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हर्षा भोगले: "मैं कहानी सुनाता हूं, मैं कहानी नहीं हूं!"

हर्षा भोगले. फ़ेमस कमेंट्रेटर. उन्हें आईपीएल के नौवें सीज़न से हटा दिया गया है. किसी को नहीं मालूम कि वजह क्या है. उन्हें भी नहीं.

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हर्षा भोगले. क्रिकेट कमेंट्रेटर और एक्सपर्ट. एक बेहद तगड़ा नाम. वो जिनकी कमेंट्री आते ही टीवी की वॉल्यूम बढ़ा दी जाती है. क्रिकेट की दुनिया में जिनका कहा सच के सबसे नज़दीक माना जाता है. जो अभी ही से टोनी ग्रेग और रिची बेनॉड के बराबर माने जाने लगे हैं. जिनकी कही और लिखी बातों को काटना मुश्किल होता है. वो हर्षा भोगले बिना किसी कारण के आईपीएल के नौवें सीज़न से हटा दिए गए हैं. वो कमेंट्री नहीं कर सकेंगे. हालांकि आईपीएल का टेलीकास्ट राइट सोनी टीवी के पास है लेकिन प्रोडक्शन बीसीसीआई ही संभालती है. ऐसे में बीसीसीआई ने उन्हें तुरंत ही बिना किसी ठोस कारण के इस सीज़न से हटा दिया है. कहने को उन्हें हटाये जाने के कई कारण बताये जा रहे हैं. लेकिन अभी तक हर्षा भोगले या बीसीसीआई की ओर से कोई भी साफ़ कारण सामने नहीं आया है. हर्षा भी बतायेंगे तो कैसे? उन्हें खुद नहीं मालूम. इस मुद्दे पर दो मुख्य अटकलें लगाई जा रही हैं. पहली ये कि उन्हें अमिताभ बच्चन के ट्वीट के बाद इंडियन प्लेयर्स को नज़रअंदाज़ कर बाहरी प्लेयर्स को बढ़ावा देने के लिए हटाया गया है. दूसरा, उनकी नागपुर  में हो रहे एक मैच के दौरान विदर्भ क्रिकेट असोसिएशन के किसी मेम्बर से हुई कहासुनी के लिए ये सज़ा दी गयी है. 23 मार्च को इंडिया और बांग्लादेश के मैच के बाद अमिताभ बच्चन ने बिना किसी कमेंट्रेटर का नाम लिए ट्वीट किया था. उन्होंने कहा कि कई कमेंट्रेटर इंडिया के प्लेयर्स के बारे में कम बात करते हैं. उन्हें बाहरी प्लेयर्स की बजाय इंडियन प्लेयर्स के बारे में ज़्यादा बोलना चाहिए. इसी ट्वीट पर इंडियन कैप्टन ने भी रिप्लाई कर दिया. बस, एक तो बच्चन ऊपर से महिंदर! निकल पड़ी ट्वीट की. https://twitter.com/SrBachchan/status/712721409420578816 https://twitter.com/msdhoni/status/712721914062458880 लोग कयास लगाने लगे कि कमेंट्रेटर है कौन. अमिताभ से खूब पूछा गया तो उन्होंने कह दिया कि गावस्कर और मांजरेकर तो नहीं है. बचा कौन फिर? हर्षा भोगले. हर्षा ने 24 तारीख को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर बताया कि कैसे उनके चैनल को दुनिया भर में दिखाया जाता है. ऐसे में हर देश में जाने वाले प्रसारण पर आप किसी एक का पक्ष नहीं ले सकते. ये खेल भावना के ही खिलाफ़ हो जायेगा. साथ ही ये भी कहा कि क्रिकेट में कमेंट्रेटर का कोई हिस्सा ही नहीं होता. वो तो बस चल रही कहानी ही कह रहे होते हैं. असली कहानीकार तो क्रिकेटर होते हैं. खिलाड़ी जैसा खेलंगे, कमेंट्रेटर वैसा ही बोलेंगे. लोगों में भी हलचल मच पड़ी. लोग अपने अपने तर्क-कुतर्क देने लगे. कोई बच्चन की साइड तो कोई हर्षा भोगले की. हमारे जैसा आदमी कन्फ्यूज़. हमको सनीमा और बच्चन से उतना ही प्रेम जितना क्रिकेट और भोगले से. बात अभी भी चल रही है. हर्षा भोगले को खूब सपोर्ट मिल रहा है. लगभग हर कोई उनके साथ ही खड़ा दिख रहा है. बीसीसीआई अपने खिलाफ़ कुछ भी कहने सुनने वालों को परेशान करने के लिए जानी ही जाती है. एक वक़्त पर कपिल देव भी इसके शिकार हो चुके हैं. ललित मोदी भी ऐसे ही लपेटे में आये थे. सोमवार को हर्षा भोगले का एक इमोशनल पोस्ट फिर से आया है. वो कह रहे हैं कि उन्हें बड़ी ही दिक्कत हो रही है क्यूंकि उन्हें काफ़ी