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इन पांच वकीलों ने ऐसा क्या किया जो सरकार इन्हें जज नहीं बनाना चाहती

सुप्रीम कोर्ट ने बताया है कि सरकार ने क्यों ठुकराए उसके दिए ये पांच नाम

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सरकार ने पांच वकीलों के नाम वापस भेज दिए (फोटो-आजतक)

हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच विवाद जारी है. गुरुवार, 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने पांच वकीलों को हाई कोर्ट का जज बनाने के अपने फैसले को दोहराया है. यानी उसने इन लोगों को जज बनाने की सिफारिश फिर की है. साथ ही कॉलेजियम ने सरकार की आपत्ति से जुड़ी जानकारी भी साझा की है. और उस आपत्ति पर अपना मत भी रखा है. आइये जानते हैं कि कॉलेजियम की सिफारिश वाले वो पांच वकील कौन हैं और उनको जज ना बनाने की सरकार ने क्या वजह बताई है?

सौरभ कृपाल

सौरभ कृपाल के पिता भूपेंद्र नाथ कृपाल भी वरिष्ठ वकील थे. दिल्ली हाई कोर्ट समेत कई उच्च न्यायालयों में जज रहे. वो मई से लेकर नवंबर 2002 के बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश भी रहे. पिता की तरह सौरभ कृपाल भी दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील हैं. वो भारत में गे राइट्स के नामी पैरोकार भी हैं.

-सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सौरभ को पहली बार 11 नवंबर, 2021 को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी. 

सरकार की आपत्ति- सौरभ के साथी एक स्विस नागरिक हैं और सौरभ ने अपने सेक्सुअल ओरिंटेशन (यौन पसंद) का खुला इज़हार किया है.

कॉलेजियम का मत- सौरभ कृपाल से जुडी इन चीजों का राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है.

सोमशेखर सुंदरेसन

एडवोकेट सोमशेखर सुंदरसन कमर्शियल कानून के एक्सपर्ट हैं. उन्होंने 1996 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से ग्रेजुएशन किया था. पहले एक बिजनेस जर्नलिस्ट रह चुके हैं. वो अक्सर कमर्शियल लॉ, बिजनेस, राजनीतिक और संवैधानिक मुद्दों पर अपनी राय देते हैं. वो अपनी ये राय अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर करते हैं.

-सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 फरवरी 2022 को सोमशेखर सुंदरसन को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी. 

सरकार की आपत्ति- सोमशेखर ने कई मामलों को लेकर सोशल मीडिया पर अपने विचार लिखे हैं, जो अदालतों के विचाराधीन विषय हैं.

कॉलेजियम का मत- विचारों की अभिव्यक्ति के कारण किसी उम्मीदवार को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता.

आर जॉन सत्यन

आर जॉन सत्यन क्रिमिनल कानून में एक्सपर्ट और जाने-माने वकील हैं. उन्होंने NEET परीक्षा में फेल होने पर मेडिकल छात्रा अनीता की आत्महत्या को राजनीतिक विश्वासघात बताया था. अपने पोस्ट में shame of you India भी लिखा था.

-सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आर जॉन सत्यन को 16 फरवरी, 2022 को मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी. 

सरकार की आपत्ति-  सत्यन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना वाला आर्टिकल और छात्रा की आत्महत्या पर किया गया पोस्ट.

कॉलेजियम का मत- उनकी एक अच्छी व्यक्तिगत और पेशेवर छवि है, उनका कोई राजनीतिक झुकाव नहीं है.

अमितेश बनर्जी

अमितेश बनर्जी कलकत्ता हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं. वो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज यूसी बनर्जी के बेटे हैं. गोधरा में 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगी थी, जिसमें 58 'कारसेवक' मारे गए थे. दुर्घटना में किसी भी 'साजिश' को खारिज करने के आरोपों को लेकर यूपीए सरकार ने एक आयोग बनाया था. जस्टिस यूसी बनर्जी ने उसका नेतृत्व किया था. 2006 में सामने आई आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि आग दुर्घटनावश लगी थी.

-सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहले 1 सितंबर, 2021 को फिर 25 नवंबर 2022 को अमितेश बनर्जी को कलकत्ता हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी.

-सरकार ने दोनों बार सिफारिश खारिज की. आपत्ति की वजह साफ नहीं है.

शाक्य सेन

एडवोकेट शाक्य सेन जस्टिस श्यामल सेन के बेटे हैं. श्यामल सेन 1986 में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज बने थे. उन्होंने करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले की जांच के लिए बने आयोग का नेतृत्व किया था. श्यामल सेन बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. मई 1999 से दिसंबर 1999 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे.

-पहले सितंबर 2021 को फिर नवंबर 2022 को SC कॉलेजियम ने शाक्य सेन को कलकत्ता हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी.

-सरकार ने दोनों बार सिफारिश खारिज की. आपत्ति की वजह साफ नहीं है. 

वीडियो: कॉलेजियम और सुप्रीम कोर्ट का क्या विवाद है, पूरी कहानी समझिए