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Environment Performance Index: सबसे दूषित पर्यावरण वाले देशों में भारत ने किया 'टॉप'!

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 भारत में पर्यावरण की बदतर स्थिति को दर्शाता है.

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(फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)

दुनिया भर के अलग-अलग देशों में पर्यावरण की क्या स्थिति है, इसे लेकर एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट जारी हुई है. विश्व बैंक की तरफ से जारी की गई इस रिपोर्ट का नाम है पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 (Environment Performance Index-2022). ये दस्तावेज भारत के दृष्टिकोण से बेहद चौंकाने वाला है, क्योंकि ये इंडेक्स देश में पर्यावरण की बदतर स्थिति को दर्शाता है.

क्या कहती है रिपोर्ट?

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में 180 देशों की रैंकिंग दी गई है. इसमें भारत सबसे आखिरी पायदान यानी कि 180वें नंबर पर है. इसका मतलब है कि पर्यावरण में सुधार के मामले में हम पश्चिमी देश तो छोड़िए अपने पड़ोसियों से भी फिसड्डी साबित हुए हैं. रैंकिंग नंबर से ही साफ है कि भारत इस मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका और नेपाल तक से पिछड़ गया है. रिपोर्ट में शामिल सूची में पाकिस्तान को 176वें नंबर पर रखा गया है. वहीं बांग्लादेश 177वें स्थान पर है. श्रीलंका की रैंकिंग हमसे काफी बेहतर है. उसे 132 रैंक दिया गया है. नेपाल का रैंक 162 है और अफगानिस्तान को 81वां स्थान दिया गया है. 

आर्थिक रूप से दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा चीन भी भारत की तरह पर्यावरण में सुधार नहीं कर पा रहा है. उसे इस परफॉर्मेंस इंडेक्स में 160वां रैंक दिया गया है. सूचकांक में भारत को सबसे कम स्कोर 18.9 हासिल हुआ है. वहीं डेनमार्क सबसे ज्यादा 77.9 अंकों के साथ पहले नंबर पर है. दूसरे नंबर पर यूनाईटेड किंगडम, तीसरे पर फिनलैंड, चौथे पर माल्टा और पांचवें पर स्वीडन है.

रिपोर्ट का कवर पेज.

अमेरिका स्थित येल और कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर ये रिपोर्ट तैयार की है. इसमें भारी-भरकम आंकड़ों के आधार पर वैश्विक स्तर का पर्यावरण संबंधी लेखा-जोखा पेश किया गया है.

स्टडी में क्या-क्या है?

रिपोर्ट तैयार करने वाले शोधकर्ताओं ने पर्यावरण से जुड़े कुल 40 क्षेत्रों में देशों के परफॉर्मेंस का आकलन किया है. इनमें जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय सार्वजनिक स्वास्थ्य, जैव विविधता, वायु गुणवत्ता, जलवायु नीति, पीएम 2.5, कचरा प्रबंधन, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और अन्य सेक्टर शामिल हैं.

अलग-अलग क्षेत्रों में भारत का प्रदर्शन देखें तो ये जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) के मामले में 179वें, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 171वें, सुरक्षित क्षेत्रों के बचाव में 177वें, वायु गुणवत्ता के मामले में 179वें, जलवायु नीति को लेकर 165वें, कचरा प्रबंधन की दिशा में 151वें और पीएम 2.5 को लेकर 174वें स्थान पर है. यानी हर सेक्टर में हमारा परफॉर्मेंस निराशाजनक है.

विश्व के 180 देशों की रैंकिंग की स्थिति.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक यानी कि EPI हर दो साल में एक बार जारी किया जाता है. इसकी शुरुआत साल 2002 में हुई थी. पिछली बार साल 2020 में ये रैंकिंग जारी की गई थी. तब भारत 168वें स्थान पर था और उसका स्कोर 27.6 था. उस समय भी डेनमार्क पहले नंबर पर था.

ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में आर्थिक संपन्नता हासिल करने की होड़ ने औद्योगीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा दिया है. इसका नतीजा ये हुआ कि प्रदूषण में काफी इजाफा हुआ है और इसके कारण पूरे इकोसिस्टम पर प्रभाव पड़ रहा है. शोधकर्ताओं ने कहा कि विशेषकर विकासशील देशों में ऐसी समस्याएं देखी जा रही हैं, जहां हवा और पानी का उत्सर्जन काफी महत्वपूर्ण है. 

रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि जिन देशों की रैंकिंग काफी कम है, उन्हें प्रकृति में सामंजस्य बिठाने की आवश्यकता है. ऐसे देशों को हवा, पानी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन पर अत्यधिक ध्यान देना चाहिए.

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