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जर्मनी ने राहुल पर क्या बोला? भारत में बवाल मच गया

जर्मनी के बयान के लिए BJP ने राहुल को जिम्मेदार ठहरा दिया

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जर्मनी के मुताबिक उसे उम्मीद है कि राहुल के मामले पर लोकतांत्रिक सिद्धांतों के तहत कार्रवाई होगी | फ़ाइल फोटो: आजतक

राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म किए जाने पर जर्मनी का बयान आया है (Germany statement on Rahul Gandhi disqualification). जर्मनी ने कहा है कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के मामले में लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांत लागू होने चाहिए. जर्मनी का बयान आया और इधर भारत में हंगामा मच गया. कांग्रेस ने जर्मन सरकार को धन्यवाद कहा तो BJP ने कांग्रेस की कड़ी आलोचना की.

जर्मनी ने राहुल गांधी के लिए क्या कहा?

गुरुवार, 30 मार्च को जर्मन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा,

'हमने भारत में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ आए कोर्ट के फैसले के साथ-साथ उनकी संसद से सदस्यता रद्द होने के मामले पर ध्यान दिया है... हमें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार राहुल गांधी इस फैसले के खिलाफ अपील करने की स्थिति में हैं...'

प्रवक्ता ने आगे कहा,

'अपील पर सुनवाई के बाद ये स्पष्ट हो जाएगा कि क्या ये फैसला कायम रहेगा और क्या उन्हें लोकसभा से निलंबित करने का कोई आधार है... हमें भरोसा है कि इस मामले की कार्रवाई न्यायिक स्वतंत्रता और उनके मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ध्यान में रखकर की जाएगी.'

कांग्रेस-BJP में वार-पलटवार शुरू हो गया

जर्मनी के बयान पर कांग्रेस पार्टी ने जर्मन विदेश मंत्रालय को धन्यवाद दिया है.

राहुल गांधी मामले पर जर्मनी की टिप्पणी पर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा,

"राहुल गांधी पर सरकार का अत्याचार यह दिखा रहा है कि भारत में किस तरह लोकतंत्र से समझौता किया जा रहा है. इस ओर ध्यान देने के लिए जर्मनी के विदेश मंत्रालय और रिचर्ड वॉकर का धन्यवाद."

इसके अलावा कांग्रेस नेता नगमा ने भी ट्वीट करते हुए लिखा है कि राहुल गांधी मामले पर ध्यान देने के लिए जर्मन विदेश मंत्रालय का धन्यवाद.

कांग्रेस नेताओं के इस धन्यवाद नोट पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट करते हुए लिखा,

"भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और विदेशी शक्तियों को आमंत्रित करने के लिए राहुल गांधी का धन्यवाद. लेकिन यह बात याद रखिए कि भारतीय न्यायपालिका विदेशी हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं हो सकती."

अमेरिका भी बोला था 

इससे पहले राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर अमेरिका का भी बयान आया था. अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था,

‘कानून का शासन और न्यायिक स्वतंत्रता के लिए सम्मान किसी भी लोकतंत्र का आधार होता है और हम भारतीय अदालतों में चल रहे राहुल गांधी के केस को देख रहे हैं… अमेरिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकारों की सुरक्षा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति साझा प्रतिबद्धता को लेकर भारत के साथ है.’

राहुल गांधी पर कार्रवाई क्यों हुई?

बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में राहुल गांधी भाषण दे रहे थे. इस भाषण में राहुल ने कथित तौर पर ये कहा था, 'नीरव मोदी, ललित मोदी नरेंद्र मोदी... इन सभी चोरों का उपनाम (सरनेम) मोदी क्यों है?'

राहुल गांधी के इस बयान के खिलाफ भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. पूर्णेश मोदी सूरत पश्चिमी से बीजेपी विधायक हैं और पेशे से वकील हैं. पूर्णेश मोदी का आरोप था कि राहुल गांधी की इस टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय की मानहानि की है. गुरुवार, 23 मार्च को इस मामले की सुनवाई सूरत की अदालत में हुई और राहुल को दो साल की सजा सुनाई गई. अदालत के इस फैसले के अगले दिन 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत स्पीकर ने ये कार्रवाई की.

वीडियो: संसद में आज: राहुल गांधी सांसदी जाने के बाद पहली बार संसद पहुंचे और विपक्ष ने ये कांड कर दिया