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ऑक्सफोर्ड में भारतीय खाने को 'बदबूदार' बताकर मजाक उड़ाया, कॉलेज को माफी मांगनी पड़ी

छात्र ने अपने साथ हुए रेसिज्म का अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया है.

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स्वप्निल ने घटना की जानकारी अपने ट्विटर अंकाउट पर दी. (फोटो: स्वप्निल त्रिपाठी)

ब्रिटेन की ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय खाने का अपमान करने का आरोप लगाया है. खाने को ‘बदबूदार’ कहने का आरोप लगा है. यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र ने इस घटना को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. उसने बताया कि वो अपने दोस्त के साथ खाना खा रहा था. तभी यूनिवर्सिटी के एक गार्ड ने उसके खाने को ‘बदबूदार’ बताकर उसे खाने से रोक देता है. इस घटना का पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल है. कई लोगों ने इस घटना पर नाराजगी जताई है.

स्वप्निल त्रिपाठी नाम के शख्स ने ट्विटर पर अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है. स्वप्निल ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के सोमरविले कॉलेज से PhD कर रहे हैं. सेकेंड ईयर के छात्र हैं. 12 मई को स्वप्निल ने ट्वीट कर लिखा, 

“मुझे और मेरे दोस्त को लाइब्रेरी में एक असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. लाइब्रेरी में हमें खाना लेकर जाने की अनुमति नहीं थी. इसलिए हम लाइब्रेरी के बाहर कॉमन एरिया में खाना खाने लगे. तभी यूनिवर्सिटी का एक गार्ड हमारे पास आता है और कहता है कि हम बदबूदार खाना खा रहे हैं. ये सुनकर हमें थोड़ा अजीब लगता है. हमनें पूछा बदबूदार खाने से आपका मतलब भारतीय खाना? जिसका जवाब ‘हां’ में देते हुए उसने चिकन टिक्का और अन्य भारतीय खानों का नाम गिनाया. मैंने उसे बताया कि मैं सबवे रैप खा रहा हूं. लेकिन उसने मजाक में मेरे दोस्त के खाने के बारे में जानने की कोशिश की. और उसने कहा कि तुम ऐसा खाना खा सकते हो जो बदबूदार नहीं हो, बदबूदार से उसका मतलब भारतीय खाने से था.”

स्वप्निल ने आगे लिखा, 

“यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लाइब्रेरी में ऐसा कोई साइन बोर्ड नहीं है, जिसपर लिखा हो कि कॉमन एरिया में आप अपना खाना नहीं खा सकते हैं. लाइब्रेरी में जिन जगहों पर खाना नहीं खा सकते हैं, वहां साइन बोर्ड लगे हैं. भारतीय खाने को बदबूदार बताने के पीछे छिपा रेसिज्म अपने आप में शर्मनाक है. गार्ड के लिए ये पूरा वाकया मज़ाक था और वह पूरे समय हंस रहा था. लेकिन दो भारतीय छात्रों के लिए ये पूरा वाकया मज़ेदार नहीं बल्कि रेसिज्म से भरा था. कोई भी प्रतिबंध हर किसी पर बराबरी से लगना चाहिए ना कि उसकी राष्ट्रीयता के आधार पर.”


स्वप्निल ने अपने ट्वीट में ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी को टैग कर कार्रवाई करने की अपील की. उन्होंने लिखा,

“मैं ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी से अपील करता हूं, ऐसे कर्मचारियों को ढूंढकर उन्हें ऐसे शब्दों को इस्तेमाल करने से रोका जाए, जो किसी को आहत करता हो, चाहे वो अनजाने में ही क्यों न कहे गए हों. मैं मानता हूं कि गार्ड को शायद यह एहसास नहीं हुआ होगा कि उसकी ये बातें कितनी दिक्कत देने वाली थीं, शायद उसे इन सबको लेकर शिक्षित करने की जरूरत है.”

इस मामले में आगे की कार्रवाई को लेकर हमने स्वप्निल त्रिपाठी से बात की. स्वप्निल ने दी लल्लनटॉप को बताया कि उनके ट्वीट के बाद सोमरविले कॉलेज का उनके पास फ़ोन आया और कॉलेज ने इस घटना पर उनसे माफी मांगी. बाद में ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी ने भी घटना का संज्ञान लेते हुए संबंधित व्यक्ति की जानकारी मांगी है.

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