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अरब देशों को समझाया, पाकिस्तान को हड़काया, पैगंबर के 'अपमान' पर लगी आग से ऐसे निपट रहा भारत

पाकिस्तान और OIC को दिए गए जवाब में भारत ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है. ये जवाब अरब देशों और ईरान को दिए गए जवाब से अलग हैं.

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बाएं से दाएं. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ. (फोटो: PTI/सोशल मीडिया)

पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकट पैदा हो गया है. कई इस्लामिक या मुस्लिम बहुल देशों ने इस कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की निंदा की है. कहीं-कहीं तो भारत के राजदूतों को तलब कर सार्वजनिक माफी की भी मांग की गई हैं. इन देशों में मुख्य तौर पर अरब देश शामिल हैं. कतर, कुवैत, बहरीन और सऊदी अरब ने बयान जारी किए. इनके अलावा ईरान, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन (OIC), पाकिस्तान और तालिबान ने भी पैगंबर को लेकर की गई टिप्पणी की निंदा की.

एक तरफ जहां भारत ने अरब देशों और ईरान को दिए गए जवाब में कहा कि पैगंबर पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से भारत सरकार का कोई लेना देना नहीं है और ऐसी टिप्पणी करने वाले अराजक तत्वों पर कार्रवाई की जा चुकी है, वहीं OIC और पाकिस्तान को दिए गए जवाब में उसने उनकी मंशा पर सवाल उठाए. भारत ने जहां OIC के बयान को संकीर्ण मानसिकता वाला बताया, वहीं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की बात कही.

Arab देशों और Iran ने क्या कहा?

इस मामले में सबसे पहली प्रतिक्रिया कतर की तरफ से आई. वहां के विदेश मंत्रालय ने पांच जून को भारत के राजदूत दीपक मित्तल को तलब किया. मित्तल को सौंपे गए एक नोट में कतर ने भारत की सत्ताधारी पार्टी की एक नेता के अपमानजक बयान पर आपत्ति जताई. कतर की तरफ से कहा गया कि इस बयान से दुनियाभर के मुसलमानों में नाराजगी का माहौल है और वो उम्मीद करता है कि भारत सरकार इस बयान की निंदा करेगी और सार्वजनिक तौर पर माफी मांगेगी.

कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया कुवैत की तरफ से भी आई. वहां के विदेश मंत्रालय ने भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज को तलब किया. नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की टिप्पणियों को सिरे से खारिज करते हुए निंदा की. कतर की ही तरह माफी की मांग की. साथ ही साथ नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ लिए गए एक्शन का स्वागत किया. कतर ने भी इस कार्रवाई का स्वागत किया.

इधर बहरीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ऐसी अपमान की घटनाओं की निंदा की जानी चाहिए, जिनसे मुसलमानों की भावनाएं आहत होती हैं और धार्मिक नफरत को भड़काया जाता है. बहरीन के विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि वो भारत में बीजेपी के अपनी प्रवक्ता को निलंबित किए जाने के फैसले का स्वागत करता है.

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजेपी प्रवक्ता के बयान से पैगंबर मोहम्मद का अपमान हुआ है. वो इस्लाम धर्म के प्रतीकों के खिलाफ पूर्वाग्रहों को अस्वीकार करता है. सऊदी अरब ने भी नूपुर शर्मा के खिलाफ BJP की कार्रवाई का स्वागत किया और कहा कि वो सभी धर्मों और मतों के सम्मान का हिमायती है.

ईरान ने भी इस मसले को लेकर पांच जून को भारतीय राजदूत धामू गद्दाम को तलब किया और पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताई. ये सब तब हुआ, जब अगले सप्ताह ईरान के विदेश मंत्री भारत दौरे पर आने वाले हैं.

भारत ने कही कार्रवाई की बात

इन देशों को जवाब देते हुए भारत ने एक कॉमन बात कही. कतर के विदेश मंत्रालय में हुई बैठक के बाद भारतीय दूतावास की तरफ से कहा गया कि इसमें आपत्तिजनक ट्वीट के संबंध में चिंता व्यक्त की गई. बयान में दूतावास ने कहा कि ये ट्वीट किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाते. ये विचार अराजक तत्वों के हैं. ऐसा करने वालों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है. भारत सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है. बिल्कुल इसी तरह का बयान कुवैत में भारतीय दूतावास ने जारी किया.

इधर ईरान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के राजदूत ने पैगंबर को लेकर की गई टिप्पणी पर खेद जताया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के विदेश मंत्रालय से भारत के राजदूत ने कहा कि पैगंबर का किसी भी तरह का अपमान अस्वीकार्य है और इस तरह की टिप्पणियां भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शातीं. भारत सरकार ने हमेशा से हर धर्म का सम्मान किया है. भारतीय राजदूत ने कहा कि नवीन जिंदल की सरकार में कोई पोजीशन नहीं है और इन टिप्पणियों के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है.