अटेंशन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि वो एक सिंपल से कमेंट्रेटर हैं. वो क्रिकेट मैच के लिए जाते हैं, मैच देखते हैं, कहानी सुनाते हैं, खुश हो लेते हैं और वापस चले आते हैं. इससे ज़्यादा वो कुछ भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वो स्टोरी सुनाते हैं, वो खुद स्टोरी नहीं हैं. उन्हें खुशी है कि लोग उन्हें इतना प्यार करते हैं और उनके साथ हैं. वो लोग जो उन्हें पर्सनली नहीं जानते हैं, उनका साथ दे रहे हैं. वो लोग जो उनके बच्चे की उम्र के हैं, उन्हें सलाह दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अब भी नहीं मालूम की वो आईपीएल क्यूं नहीं कर रहे हैं. लेकिन वो आशा करते हैं कि ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्यूंकि उन्होंने कुछ इंडियन प्लेयर्स की आलोचना की थी. ये है हर्षा भोगले का पोस्ट: "I must confess I am a little uncomfortable with all the attention I have been getting recently. I am just a cricket commentator. I go to a cricket match, tell the story of what happened, look for joy within it if possible and come back feeling blessed to have had the opportunity. I tell the story, I am not the story. I am, though, deeply moved by the messages I have got. I am overwhelmed that people who don't know me have taken the trouble to express their views on the matter. Young men and women who are my children's age have offered me advice. Famous people and simple cricket lovers have gone on public platforms. And I have been particularly touched by the people who say they don't rate me as a commentator but who speak out in my favour (that you may disagree with people but fight for their right to have an opinion was an attitude injected into me very early in life). It is an incident that tells me how much we care for the game that we hold so dear. I don't know what lies ahead. I have a contract with Star Sports with whom I share an excellent relationship. It is the reason why I don't have to do the IPL. I do it because I genuinely like the cricket on offer, I want to be part of cricket's laboratory to see what is brewing. It is a fantastic tournament. I still don't know why I am not doing the IPL. I haven't been told. I can accept the fact that people don't like me. But I genuinely hope it isn't because cricketers have complained about what I have to say. I tell every young cricketer who cares to listen that we will never agree on everything but I will always desire that they do well; that I cannot stop them from scoring a run, or taking a wicket or holding a catch. Doing that is their job, telling the story of what they did, or didn't, is mine. Our paths will be strewn with admiration and disagreement. It is the nature of the job whether you are a university level cricketer or among the best there has been. And, for heaven's sake, my greatest criticism is that I don't do enough of it. And when I do, my friend Prem Panicker isn't sure whether I have critiqued a player of proposed marriage!! So, thank you very much. I love what I do and your words have been overwhelming. But, I remain the teller of the story, not the story itself."