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"देश लूट रहे", हिंडनबर्ग ने पलटकर अडानी को जो जवाब दिया है, वो इंडिया में हल्ला करा देगा!

हिंडनबर्ग ने कहा है, "अडानी ग्रुप ने तो भारत की सफलता को सीधे-सीधे अपने अध्यक्ष गौतम अडानी की संपत्ति से जोड़ दिया."

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हिंडनबर्ग ने अडानी को फिर घेरा (फोटो-आजतक)

हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप के बीच बहस नहीं थम रही. अमेरिका की निवेश शोध कंपनी की रिपोर्ट को अडानी समूह ने 'झूठा' और 'भारत पर हमला' बताया था. अब इस पर हिंडनबर्ग का बयान आया है (Hindenburg on Adani Report). उसने कहा है कि ‘राष्ट्रवाद के नाम पर फ्रॉड मत छिपाओ’.

ताजा बयान में हिंडनबर्ग ने लिखा है,

अडानी ग्रुप की रिपोर्ट में लिखी बातें जरूरी मुद्दों से ध्यान भटका रही हैं. राष्ट्रवादी एंगल देकर हमारी रिपोर्ट को 'भारत पर हमला' बता दिया गया. अडानी ग्रुप ने तो भारत की सफलता को सीधे-सीधे अपने अध्यक्ष गौतम अडानी की संपत्ति से जोड़ दिया.

आगे कहा गया,

हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती हुई महाशक्ति है. लेकिन हम ये भी मानते हैं कि अडानी ग्रुप देश को लूटने की कोशिश कर रहा है और राष्ट्रवाद के पीछे छिप रहा है. धोखाधड़ी, धोखाधड़ी है चाहे दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक करे.

 

हमारी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल पूछे गए थे. लेकिन अडानी ग्रुप ने सिर्फ 26 के ही जवाब दिए हैं. अडानी की 413 पेज की रिपोर्ट में सिर्फ 30 पेज ही हमारी रिपोर्ट से जुड़े हैं. संदिग्ध लेन-देन वाले आरोप पर तो कोई जवाब आया ही नहीं. विनोद अडानी, मॉरिशियस लिंक और चाइनीज लिंक्स के बारे में हमें कोई जवाब नहीं मिला है. 

हिंडनबर्ग ने दावा किया है अडानी ग्रुप की रिपोर्ट ने उनके निष्कर्षों की काफी हद तक पुष्टि कर दी है. साथ ही जरूरी सवालों को 'अनदेखा' कर दिया है.

इससे पहले अमेरिकी रिसर्च कंपनी को दिए जवाब में अडानी समूह ने कहा था,

ये रिपोर्ट केवल किसी एक कंपनी पर हमला नहीं है बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, गुणवत्ता और भारत के विकास की कहानी पर सोचा समझा हमला है. सभी आरोप झूठे हैं.

 

ये बेहद चिंता की बात है कि बिना किसी विश्वसनीयता या नैतिकता के हजारों मील दूर बैठी एक यूनिट के बयानों से हमारे निवेशकों पर गंभीर असर पड़ा है. रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड भारत में इक्विटी शेयर्स का अब तक का सबसे बड़ा IPO का काम शुरू करने वाला है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया,

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में ढंग से रिसर्च नहीं की गई है. किसी सीक्रेट मोटिव के लिए गलत जानकारी और निराधार आरोपों से जुड़े फैक्ट्स डाले गए हैं. अडानी ग्रुप सभी कानूनों और नियमों का पालन करता है. विडंबना ये है कि पारदर्शिता का दावा करने वाले इस संगठन, इसके कर्मचारियों या इसके निवेशकों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता है.

ये सारा बखेड़ा हिंडनबर्ग की 24 जनवरी को जारी हुई एक रिपोर्ट से शुरू हुआ. 106 पन्नों की इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर टैक्स हैवन के ‘अनुचित’ इस्तेमाल और भारी-भरकम कर्ज को लेकर कई सवाल खड़े किए गए थे. 

ये भी पढ़ें- अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर क्या-क्या बोला था? 

रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप और उसके प्रमुख गौतम अड़ानी का काफी नुकसान हुआ. बुधवार और शुक्रवार को ट्रेडिंग सेशन में अडानी ग्रुप के शेयर तेजी से गिरे. बताया गया कि ग्रुप की 10 लिस्टेड कंपनियों को मार्केट कैप में 4.17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. गौतम अडानी को भी करीब 1.63 लाख करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा जो उनकी कुल संपत्ति का लगभग पांचवां हिस्सा बताया गया. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: अडानी पर शेयर भाव में हेराफेरी, वित्तीय गड़बड़ी का इल्ज़ाम, हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में कितना दम?