25 अगस्त, 2022 को पाकिस्तान (Pakistan) से 28 साल बाद भारत वापस लौटे कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav). कुलदीप को 1992 में भारत सरकार की मदद के लिए पाकिस्तान भेजा गया था. दो साल बाद कुलदीप को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था. फिर 1996 में कुलदीप को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने 25 साल कैद की सजा सुना दी.
क्यों गए थे पाकिस्तान?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुजरात हाईकोर्ट में कुलदीप की बहन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कुलदीप यादव को साल 1991 में अहमदाबाद में BSF द्वारा इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ में भर्ती किया गया था. जिसके बाद उन्हे दिल्ली में नियुक्त किया गया और फिर साल 1992 में रॉ की तरफ से कुलदीप को पाकिस्तान भेजा गया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1992 में पाकिस्तान पहुंचने के बाद दो साल तक कुलदीप ने अपना काम किया और 22 जून 1994 की रात करीब 8 से 8:30 के बीच वो भारत की सीमा में प्रवेश करने ही वाले थे कि कुछ लोगों को उनपर शक हो गया. खुफिया एजेंसी को खबर मिलते ही कुछ मिनटों में उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी आंखों में पट्टी बांधी गई और हाथों में हथकड़ी पहनाई गई और फिर गाड़ी में बैठाकर उन्हे कहीं ले जाया गया.
जब उनकी आंखों से पट्टी हटाई गई, तब वो सेना की गिरफ्त में थे. करीब 30 महीनों की पूछताछ के बाद 27 अक्टूबर, 1996 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में कुलदीप को 25 साल की सजा सुनाई थी. उन्हे लाहौर स्थित कोट-लखपत सिविल सेंट्रल जेल भेज दिया गया था. ये वही जेल है, जहां सरबजीत ने भी सजा काटी थी.
रिहा हुए कुलदीप
कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के अनुसार कुलदीप को 26 अक्टूबर, 2021 को रिहा होना था. कुलदीप ने मीडिया को बताया,
‘पाकिस्तान के जेलों में भारतीय कैदियों को अपनी सजा पूरी होने के बाद रिहाई के लिए अपना पता बताना होता है. जिसके बाद भारतीय एंबेसी द्वारा उसकी जांच की जाती है और एक बार क्लियरेंस मिलने के बाद जानकारी को पाकिस्तानी अथॉरिटीज तक पहुंचाया जाता है और फिर पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट कैदी की पेशी की तारीख तय करता है.’
कुलदीप आगे बताते हैं कि 24 जून 2022, को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था. जिसके बाद उन्हें रिहा करने का आर्डर पास किया गया था. उनकी रिहाई के आर्डर को पाकिस्तानी अथॉरिटीज को भेजा गया था, जिसे भारतीय एंबेसी को फॉरवर्ड किया गया था. कागजी कारवाई की वजह से यादव को 10 महीने ज्यादा जेल में रहना पड़ा था.
(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे आर्यन ने लिखी है.)
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