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विवाद से पहले ज्ञानवापी मस्जिद के इस वजूखाने में आखिर क्या होता था?

वजू वही जगह है जहां पर एक आकृति मिली है, जिसे हिन्दू पक्ष शिवलिंग कह रहा है और मुस्लिम पक्ष फव्वारा

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वजू में क्या होता था (फोटो- आजतक)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में वजूखाने को सुरक्षित कर लिया गया है. वजू वही जगह है जहां पर एक आकृति मिली है, जिसे हिन्दू पक्ष शिवलिंग कह रहा है, और मुस्लिम पक्ष फव्वारा. और अब विवाद से पहले वजूखाने में क्या होता था. सवाल है कि अगर ये फव्वारा है तो फिर इस वजू खाने में पानी का स्रोत क्या है. पानी कहां से आता है और इस वजू के कुंड में जमा पानी आखिर कैसे निकलता है.

आजतक के मुताबिक, जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया

“मस्जिद तल पर बने इस वजू खाने में नल लगे हैं, जिसमें वाराणसी नगर निगम का पानी आता है. वजू करने के लिए नमाजी इसमें अपना हाथ पाव धोते रहें हैं. नल से आने वाले पानी से जब वजू होता है तो वही पानी इस कुंड में जमा हो जाता है जिसे खाली किया जाता है.”

जांच में क्या पता चला?
कोर्ट कमिश्नर की टीम ने जांच के दौरान पहले इस कुंड के पानी को कम कराया फिर बाहर से उस गोल घेरे तक सीढ़ी लगाई और झांककर देखा गया. सीढ़ियों के जरिए गोल घेरे तक सबसे पहले पहुंचे विष्णु जैन. उन्होंने आजतक को बताया,

“घेरे के अंदर कोई पानी का स्रोत नहीं था,न ही कोई पाइप लगाया गया था, नीचे तहखाने से भी ऊपर जाती कोई पाइप नहीं दिखाई दी.”

इसी दौरान एक आकृति मिली, जिसकी पूरी फोटोग्राफी की जा चुकी है. इसी आकृति के बारे में शिवलिंग और फव्वारे के दावे किए जा रहे हैं.

मुस्लिम पक्ष का क्या दावा?
अंजुमन इंतजामियां मस्जिद के वकील मेराजुद्दीन ने बताया

“इस कुंड के अंदर फव्वारा है लेकिन वो नहीं जानते कि ये काम कैसे करता है क्योंकि ये काफी पुराना है और तकनीकी विशेषज्ञ ही इस फव्वारे के function के बारे में बता सकते हैं.”

आजतक से से बातचीत में इंतजामियां कमिटी से जुड़े रईस बताते हैं कि उन्होंने इस फव्वारे को चलते देखा है लेकिन ये नहीं जानते कि किस तकनीक पर काम करता है.

हिंदू पक्ष का क्या दावा?
हिंदुओं के दावे के मुताबिक 25  गुणा 25 के कुंड के बीचोबीच एक कुआंनुमा घेरा है जिसके अंदर शिवलिंग है. दावा है कि मुस्लिम पक्ष जिसे फव्वारा बता रहे हैं वहां फव्वारे का कोई सिस्टम ही नहीं है. ना तो वो किसी पाइप से जुड़ा है ना ही पुराने किसी फव्वारे का कोई चिन्ह है.

हिंदू पक्षकार सोहनलाल आर्य बताते हैं

“मैंने खुद गोल घेरे में मौजूद शिवलिंगनुमा आकृति को देखा है. ये एक सम्पूर्ण शिवलिंग है, बिना किसी जोड़ का एक सम्पूर्ण पत्थर जिससे कुछ और नहीं जुड़ता. हां इससे छेड़छाड़ की कोशिश जरूर हुई है.”

जानकारी के मुताबिक कुंड के किनारे नगर निगम के नल लगे हैं जो वजू के लिए हैं. लेकिन कुंड के बीचोबीच मौजूद उस गोल घेरे में पानी का कोई स्रोत नहीं मिला है. ना तो मस्जिद कमिटी की तरफ से वहां कोई पाइप मिला है ना ही कोई प्राकृतिक स्रोत.

वजू में क्या होता है?
रिपोर्ट के मुताबिक इस वजू कुंड में डेढ़ से 2 महीने में पानी भर जाता है जिसे पाइप के जरिए बाहर टैंकर तक लाया जाता है और टैंकर उस पानी को ले जाता है. जानकारी के मुताबिक इसमें मछलियां भी होती है इसलिए सफाई के दिनों के अलावा कभी पूरा पानी नही निकाला जाता.

1-2 टैंकर पानी कम किया जाता है फिर जब उतना भर जाता है तो उसे निकाल लिया जाता. पूरा पानी सिर्फ साल में 1 बार सफाई के लिए निकाला जाता है. मस्जिद कमिटी के लोग ही इसकी सफाई कराते है. वही जानते हैं कि इसके अंदर एक पत्थर है जिसे वो पुराना फव्वारा कहते हैं.

देखें वीडियो- ज्ञानवापी मस्जिद के नाम पर वायरल इस शिवलिंग वाली फोटो की सच्चाई क्या है?