OIC, Pak और तालिबान की टिप्पणी

इस मुद्दे पर OIC, पाकिस्तान और तालिबान शासित अफगानिस्तान की भी टिप्पणी आई. OIC की तरफ से कहा गया कि संगठन के महासचिव भारत की सत्ताधारी पार्टी के एक पदाधिकारी की ओर से पैगंबर के बारे में किए गए अपमान की सख्त निंदा करते हैं. OIC ने संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हुए कहा कि वो भारत में मुसलमानों को कथित तौर पर निशाना बनाए जाने को लेकर समुचित कदम उठाए. संगठन की तरफ से आगे कहा गया,

"पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी तब सामने आई है, जब भारत में इस्लाम के खिलाफ भेदभाव बढ़ रहा है. भारत में मुसलमानों के खिलाफ तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं. शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर बैन लगा दिया गया है. मुसलमानों की संपत्ति ढहाई जा रही है. उनके खिलाफ हिंसा बढ़ रही है. UN को इसके खिलाफ कदम उठाने चाहिए."

इधर पाकिस्तान ने बीजेपी प्रवक्ता के बयान को लेकर भारतीय दूतावास के प्रभारी को बुलाकर अपनी आपत्ति जताई. इससे पहले देश के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर कहा कि वो बीजेपी प्रवक्ता के पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए दुख पहुंचाने वाले बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. उन्होंने लिखा,

"मैंने बार-बार कहा है कि मोदी के राज में भारत मुसलमानों की धार्मिक आजादी पर चोट कर रहा है. दुनिया को इसका संज्ञान लेना चाहिए और भारत की सख्त आलोचना करनी चाहिए. पैगंबर के लिए हमारा प्यार सर्वोच्च है और सभी मुसलमान पैगंबर के लिए अपनी जान न्योछावर कर सकते हैं."

इधर अफगानिस्तान में शासन कर रहे तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्वीट करते हुए कहा कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भारत की सत्ताधारी पार्टी के नेता की पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की है. प्रवक्ता की तरफ से ये भी कहा गया कि भारत सरकार से आग्रह किया जाता है कि वो ऐसे धर्मांध लोगों को इस्लाम का अपमान करने और मुसलमानों की भावना भड़काने से रोकें.

भारत के जवाब में अंतर

भारत ने अभी तक तालिबान को तो कोई जवाब नहीं दिया है. लेकिन पाकिस्तान और OIC को दिए गए जवाब में भारत ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है. ये जवाब अरब देशों और ईरान को दिए गए जवाब से अलग हैं. मसलन, OIC की तरफ से लगाए गए आरोपों को भारत ने खारिज कर दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में इन आरोपों को गैरजरूरी और संकीर्ण मानसिकता का नतीजा बताया गया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा,

"हमने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन के सचिवालय की तरफ से भारत को लेकर दिए गए बयान का संज्ञान लिया है. भारत सरकार OIC सचिवालय की इन गैरजरूरी और संकीर्ण मानसकिता वाली टिप्पणियों को एक-एक कर नकारती है."

भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि देश सभी धर्मों के प्रति सम्मान की भावना रखता है. मंत्रालय ने बयान में आगे कहा,

"धार्मिक शख्सियत का अपमान करने वाले आपत्तिजनक ट्वीट और बयान कुछ लोगों के हैं. भारत सरकार का इनसे किसी भी तरह से कोई मतलब नहीं है. ऐसे लोगों के ऊपर पहले ही कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है. ये काफी खेदपूर्ण है कि OIC ने एक बार फिर से प्रेरित, भ्रामक और द्वेषपूर्ण बयान दिए हैं. इससे केवल OIC के विभाजनकारी एजेंडे के बारे में पता चलता है, जो निहित स्वार्थों के कहने पर चलाया जा रहा है."

भारतीय विदेश मंत्रालय ने आगे OIC से अपील करते हुए कहा कि वो अपने कथित सांप्रदायिक नजरिए से हर चीज को देखना बंद करे और सभी धर्मों के प्रति सम्मान दिखाए.

इधर पाकिस्तान को दिए गए जवाब में भारत ने कहा,

"हमने पाकिस्तान से आए बयानों और टिप्पणियों का संज्ञान लिया है. अल्पसंख्यकों के अधिकारों का लगातार उल्लंघन करने वाले एक देश का किसी दूसरे देश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर टिप्पणी करना किसी के गले नहीं उतर रहा है. पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का किस तरह से संस्थागत उत्पीड़न होता है. इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया शामिल हैं."

विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को जवाब देते हुए कहा कि भारत सरकार सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है, वहीं पाकिस्तान में कट्टरपंथियों को पूजा जाता है और उनके सम्मान में स्मारक बनाए जाते हैं. भारतीय मंत्रालय ने ये भी कहा कि पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान दे, ना कि दुष्प्रचार के जरिए भारत में सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने की कोशिश करे.

वीडियो- नूपुर शर्मा के पैगंबर वाले बयान पर ईरान ने भारत से क्या कह दिया?