद सीट से भाजपा प्रत्याशी संतोष कुमार सिंह ने राजद के कृष्ण कुमार सिंह को हराया.
- नालंदा सीट से जदयू प्रत्याशी रीना यादव ने जीत हासिल की.
- पूर्णिया-अररिया-किशनगंज विधान परिषद सीट से बीजेपी प्रत्याशी दिलीप जायसवाल जीते. राजद प्रत्याशी को 1601 मतों से मात दी.
- मुजफ्फरपुर सीट से जदयू के दिनेश सिंह ने राजद के शंभू सिंह को 4400 मतों से हराया.
- आरा-भोजपुर-बक्सर सीट से एनडीए प्रत्याशी राधा चरण साह ने 1043 मतों से जीत हासिल की.
- गया सीट से राजद प्रत्याशी कुमार नागेंद्र उर्फ रिंकू यादव ने जदयू प्रत्याशी को 528 मतों से हराया.
- समस्तीपुर से बीजेपी उम्मीदवार तरुण कुमार जीते.
- पटना से जदयू प्रत्याशी वाल्मीकि सिंह को हराकर राजद प्रत्याशी कार्तिक कुमार ने जीत दर्ज की.
- कटिहार सीट से एनडीए प्रत्याशी अशोक अग्रवाल ने की जीत हासिल.
- वैशाली से एनडीए उम्मीदवार भूषण कुमार जीते हैं. उन्होंने राजद उम्मीदवार सुबोध राय को 603 मतों से हराया.
- औरंगाबाद से एनडीए उम्मीदवार दिलीप सिंह 284 वोटों से जीते.
- गोपालगंज से भाजपा प्रत्याशी राजीव सिंह ने 20 मतों से जीत दर्ज की.
- छपरा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार सचिदानंद राय आगे.
- बेगूसराय से कांग्रेस प्रत्याशी राजीव कुमार 200 मतों से आगे.
कौनसी पार्टी के कितने एमएलसी उम्मीदवार?
एनडीए की बात करें 24 विधान परिषद सीटों पर बीजेपी के 12 और जेडीयू के 11 उम्मीदवार मैदान में थे. वहीं एक सीट पर केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार मैदान में थे. उधर आरजेडी ने 23 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए तो सीपीआई ने एक सीट पर चुनाव लड़ा. कांग्रेस ने 15 सीटों पर किस्मत आजमाई. इसके अलावा कुछ सीटों पर चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) और मुकेश सहनी के विकासशील इंसान पार्टी के उम्मीदवार भी थे.
एमएलसी चुनाव कैसे अलग है?
एमएलसी चुनाव में मतदान और मतगणना की प्रक्रियाएं विधानसभा चुनाव से अलग होती हैं. इस चुनाव में जनता वोट नहीं करती, बल्कि उनके प्रतिनिधि वोट करते हैं. सांसद, विधायक, विधान पार्षद, त्रिस्तरीय पंचायत के वार्ड सदस्य, मुखिया, ग्राम पंचायत सदस्य, प्रमुख, जिला परिषद सदस्य, छावनी क्षेत्र के चुने हुए प्रतिनिधि वोट डालते हैं. विधान परिषद के चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में वोट देने का विकल्प रहता है. वोटों की गिनती भी इसी आधार पर होती है.
प्रथम वरीयता के वोट के आधार पर कोटा का निर्धारण किया जाता है. कोटा निर्धारण में मान्य वोटों को दो से भाग देकर मिलने वाली संख्या में एक अंक जोड़ दिया जाता है. उदाहारण के तौर पर अगर मान्य वोट सौ हैं, तो कोटा 51 पर निर्धारित होगा. पहली गणना में ही 51 वोट या इससे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाता है.
वहीं, प्रथम गणना में इससे कम वोट पाने वाले को मतगणना से हटा देते हैं और उसे प्राप्त दूसरी वरीयता के वोट संबंधित प्रत्याशी के वोट में जोड़ दिए जाते हैं. ये सिलसिला तबतक चलेगा, जब तक किसी उम्मीदवार को जीत के लिए जरूरी वोट न मिल जाएं. अगर अंत तक बचे दो उम्मीदवारों में भी किसी को जरूरी वोट नहीं मिले तो चुनाव आयोग ज्यादा वोट लाने वाले को विजेता घोषित कर देगा.
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